जानिए कर्क संक्रांति 2025 के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और जीवन में आने वाले बदलावों की गहराई से जानकारी
कर्क संक्रांति उस समय को कहते हैं जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है। यह घटना वर्षा ऋतु की शुरुआत का संकेत देती है। इस दिन स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक दृष्टि से यह अत्यंत शुभ दिन माना जाता है।
सूर्य हर मास एक राशि से दूसरी राशि में गोचर होते हैं। इस प्रकार सूर्य की राशि के परिवर्तन तिथि को संक्रांति कहा जाता है। एक साल में कुल बारह संक्रांति होती हैं, इस प्रकार कर्क संक्रांति भी इन्हीं में से एक है। कर्क संक्रांति को सूर्य उत्तरायण काल से दक्षिणायण काल में आते हैं, और मकर संक्रांति तक इसी काल में रहते है। दक्षिणायन के समय रातें लंबी होने लगती हैं और दिन छोटे होने शुरू हो जाते हैं।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:54 ए एम से 04:36 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:15 ए एम से 05:17 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | कोई नहीं |
विजय मुहूर्त | 02:20 पी एम से 03:14 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:49 पी एम से 07:10 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:51 पी एम से 07:53 पी एम तक |
अमृत काल | 12:13 ए एम, जुलाई 17 से 01:46 ए एम, 17 जुलाई तक |
निशिता मुहूर्त | 11:43 पी एम से 12:25 ए एम, 17 जुलाई तक |
रवि योग | 05:46 ए एम से 04:50 ए एम, 17 जुलाई तक |
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कर्क संक्रांति के दिन भगवान सूर्य के साथ ही सभी देवता गण शयन अवस्था में चले जाते हैं। सभी देवताओं व भगवान विष्णु के निंद्रा में लीन होने के कारण भगवान शंकर सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं
कर्क संक्रांति वह दिन होता है जब सूर्य देवता का गोचर मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करता है। यह घटना हर वर्ष लगभग 16 या 17 जुलाई को होती है। यह दिन आषाढ़ मास की समाप्ति और वर्षा ऋतु की शुरुआत का संकेतक माना जाता है।
जैसे मकर संक्रांति सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर जाने का संकेत देती है, वैसे ही कर्क संक्रांति सूर्य के उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर गमन का आरंभ मानी जाती है। यह दिन वैदिक पंचांग के अनुसार अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कर्क संक्रांति पर सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन की जाने वाली पूजा अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है, इसलिए आज हम सभी भक्तजनों के लिए कर्क संक्रांति की पूजा विधि लेकर प्रस्तुत हुए हैं। चलिए जानते हैं इस दिन किस प्रकार पूजा-पाठ करके आप भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं।
कर्क संक्रांति के दिन प्रातःकाल उठकर, स्नान तथा नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। अगर ऐसा संभव न हो तो आप घर के ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान कर लें। फिर इसके पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके अलावा इस दिन सूर्यदेव की पूजा अर्चना करने का भी विशेष महत्व है, इसलिए तांबे के कलश में जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्र का जाप करें। फिर सूर्य देव को प्रणाम करने के बाद उनका आशीष मांगे।
इसके बाद घर के मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें। फिर दीप प्रज्वलित करें। अब सूर्य भगवान की प्रतिमा पर कुमकुम, धूप, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करें। अंत में उनकी आरती उतारें। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करना भी शुभ माना गया है। इसलिए उन्हें तुलसी दल चढ़ाएं।
इस प्रकार पूजा-अर्चना करने से आप पर भगवान विष्णु और सूर्य देव की कृपा हमेशा बनी रहेगी। इस दिन को धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया है, अगर आप इसके महत्व को विस्तार से जानना चाहते हैं तो श्रीमंदिर ऐप पर उपलब्ध इससे संबंधित वीडियो अवश्य देखें। इसी के साथ मैं अब आपसे लेती हूँ विदा। धन्यवाद!
कर्क संक्रांति पर किए जाने वाले अनुष्ठान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं। इस दिन मुख्य रूप से ये अनुष्ठान किए जाते हैं:
कर्क संक्रांति पर सात्विक और शुद्ध भोजन करने का विधान है। कुछ विशेष रूप से खाए जाने वाले भोजन हैं:
भक्तों, ये थी कर्क संक्रांति के से जुड़ी पूरी जानकारी। कर्क संक्रांति न केवल एक ज्योतिषीय घटना है, बल्कि यह आत्मचिंतन, संयम, सेवा और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का भी अवसर है। इस दिन के सत्कर्म हमारे जीवन में उजाला भर सकते हैं। हमारी कामना है कि आपको इस पर्व का संपूर्ण फल प्राप्त हो, और भगवान सूर्य की कृपा से जीवन में सुख सम्पन्नता बनी रहे। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।
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