फाल्गुन अमावस्या का धार्मिक महत्व, इस दिन की पूजा विधि और विशेष तिथि के बारे में जानें। पितरों की पूजा और मानसिक शांति के उपाय।
फाल्गुन अमावस्या, हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि होती है, जो फरवरी या मार्च के महीने में आती है। यह तिथि विशेष रूप से हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। फाल्गुन अमावस्या को 'महाशिवरात्रि' के साथ-साथ और भी कई धार्मिक महत्व होते हैं। इस दिन विशेष रूप से पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए तर्पण और पितृ पूजा का आयोजन किया जाता है।
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष पुण्यफल देने वाली माना जाता है। वहीं, जो अमावस्या फाल्गुन मास में पड़ती है, उसे फाल्गुन अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि यह अमावस्या तिथि सुख संपत्ति, और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ होती है।
इस साल फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी 2025, बृहस्पतिवार को पड़ रही है। ये तिथि इस बार सोमवार के दिन पड़ने के कारण 'सोमवती अमावस्या' भी कही जायेगी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में देवी देवता निवास करते हैं। अतः इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पावन नदियों में स्नान करके व्रत का संकल्प लेना विशेष पुण्य प्रदान करने वाला होता है।
धार्मिक मान्यता है कि 'फाल्गुन अमावस्या' तिथि पर किया जाने वाला व्रत, दान एवं पूजा-आराधना से अतिशीघ्र फल मिलता है। इस दिन ये धार्मिक कार्य अवश्य करें-
भक्तों, हम आशा करते हैं कि आपका फाल्गुन अमावस्या का व्रत सफल हो। व्रत, पूजा व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर पर।
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