बुध प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व
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बुध प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व

बुध प्रदोष व्रत कब और कैसे करें? जानिए पूजा की विधि, व्रत का शुभ समय और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का महत्व इस लेख में।

बुध प्रदोष व्रत के बारे में

बुध प्रदोष व्रत शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाले बुधवार के दिन मनाया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। श्रद्धालु इस दिन उपवास रखते हैं और संध्या समय शिव की पूजा करते हैं। इस व्रत से रोग, शोक और कर्ज से मुक्ति मिलती है तथा बुद्धि, शांति और सफलता की प्राप्ति होती है। यह विशेष रूप से मानसिक शांति और पारिवारिक सुख के लिए शुभ माना जाता है।

बुध प्रदोष व्रत

हर हर महादेव दोस्तों! प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। अगर आप भगवान शिव और माता पार्वती के आशीष से जीवन में सुख-समृद्धि पाने की कामना करते हैं और जीवन के उपरांत मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह व्रत आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है।

चलिए जानते हैं, साल 2025 में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत कब किया जाएगा?

  • श्रावण मास के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि 06 अगस्त 2025, बुधवार को पड़ रही है।
  • त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ 06 अगस्त 2025, बुधवार को दोपहर 02 बजकर 08 मिनट से होगा।
  • त्रयोदशी तिथि का समापन 07 अगस्त 2025, गुरुवार को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट पर होगा।
  • प्रदोष व्रत पूजा का समय- 06 अगस्त 2025, बुधवार को शाम 07 बजकर 08 मिनट से 09 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
  • जिसकी कुल अवधि 02 घंटे 08 मिनट्स रहेगी

बुध प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:20 ए एम से 05:03 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:42 ए एम से 05:45 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

कोई नहीं

विजय मुहूर्त

02:41 पी एम से 03:34 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

07:08 पी एम से 07:30 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

07:08 पी एम से 08:12 पी एम तक

अमृत काल

06:10 ए एम से 07:52 ए एम तक

निशिता मुहूर्त

12:06 ए एम, अगस्त 07 से 12:48 ए एम, अगस्त 07 तक

प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत एक साधना है, जो सभी भक्तों को भगवान भोलेनाथ से जुड़ने का एक अवसर प्रदान करती है। हर माह भक्त इस दिन पूरी आस्था और श्रद्धाभाव से भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत एवं पूजा करते हैं।

क्या है प्रदोष व्रत?

प्रदोष शब्द का अर्थ होता है संध्या काल यानी सूर्यास्त का समय व रात्रि का प्रथम पहर। चूंकि इस व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।

प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का महत्व क्या है?

एक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना को इसलिए शुभ माना जाता है, क्योंकि इस काल में भगवान भोलेनाथ प्रसन्न चित्त से कैलाश पर्वत पर डमरू बजाते हुए नृत्य करते हैं। महादेव की स्तुति के लिए सभी देवी-देवता भी इस समय कैलाश पर्वत पर एकत्रित होते हैं।

क्यों रखा जाता है प्रदोष व्रत? क्या है महत्व?

भगवान शिव की कृपा

भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को अत्यंत शुभ व महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत के फलस्वरूप भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि बनाएं रखते हैं।

पापों से मुक्ति

माना जाता है कि इस व्रत के पुण्यफल से व्यक्ति द्वारा अपने जीवन काल में किए गए पापों का अंत होता है। साथ ही सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है और वह सत्य के मार्ग पर अग्रसर होता है।

मोक्ष-प्राप्ति

भगवान शिव की आराधना को जीवन के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी लाभदायक माना गया है। प्रदोष व्रत वह मार्ग है, जिसपर चलकर व्यक्ति अंत में जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर सकता है

दुख-कष्ट दूर होते हैं

इस व्रत के प्रभाव से जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जो व्यक्ति पूरी निष्ठा से इसका पालन करता है, उसकी मनोकामनाएं भी भगवान शिव पूर्ण करते हैं।

पुण्यफल की प्राप्ति

इस व्रत से मिलने वाला पुण्यफल भी व्यक्ति के जीवन में सफलता के नए द्वार खोल देता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से दो गायों को दान करने के समान पुण्यफल प्राप्त होता है।

इस सभी कारणों से प्रदोष व्रत को शुभ, पावन और कल्याणकारी माना जाता है। इस संसार में प्रदोष व्रत एक डोरी के समान है जो लोगों को भगवान शिव की भक्ति से जोड़ कर रखता है।

प्रदोष व्रत पूजा की सामान्य सामग्री

प्रदोष व्रत करने वाले सभी भक्तों के लिए आज हम संपूर्ण पूजन सामग्री लेकर आए हैं। आप व्रत से पहले यह सभी सामग्री एकत्रित कर लें, जिससे आपके व्रत में कोई भी बाधा न आए।

सामान्य सामग्री

  • भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र (आप भगवान शिव के पूरे परिवार का चित्र भी ले सकते हैं)
  • शिवलिंग
  • सफेद या पीला चंदन
  • हल्दी या हल्दी की गांठ
  • कुमकुम
  • अक्षत
  • धूप
  • घी का दीपक
  • फल
  • मिठाई
  • मौली
  • इत्र
  • पुष्प माला
  • जल पात्र
  • कपूर
  • लौंग
  • इलायची
  • सुपारी
  • पान
  • घंटी
  • दक्षिणा

पंचामृत के लिए सामग्री

  • कच्चा दूध
  • दही
  • शहद
  • गंगाजल
  • मिश्री
  • घी

भगवान शिव को अर्पित करने के लिए सामग्री

  • धतूरा
  • सफेद पुष्प
  • सफेद पुष्प की माला
  • आक के फूल
  • बिल्वपत्र
  • सफेद रंग की मिठाई

भगवान गणेश जी को अर्पित करने के लिए सामग्री

  • दूर्वा
  • लाल-पीले पुष्प
  • जनेऊ

माता पार्वती को अर्पित करने के लिए सामग्री

  • 16 श्रृंगार की सामग्री अथवा जो भी सुहाग की सामग्री आपके पास उपलब्ध हो।

तो यह थी प्रदोष व्रत की संपूर्ण पूजन सामग्री।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए,घर में सुख-समृद्धि के आगमन के लिए और जीवन के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह पूजा अत्यंत लाभदायक है। हम बात कर रहे हैं, प्रदोष व्रत की और आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि आपको यह पूजा विधिवत किस प्रकार से करनी चाहिए-

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिव जी का स्मरण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान आदि करके सभी नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं।
  • अब स्वच्छ कपड़े धारण करके सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।
  • सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए, ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
  • इसके बाद घर में मंदिर में दैनिक पूजा पाठ करें।

कैसे करें तैयारी

प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में होती है, लेकिन आप पूजा से संबंधित सभी सामग्री पहले ही एकत्रित कर लें। पूजा की सामग्री की सूची श्री मंदिर पर उपलब्ध है।

  • इसके बाद उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में एक चौकी की स्थापना करें।
  • चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं।
  • अब इसपर गंगाजल का छिड़काव करें।
  • इस चौकी पर भगवान शिव, भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
  • साथ ही एक शिवलिंग को भी एक थाली में रखें।

प्रदोष काल में शुरू करें पूजा

  • सभी प्रतिमाओं पर गंगाजल का छिड़काव करें।
  • इसके बाद पूजन स्थल पर घी का दीप प्रज्वलित करें।
  • अब सभी प्रतिमाओं को तिलक करें।
  • भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं, भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं और माता पार्वती को भी कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • इसके बाद सभी प्रतिमाओं को अक्षत अर्पित करें।
  • अब सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, उन्हें जनैऊ, दूर्वा, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, लाल पुष्प, पुष्प माला, धूप, दीप, भोग, दक्षिणा आदि अर्पित करें।
  • अब आप पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर गंगाजल से अभिषेक करें।
  • इसके बाद शिवलिंग पर भांग, धतूरा, आक का फूल, बिल्वपत्र आदि अर्पित करें।
  • अगर घर में शिवलिंग नहीं है तो किसी मंदिर में जाकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • भगवान शिव जी की प्रतिमा पर भी पुष्प माला, सफेद पुष्प, बिल्व पत्र, आक का फूल, भांग, धतूरा अर्पित करें।
  • माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री, मौली, पुष्प, पुष्प माला अर्पित करें।
  • अब प्रदोष व्रत कथा पढ़ें, यह श्री मंदिर पर उपलब्ध है।
  • आप शिव चालीसा भी पढ़ सकते हैं, या 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
  • अंत में धूप-दीप से भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारें।

इस प्रकार आपकी प्रदोष व्रत की पूजा विधिवत पूर्ण हो जाएगी। हम आशा करते हैं, आपकी पूजा फलीभूत हो।

प्रदोष व्रत में किन मन्त्रों और आरती के माध्यम से करें भोलेनाथ को प्रसन्न?

प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में दो बार आता है। यह व्रत हिन्दू माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। महीने का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष में और दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में होता है। हिंदू धर्म के अनुसार, त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष व्रत में भी भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना का विधान है। माना जाता है कि अगर इस दिन शिवजी की पूजा सच्चे मन से की जाए तो मनुष्य के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।

शिव भक्त प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की आरती करते हैं साथ ही भजन भी गाते हैं। ऐसे में अगर इस व्रत के दौरान शिव जी के मंत्रों का जाप भी किया जाए तो भोलेनाथ बेहद प्रसन्न हो जाते हैं। मान्यता है कि इन मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। जब भी आप मंत्र जपे तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। साथ ही जाप करते समय शिवजी को बिल्वपत्र भी अर्पित करने चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं शिवजी के ये प्रभावशाली मंत्र।

शिवजी के 10 प्रभावशाली मंत्र

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**1. ॐ नमः शिवाय।** **2. नमो नीलकण्ठाय।** **3. ॐ पार्वतीपतये नमः।** **4. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।** **5. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।** **6. ऊर्ध्व भू फट्।** **7. इं क्षं मं औं अं।** **8. प्रौं ह्रीं ठः।** **9. महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||** **10. रुद्र गायत्री मंत्र - ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।**

प्रदोष व्रत न करने वाले कैसे पाएं शिव जी की कृपा ?

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष) होते हैं। प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी पापों का नाश होता है एवं मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज के हमारे इस विशेष लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि जो भक्तजन किसी भी कारणवश व्रत का पालन नहीं कर पा रहे हैं, वे भगवान शिव की कृपा कैसे पाएं ?

आइये जानते हैं महादेव को प्रसन्न करने के कुछ खास उपाय।

आसान पूजा-विधि

  • सर्वप्रथम प्रातः जल्दी उठकर नित्यकर्मों से निवृत होकर स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद सूर्यनारायण को शुद्ध जल से अर्घ्य दें और संकल्प लें कि ‘हे प्रभु! मैं इस पावन प्रदोष व्रत का पालन करने में सक्षम नहीं हूँ, लेकिन इस शुभ दिन पूर्ण श्रद्धा से शिव जी और माता पार्वती की पूजा करने का संकल्प लेती हूँ।
  • उसके बाद आप बिल्वपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें।
  • संभव हो तो शिव जी को कनेर, धतूरा, गुलाब के फूल व बिल्वपत्र चढ़ाएं, इसके बाद दक्षिणा चढ़ाकर आरती के बाद पुष्पांजलि समर्पित करें ।
  • भगवान शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय मन्त्र का जाप करें और शिव जी को जल चढ़ाएं।
  • श्रृंगार और सुहाग की सामग्री जो आपके पास उपलब्ध हो, माता पार्वती को अर्पित करें।
  • इसके बाद भगवान उमामहेश्वर का ध्यान कर प्रार्थना करें कि “हे उमानाथ - कर्ज, दुर्भाग्य, दरिद्रता, भय, रोग व समस्त पापों का नाश करने के लिए आप पार्वतीजी सहित पधारकर मेरी पूजा स्वीकार करें।”

प्रदोष व्रत के 5 लाभ

महादेव के भक्त पूरी श्रद्धा और सच्ची निष्ठा से प्रदोष व्रत का पालन करते हैं, माना जाता है कि इस व्रत को पूरे विधि विधान से करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और उनके जीवन से कष्ट दूर हो जाते हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं कि इस व्रत से होने वाले प्रमुख 5 लाभ कौन-कौन से हैं?

भगवान शिव की कृपा- जिसे भगवान शिव की कृपा मिल जाए, उसे जीवन में सब-कुछ मिल जाता है। प्रदोष व्रत भक्ति का वह मार्ग है, जो भक्तों को अपने आराध्य के निकट जाने का अवसर प्रदान करता है। जातक महादेव को प्रसन्न करने के लिए और उनका आशीष प्राप्त करने के लिए पूरी निष्ठा, संयम और श्रद्धा के साथ यह व्रत करते हैं। अगर आप भी चाहते हैं कि भोलेनाथ की कृपादृष्टि आप पर बनी रहे तो यह व्रत अवश्य करें।

भाग्य जागृत होता है- इस व्रत को करने से व्यक्ति का भाग्योदय हो जाता है। सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं और किसी भी महत्वपूर्ण कार्य में भाग्य आपका साथ देता है। कई बार व्यक्ति को मेहनत करने के बावजूद सफलता नहीं मिलती है, क्योंकि उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिलता। प्रदोष व्रत से यह समस्या दूर हो जाती है और भाग्य जागृत हो जाता है।

मोक्ष की प्राप्ति- हर व्यक्ति जीवन भर पुण्य कमाता है ताकि उसे अंत में जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल सके। प्रदोष व्रत से अर्जित पुण्यफल व्यक्ति को जीवन के बाद मोक्ष प्रदान करता है। अगर आप भी जीवन के पश्चात् पापों से मुक्ति पाकर मोक्ष की कामना रखते हैं तो इस व्रत को विधि-विधान से करें।

बेहतर स्वास्थ्य- प्रदोष व्रत से व्यक्ति निरोगी बनाता है, साथ ही यह जातक के परिवार को भी बेहतर स्वास्थ्य का उपहार प्रदान करता है। इस व्रत को करने से सभी प्रकार के रोग व शारीरिक कष्ट दूर होते हैं, और व्यक्ति एक स्वस्थ और सुखी जीवन व्यतीत करता है।

संतान प्राप्ति- अगर कोई संतान रत्न की प्राप्ति करना चाहता है, तो उसे भी भगवान शिव और माता पार्वती की सच्चे मन से आराधना करनी चाहिए। भगवान की कृपा से व्यक्ति को न केवल संतान की प्राप्ति होती है, बल्कि उसे दीर्घायु होने का आशीष भी प्राप्त होता है।

प्रदोष व्रत से जुड़े इन लाभों की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को निश्छल मन से यह व्रत करना चाहिए।

प्रदोष व्रत के उपाय

क्या आप भी जीवन में धन-समृद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और अपार खुशियों की कामना करते हैं? तो आज हम आपके लिए प्रदोष व्रत के दिन किए जाने वाले कुछ ऐसे विशेष उपाय लेकर आए हैं, जो आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के नए द्वार खोल देंगे।

चलिए जानते हैं क्या हैं वह 5 सरल उपाय जिन्हें आप प्रदोष व्रत के पावन दिन पर कर सकते हैं-

संतान-सुख के लिए - किसी भी दंपत्ति के जीवन में संतान सुख, किसी आशीर्वाद से कम नहीं होता है। संतान सुख का यह आशीष अगर आप प्राप्त करना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर पंचगव्य का अभिषेक ज़रूर करें। पंचगव्य को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना गया है। यह दूध, दही, घी, गौ मूत्र और गाय के गोबर जैसी पवित्र चीज़ों के मिश्रण से बनता है। इससे शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान शिव का आशीष मिलता है, और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

नौकरी में पदोन्नती और धन प्राप्ति के लिए - जीवन में धन की प्राप्ति और नौकरी में पदोन्नती प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को कनेर के फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए। इससे सफलता के नए आयाम खुल जाते हैं। कनेर के पुष्प के साथ, धतूरे के पुष्प या शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करने से भी जीवन में धन और समृद्धि का आगमन भी होता है।

पापों के नाश हेतु - मनुष्य जाने-अनजाने में कई अनैतिक कृत्य कर देता है और पाप का भागीदार बन जाता है। भगवान शिव की भक्ति आपको इन पापों से मुक्ति दिला सकती है। पापों के नाश के लिए भोलेनाथ को बिल्वपत्र अवश्य अर्पित करें।

जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के लिए - माना जाता है कि चमेली के सुगंधित पुष्प भगवान शिव को भी अतिप्रिय होते हैं। इस दिन भगवान शिव को चमेली के पुष्प अर्पण करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है, और नकारात्मकता दूर हो जाती है। इससे आपके जीवन में शांति का वास होता है।

पितृ दोष करें दूर - अगर आपके जीवन में पितृ दोष के कारण हर काम में रुकावट आ रही है, और अगर आप इस दोष से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह उपाय ज़रूर करें। प्रदोष व्रत के दिन आप चावल और काले तिल मिलाकर भगवान भोलेनाथ को अर्पित कर दें, इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

तो दोस्तों, यह थी उन 5 सरल उपायों की सूची, जिनके फलस्वरूप आपको विभिन्न लाभों की प्राप्ति होगी। आप सच्चे मन और भक्ति के साथ इन उपायों को अवश्य करें और भगवान शिव का स्मरण करें।

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Published by Sri Mandir·July 25, 2025

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