image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

आषाढ़ नवरात्रि 2025

क्या आप जानते हैं आषाढ़ नवरात्रि 2025 में क्यों होती है खास महत्ता? जानिए तिथि, महत्व, पूजा विधि और घटस्थापना मुहूर्त की पूरी जानकारी

आषाढ़ नवरात्रि

आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है। यह शक्ति साधना और तंत्र साधना के लिए विशेष मानी जाती है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा कर विशेष सिद्धि और आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की सम्पूर्ण जानकारी

भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है। माता शक्ति की उपासना के लिए नवरात्रि के पर्व को बहुत शुभ और फलदायी माना जाता है। देवी पूजन का ये पावन पर्व साल में चार बार आता है, जिसमें पहली नवरात्रि चैत्र मास के शुक्लपक्ष में, दूसरी नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष में, तीसरी अश्विन मास में और अंतिम नवरात्रि माघ के महीने में पड़ती है।

कब से शुरू होंगे आषाढ़ नवरात्रि? देखें कलश पूजन का शुभ मुहूर्त

  • आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष में आने वाली गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 26 जून 2025, बृहस्पतिवार से प्रारंभ हो रही है।
  • प्रतिपदा तिथि 25 जून, मंगलवार को शाम 04 बजकर 00 मिनट से प्रारंभ होगी और 26 जून, बृहस्पतिवार को दिन में 01 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी।
  • मिथुन लग्न 26 जून को प्रातः 05 बजकर 10 मिनट से प्रारंभ होकर 06 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
  • गुप्त नवरात्रि की पूजा के लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 जून, बृहस्पतिवार को सुबह 05 बजकर 10 मिनट से 06 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
  • अभिजित मुहूर्त में घटस्थापना करने का समय दिन में 11 बजकर 33 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट रहेगा।

कब से शुरू होंगे आषाढ़ नवरात्रि?

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त  03:47 ए एम से 04:28 ए एम
प्रातः सन्ध्या 04:08 ए एम से 05:10 ए एम
अभिजित मुहूर्त 11:33 ए एम से 12:28 पी एम
विजय मुहूर्त 02:18 पी एम से 03:13 पी एम
गोधूलि मुहूर्त06:51 पी एम से 07:12 पी एम
सायाह्न सन्ध्या 06:52 पी एम से 07:54 पी एम
अमृत काल 05:06 ए एम, जून 27 से 06:36 ए एम, जून 27
निशिता मुहूर्त 11:40 पी एम से 12:22 ए एम, जून 27
सर्वार्थ सिद्धि योग 08:46 ए एम से 05:10 ए एम, जून 27

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि क्या है?

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नौ दिनों तक चलने वाली यह नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है। इसमें देवी दुर्गा के 9 रूपों के साथ-साथ दस महाविद्याओं की गुप्त रूप से साधना की जाती है। ये महाविद्याएं हैं: मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला। इस नवरात्रि को “गुप्त” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें की जाने वाली पूजा, मंत्र साधना व अनुष्ठान साधारण भक्तों के लिए नहीं, बल्कि साधकों और तांत्रिकों के लिए अत्यंत गोपनीय और प्रभावशाली मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में इन सभी देवियों की गुप्त रूप से आराधना करने पर जातक की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का महत्व

हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। आषाढ़ नवरात्रि जून या जुलाई के महीने में आती हैं। हर नवरात्रि की तरह इस नवरात्रि में भी मां दुर्गा की 9 दिनों तक उपासना की जाती है। इसके साथ ही इस नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा का भी विशेष महत्व है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कई मायने में विशेष महत्वपूर्ण है! चलिए जानते हैं

तंत्र साधना के लिए श्रेष्ठ है गुप्त नवरात्रि

तंत्र साधना के लिए आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के 9 दिन व रातें विशेष महत्व रखती हैं। इस दौरान अधिकांश तांत्रिक अनुष्ठान और साधनाएं गोपनीय रखकर की जाती हैं, इसलिए इसे 'गुप्त नवरात्रि' कहा जाता है,

वैदिक काल में गुप्त नवरात्रि का महत्व

वैदिक काल में इस गुप्त नवरात्रि के बारे में केवल कुछ ऋषियों व साधकों को ही जानकारी थी। उस समय साधक इस नवरात्रि के समय दस महाविद्या की साधना करके मनोवांछित शक्तियां प्राप्त करते थे।

पूजे जाते हैं शक्ति के ये स्वरूप

पौराणिक मान्यता के अनुसार जहां चैत्र व अश्विन नवरात्रि में शक्ति के नौ स्वरूप पूजे जाते हैं, वहीं गुप्त नवरात्रि में देवी के दस महाविद्या स्वरूप, काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी एवं कमला की उपासना करने का विधान भी है।

गुप्त नवरात्रि से जुड़ी एक और मान्यता

गुप्त नवरात्रि को लेकर एक मान्यता ये भी प्रचलित है कि इस दौरान जब भगवान विष्णु शयन अवस्था में होते हैं, तब दिव्य शक्तियां कमज़ोर पड़ने लगती हैं। ऐसे में ब्रह्माण्ड को सुचारु रूप से चलाने के लिए माता शक्ति की गुप्त रूप से आराधना की जाती है, जिससे वो आने वाली विपत्तियों से इस संसार की रक्षा कर सकें।

पलक झपकते ही पूरी होती हैं मनोगमनाएं

मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में माता शक्ति के स्वरूपों की की गुप्त रूप से साधना करने पर जातक की समस्त शीघ्र ही पूरी होती हैं।

पौराणिक मान्यता

पुराणों में वर्णन मिलता है कि एक बार ऋषि श्रृंगी अपने भक्तों को दर्शन दे रहे थे। उन भक्तों में से एक स्त्री ने कहा कि हे मुनिवर! मेरे पति के दुर्व्यसन के कारण मैं पूजा पाठ, दान पुण्य आदि कोई धार्मिक कर्म नहीं कर पाती हूं। मेरा पति मांसाहार व मदिरापान करता है, वो जुआरी भी है, किंतु मैं मां दुर्गा की भक्ति साधना करना चाहती हूं, उनकी उपासना करके अपने परिवार के समस्त पाप कर्मों को नष्ट करना चाहती हूं।

श्रृंगी ऋषि ने स्त्री को उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों में तो सभी भक्त माता शक्ति की पूजा करते है, किंतु दो नवरात्र ऐसे होते हैं, जिनके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं है। यदि तुम इस गुप्त नवरात्रि पर माता दुर्गा की उपासना करो, तो उन्हें अति शीघ्र प्रसन्न कर सकती हो, और मनोवांछित फल प्राप्त कर सकती हो। तब स्त्री ने विधि विधान से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का व्रत किया, और सभी पापों से मुक्त होकर सुखमय जीवन जीने लगी।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में पूजा कैसे करें?

इस विशेष नवरात्रि के दौरान यदि कोई साधक या भक्त विधिपूर्वक मां दुर्गा की आराधना करता है, तो उसे शीघ्र ही चमत्कारिक फल की प्राप्ति होती है। पूजा की विधि इस प्रकार है:

  • प्रतिपदा तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • घटस्थापना (कलश स्थापना) करें — शुद्ध मिट्टी में जौ बोएं और उस पर जल से भरा कलश रखें।
  • कलश पर श्री गणेश, नवग्रह व मातृका देवी का आह्वान करें।
  • प्रतिदिन एक महाविद्या या दुर्गा के रूप की पूजा करें—मंत्रों, पुष्प, दीप, धूप और नैवेद्य के साथ।
  • दुर्गा सप्तशती, देवी कवच, और महाविद्या मंत्रों का जाप करें
  • नवमी को हवन, कन्या पूजन और ब्राह्मण भोजन कराना श्रेष्ठ माना जाता है।

आषाढ़ नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने के उपाय

गुप्त नवरात्रि में करें ये विशेष साधनाएं

  • काली माता की साधना भय नाश व शत्रु निवारण के लिए।
  • बगलामुखी साधना शत्रुओं की वाणी बंद करने और न्याय में विजय हेतु।
  • त्रिपुर सुंदरी की साधना सौंदर्य, प्रेम और आकर्षण के लिए।
  • धूमावती पूजन रोग व दरिद्रता से मुक्ति के लिए।
  • तुलसी, कमल, श्वेत पुष्प से पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
  • “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूजा के लाभ

  • गुप्त शक्तियों की प्राप्ति और अदृश्य बलों का साथ मिलता है।
  • कठिन से कठिन संकटों से मुक्ति मिलती है।
  • शत्रु बाधा, ग्रह दोष, पितृ दोष और तंत्र बाधाओं का नाश होता है।
  • विशेष रूप से व्यापार में वृद्धि, नौकरी में तरक्की, और विवाह संबंधी अड़चनों में लाभ होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति और साधना में सफलता प्राप्त होती है।

तो यह थी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के महत्व से जुड़ी जानकारी। हमारी कामना है कि आपका व्रत फलित हो, और देवी शक्ति आप पर जीवन भर अपनी कृपा बनाए रखें। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर के इस धार्मिक मंच पर।

divider
Published by Sri Mandir·June 11, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Address:
Firstprinciple AppsForBharat Private Limited 435, 1st Floor 17th Cross, 19th Main Rd, above Axis Bank, Sector 4, HSR Layout, Bengaluru, Karnataka 560102
Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.