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आषाढ़ अमावस्या 2025

क्या आप जानते हैं आषाढ़ अमावस्या 2025 का रहस्य? जानिए इसकी तिथि, महत्व, पूजन विधि और पितृ तर्पण से जुड़ी खास परंपराएं

आषाढ़ अमावस्या के बारे में

आषाढ़ अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अंतिम तिथि होती है। यह दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, स्नान और दान-पुण्य के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन पीपल वृक्ष की पूजा का भी महत्व है।

आषाढ़ अमावस्या कब है? जानें शुभ मुहूर्त

नमस्कार दोस्तों, वैसे तो पूरे आषाढ़ मास में हिंदू धर्म के लोग कई तरह के अनुष्ठान एवं पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन इनमें आषाढ़ अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष तौर पर मनाया जाता है। उदयव्यापिनी तिथि होने के कारण आषाढ़ अमावस्या आषाढ़ अमावस्या के एक दिन बाद मानी जाएगी।

  • आषाढ़ अमावस्या 2025/2025 में कब पड़ेगी आषाढ़ अमावस्या?/
  • आषाढ़ अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त
  • क्या है आषाढ़ अमावस्या?
  • क्यों मनाई जाती है आषाढ़ अमावस्या?
  • आषाढ़ अमावस्या का जानें महत्व
  • आषाढ़ अमावस्या पूजा की पूजन सामग्री
  • आषाढ़ अमावस्या के दिन पूजा कैसे करें? देखें पूजा विधि -
  • आषाढ़ अमावस्या के धार्मिक अनुष्ठान
  • आषाढ़ अमावस्या पूजा के लाभ क्या है
  • आषाढ़ अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए?
  • आषाढ़ अमावस्या के दिन क्या न करें

चलिए जानते हैं कि 2025 में कब पड़ेगी आषाढ़ अमावस्या?

  • इस साल आषाढ़ माह की अमावस्या 25 जून 2025, बुधवार को पड़ रही है।
  • अमावस्या तिथि का प्रारंभ 24 जून 2025, मंगलवार को शाम 06:59 बजे से होगा।
  • अमावस्या तिथि का समापन 25 जून 2025, बुधवार को शाम 04:00 बजे तक होगा।

चलिए अब जानते हैं आषाढ़ अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त व तिथि

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त03:47 ए एम से 04:28 ए एम
प्रातः सन्ध्या 04:08 ए एम से 05:09 ए एम
अभिजित मुहूर्त कोई नहीं
विजय मुहूर्त 02:18 पी एम से 03:13 पी एम
गोधूलि मुहूर्त 06:51 पी एम से 07:11 पी एम
सायाह्न सन्ध्या 06:52 पी एम से 07:54 पी एम
अमृत काल 11:34 पी एम से 01:02 ए एम, जून 26
निशिता मुहूर्त 11:40 पी एम से 12:21 ए एम, जून 26

क्या है आषाढ़ अमावस्या?

आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को आषाढ़ अमावस्या कहा जाता है। यह अमावस्या तिथि सूर्य के मिथुन राशि में रहते हुए आती है, जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, पितृ तर्पण और विशेष पूजा करने से अत्यंत पुण्य की प्राप्ति होती है।

क्यों मनाई जाती है आषाढ़ अमावस्या?

यह दिन विशेष रूप से पितृ दोष निवारण, कर्मों की शुद्धि और ईश्वरीय कृपा के लिए मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पितर पृथ्वी पर आते हैं और श्रद्धा से किया गया तर्पण उन्हें तृप्त करता है। साथ ही, भगवान शिव और तुलसी माता की पूजा इस दिन विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।

आषाढ़ अमावस्या का जानें महत्व

  • पितृ तर्पण और श्राद्ध करने के लिए अत्यंत शुभ तिथि।
  • ग्रहदोष, विशेष रूप से पितृ दोष और कालसर्प दोष निवारण का उत्तम अवसर।
  • इस दिन व्रत एवं दान करने से जन्म-जन्म के पापों का नाश होता है।
  • आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण दिन।

आषाढ़ अमावस्या पूजा की पूजन सामग्री

  • गंगाजल
  • दीपक, धूप, अगरबत्ती
  • रोली, अक्षत (चावल)
  • चंदन, फूल, बेलपत्र
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  • दूध, दही, शहद, घी, जल
  • भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र
  • तुलसी के पत्ते व तुलसी पौधे की पूजा सामग्री
  • पितरों के लिए तर्पण सामग्री (तिल, जल, कुश आदि)

आषाढ़ अमावस्या के दिन पूजा कैसे करें? देखें पूजा विधि

नमस्कार दोस्तों! आज हम आपके लिए पुण्यदायिनी आषाढ़ अमावस्या की पूजा विधि लेकर प्रस्तुत हुए हैं, अगर आप इस खास दिन पर ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना करना चाहते हैं, तो इस लेख को ध्यान से पढ़ें।

  • आषाढ़ अमावस्या के दिन वैसे तो ब्रह्म मुहूर्त में ही किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है, लेकिन अगर आपके लिए यह संभव न हो पाए तो आप घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
  • इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारियां शुरू कर दें।
  • सबसे पहले अपने पूजा स्थल की सफाई करके वहां गंगाजल का छिड़काव करें।
  • फिर मंदिर में दीपक जलाकर पूजा विधि प्रारंभ करें।
  • आपको बता दें, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और तुलसी माता की पूजा विधि पूर्वक की जाती है।
  • आप भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें।
  • इसके बाद आप शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा, अक्षत, चंदन,रोली, तुलसी दल, बेलपत्र और पंचामृत चढ़ाएं।
  • इसके बाद आप माता पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
  • अब भगवान शिव और माता पार्वती के समक्ष धूप जलाने के बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
  • फिर आषाढ़ अमावस्या की व्रत कथा सुनें और शिव चालीसा का पाठ करें।
  • अंत में भगवान से मंगल कामना करते हुए उनकी आरती उतारें।
  • अब आप तुलसी माता की पूजा-अर्चना करें, फिर तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें।
  • अब तुलसी माता के समक्ष दीप- धूप जलाएं और उनकी आराधना करें।
  • इसके बाद उपासक फलाहार ग्रहण करें और पूरे दिन व्रत का पालन करें।
  • अगले दिन भगवान की पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें।

तो यह थी आषाढ़ अमावस्या की पूजा विधि। अगर आप इस व्रत और पूजा से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण जानकारी जानना चाहते हैं, तो इसके लिए श्री मंदिर के ऐप पर अवश्य जाएं।

धार्मिक अनुष्ठान

  • पितृ तर्पण और श्राद्ध
  • भगवान शिव रुद्राभिषेक
  • ब्राह्मण भोज और दान
  • तुलसी पूजन
  • दीप दान
  • शिव चालीसा, महामृत्युंजय जाप, रुद्राष्टक पाठ

पूजा के लाभ

  • पितरों की कृपा से परिवार में शांति और समृद्धि आती है।
  • जीवन के कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं।
  • आत्मिक और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
  • विशेष रूप से पितृ दोष, कालसर्प दोष और ग्रह बाधाओं का निवारण होता है।

आषाढ़ अमावस्या के दिन क्या करें?

  • पवित्र स्नान और व्रत का संकल्प लें।
  • ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।
  • जरूरतमंदों को भोजन व सामग्री का दान करें।
  • तुलसी, पीपल और शिवलिंग का पूजन करें।
  • पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करें।

आषाढ़ अमावस्या के दिन क्या न करें?

  • झूठ बोलने, किसी का अपमान करने या विवाद से बचें।
  • मांस-मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • व्रत के दिन बाल कटवाना, नाखून काटना व अत्यधिक सोना वर्जित है।
  • पूजा के समय मन में किसी के प्रति द्वेष न रखें।

आषाढ़ अमावस्या आध्यात्मिक उन्नति, पितृ शांति और ईश्वरीय कृपा पाने का एक दुर्लभ अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से न केवल वर्तमान जीवन में सुख-शांति आती है, बल्कि पूर्वजों की आत्मा भी तृप्त होती है। ऐसी ही और पवित्र तिथियों की जानकारी व पूजन विधि के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ के साथ।

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Published by Sri Mandir·June 11, 2025

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