जानिए शनि जयंती 2025 की तिथि, इस दिन का आध्यात्मिक महत्व, शनि देव की पूजा की विधि और शनि कृपा प्राप्त करने के उपाय।
शनि जयंती हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो न्याय के देवता और कर्मफल दाता भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके बारे में...
यह माह कुछ खास है क्योंकि इस माह में दंड के देवता माने जाने वाले शनिदेव की जयंती है। चलिए आज के इस खास लेख में हम जानें कि वे शनिदेव- जिनसे सब डरते हैं, फिर भी उनकी पूजा करना नहीं भूलते, उनकी जयंती कब है, और उस विशेष दिन का पंचांग क्या होगा।
हमारे पुराणों में वर्णन मिलता है कि शनिदेव भगवान सूर्य और उनकी दूसरी पत्नी छाया के पुत्र हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार शनि का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या को हुआ था। तब से हर वर्ष इस तिथि को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। शनि जयंती को शनि अमावस्या और शनिश्चर जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:59 ए एम से 04:40 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:20 ए एम से 05:21 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:47 ए एम से 12:42 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:32 पी एम से 03:27 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 07:06 पी एम से 07:26 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 07:07 पी एम से 08:09 पी एम तक |
अमृत काल | 12:00 पी एम से 01:25 ए एम, मई 28 तक |
निशिता मुहूर्त | 11:54 पी एम से 12:35 ए एम, मई 28 तक |
मुहूर्त | समय |
द्विपुष्कर योग | 05:02 ए एम, मई 28 से 05:21 ए एम, मई 28 तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 05:21 ए एम से 05:32 ए एम |
तो यह थी शनि जयंती की तिथि के बारे में जरूरी जानकारी। शनि जयंती पर भक्त भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते हैं और उनका आशीर्वाद लेने के लिए शनि मंदिर में जाते हैं।
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