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फाल्गुन अमावस्या 2025

फाल्गुन अमावस्या का धार्मिक महत्व, इस दिन की पूजा विधि और विशेष तिथि के बारे में जानें। पितरों की पूजा और मानसिक शांति के उपाय।

फाल्गुन अमावस्या के बारे में

फाल्गुन अमावस्या, हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि होती है, जो फरवरी या मार्च के महीने में आती है। यह तिथि विशेष रूप से हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। फाल्गुन अमावस्या को 'महाशिवरात्रि' के साथ-साथ और भी कई धार्मिक महत्व होते हैं। इस दिन विशेष रूप से पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए तर्पण और पितृ पूजा का आयोजन किया जाता है।

फाल्गुन अमावस्या 2025

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष पुण्यफल देने वाली माना जाता है। वहीं, जो अमावस्या फाल्गुन मास में पड़ती है, उसे फाल्गुन अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि यह अमावस्या तिथि सुख संपत्ति, और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ होती है।

आज के इस लेख में जानिए

  • फाल्गुन अमावस्या की तिथि
  • फाल्गुन अमावस्या का महत्व
  • फाल्गुन अमावस्या पर किए जाने वाले धार्मिक कार्य

फाल्गुन अमावस्या की तिथि

इस साल फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी 2025, बृहस्पतिवार को पड़ रही है। ये तिथि इस बार सोमवार के दिन पड़ने के कारण 'सोमवती अमावस्या' भी कही जायेगी।

  • फाल्गुन अमावस्या : 27 फरवरी 2025, बृहस्पतिवार (फाल्गुन, कृष्ण अमावस्या)
  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ : 27 फरवरी 2025, बृहस्पतिवार को 08:54 AM पर
  • अमावस्या तिथि समापन: 28 फरवरी 2025, शुक्रवार को 06:14 AM पर

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:44 ए एम से 05:33 ए एम तक
  • प्रातः सन्ध्या - 05:08 ए एम से 06:23 ए एम तक
  • अभिजित मुहूर्त - 11:48 ए एम से 12:34 पी एम तक
  • विजय मुहूर्त - 02:07 पी एम से 02:53 पी एम तक
  • गोधूलि मुहूर्त - 05:56 पी एम से 06:21 पी एम तक
  • सायाह्न सन्ध्या - 05:59 पी एम से 07:13 पी एम तक
  • निशिता मुहूर्त - 11:46 पी एम से 12:35 ए एम, 28 फरवरी तक

फाल्गुन अमावस्या का महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में देवी देवता निवास करते हैं। अतः इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पावन नदियों में स्नान करके व्रत का संकल्प लेना विशेष पुण्य प्रदान करने वाला होता है।

  • फाल्गुन अमावस्या पर विधि-विधान से व्रत व पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और शांति मिलती है।
  • फाल्गुन अमावस्या पर वैसे तो चंद्रमा के दर्शन नहीं होते हैं, परंतु इस तिथि पर चंद्र देव व यम के साथ सूर्य देवता का आशीर्वाद पाने के लिए ये दिन विशेष माना गया है।
  • इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध भी करने का विधान है।
  • यदि अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही हो, तो इस दिन कुंभ स्नान का योग बनता है, और ये सूर्यग्रहण से भी कई गुना अधिक फल देने वाली होती है।

फाल्गुन अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म

धार्मिक मान्यता है कि 'फाल्गुन अमावस्या' तिथि पर किया जाने वाला व्रत, दान एवं पूजा-आराधना से अतिशीघ्र फल मिलता है। इस दिन ये धार्मिक कार्य अवश्य करें-

  • इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें और सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के पश्चात् पितरों का तर्पण करें।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास रखें एवं किसी ज़रूरतमंद को दान-दक्षिणा अवश्य दें।
  • यदि आप व्रत रखने में असमर्थ हैं, तो श्रद्धापूर्वक श्री गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करें।
  • फाल्गुन अमावस्या के दिन सायंकाल पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और अपने पितरों को स्मरण कर वृक्ष की सात परिक्रमा लगाएं।
  • रुद्र, अग्नि एवं ब्राह्मणों की पूजा करके उन्हें उड़द, दही पूरी आदि का नैवेद्य अर्पित करें और स्वयं भी प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
  • इस दिन शिव मंदिर में जाकर गाय के कच्चे दूध, दही व शहद से भोलेनाथ का अभिषेक करें और उन्हें काला तिल चढ़ाएं। इससे कालसर्प दोष व आने वाले जीवन की अन्य बाधाएं दूर होती हैं।
  • अमावस्या तिथि पर शनिदेव की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इसलिए इस दिन शनि मंदिर में नीले पुष्प, काले तिल, काले साबुत उड़द, सरसों का तेल, काजल और काला कपड़ा आदि अर्पित करें।
  • इस दिन भूल से भी किसी ज़रूरतमंद को अपने घर से खाली हाथ ना भेजें। साथ ही ध्यान रहे कि इस दिन किसी भी कारणवश माता-पिता या किसी बड़े-बुज़ुर्ग का अपमान न होने पाए।

भक्तों, हम आशा करते हैं कि आपका फाल्गुन अमावस्या का व्रत सफल हो। व्रत, पूजा व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर पर।

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Published by Sri Mandir·January 31, 2025

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