महालक्ष्मी व्रत 2025 कब है?
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महालक्ष्मी व्रत 2025 कब है?

जानें 2025 के महालक्ष्मी व्रत की तिथि, महत्व, व्रत की कथा और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने की विधि, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि हो।

महालक्ष्मी व्रत आरम्भ के बारे में

महालक्ष्मी व्रत आरम्भ धन-समृद्धि और खुशहाली के लिए किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत उज्ज्वल वातावरण में, सुबह के समय, घर की पूजा स्थल पर लक्ष्मी माता की स्थापना और मंत्रोच्चारण से होती है। यह व्रत सौभाग्य बढ़ाता है।

महालक्ष्मी व्रत आरम्भ 2025

धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भाद्रपद मास में 16 दिन के महालक्ष्मी व्रत का अनुष्ठान किया जाता है। महालक्ष्मी व्रत का आरंभ भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है, और ये व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर समाप्त होता है। मान्यता है इस व्रत में मां लक्ष्मी की उपासना करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

महालक्ष्मी व्रत कब है

महालक्ष्मी व्रत साल 2025 में 31 अगस्त 2025, रविवार से आरंभ होगा

  • अष्टमी तिथि 30 अगस्त 2025, शनिवार को रात 10 बजकर 46 मिनट से प्रारम्भ होगी।
  • अष्टमी तिथि का समापन 01 सितम्बर 2025, सोमवार को रात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा।
  • इस महालक्ष्मी व्रत पर चन्द्रोदय दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर होगा।
  • महालक्ष्मी व्रत 14 सितम्बर 2024, मंगलवार को पूर्ण होगा।
  • इस साल संपूर्ण महालक्ष्मी व्रत 15 दिनों का होगा।

महालक्ष्मी व्रत 2025 का शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:08 ए एम से 04:53 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:30 ए एम से 05:38 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:33 ए एम से 12:23 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:05 पी एम से 02:55 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

06:18 पी एम से 06:41 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

06:18 पी एम से 07:26 पी एम तक

अमृत काल

05:49 ए एम से 07:37 ए एम तक

निशिता मुहूर्त

11:36 पी एम से 12:21 ए एम, सितम्बर 01 तक

महालक्ष्मी व्रत का महत्व

महालक्ष्मी व्रत माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना गया है। महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारम्भ होता है और अगले 16 दिनों तक चलता है। इस व्रत का समापन आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होता है। तिथियों के घटने-बढ़ने के आधार पर, उपवास की अवधि पन्द्रह दिन या सत्रह भी हो सकती है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार महालक्ष्मी व्रत के अनुष्ठान से दुख, दरिद्रता का नाश होता है। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रताप से खोया हुआ धन, राज-पाट, संपत्ति व सम्मान पुन: प्राप्त होता है। इससे जुड़ी एक कथा के अनुसार जब पांडव चौपड़ में अपना सब कुछ हार गये थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत का अनुष्ठान करने के लिए कहा था।

16 दिन महालक्ष्मी व्रत न रख सकें, तो क्या करें

धन प्राप्ति और सुखी समृद्ध जीवन के लिए रखा जाने वाला महालक्ष्मी व्रत स्त्रियों के साथ-साथ पुरुष भी रख सकते हैं। वैसे ये व्रत 16 दिनों का होता है, लेकिन यदि आपके लिए सोलह दिनों तक व्रत रखना संभव न हो, तो पहले, आठवें और अंतिम दिन उपवास रखकर भी महालक्ष्मी जी कृपा प्राप्त की जा सकती है। हालांकि माता की पूजा-अर्चना इस पर्व के 16 दिनों तक नियमित रूप से करते रहें।

कैसे करें कम दिनों का महालक्ष्मी व्रत?

हालाँकि यह व्रत परंपरागत रूप से 16 दिनों तक किया जाता है, लेकिन समय या परिस्थिति के अनुसार कम दिनों में भी इसे श्रद्धा और विधिपूर्वक किया जा सकता है। कुछ प्रमुख विकल्प इस प्रकार हैं:

एक दिन का संकल्प: यदि आप पूरा व्रत नहीं कर सकते तो केवल एक दिन — विशेषतः प्रारंभिक अष्टमी या अंतिम अष्टमी तिथि — को महालक्ष्मी व्रत का संकल्प लेकर उपवास करें और विधिवत पूजन करें। चार दिन का व्रत: कुछ श्रद्धालु केवल पहले चार दिनों तक व्रत रखते हैं, जिसमें विशेष पूजा और व्रत कथा श्रवण करते हैं। यह भी मान्य माना जाता है। हर शुक्रवार व्रत: महालक्ष्मी की कृपा के लिए भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आरंभ कर अगले चार शुक्रवार तक उपवास और पूजन किया जाता है। सप्ताहांत व्रत: जिनके पास प्रतिदिन पूजन का समय नहीं होता, वे व्रत की अवधि में केवल शनिवार या रविवार को विशेष पूजन करके पुण्यफल प्राप्त कर सकते हैं। वैकल्पिक दिनों में पूजन: आप एक दिन छोड़कर, जैसे पहले, तीसरे, पाँचवे, सातवें, और सोलहवें दिन विशेष पूजा कर सकते हैं। इससे भी देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

चाहे जितने भी दिन व्रत करें, श्रद्धा, आस्था और शुद्धता सबसे महत्वपूर्ण हैं। देवी लक्ष्मी भावना से प्रसन्न होती हैं, केवल विधि-विधान से नहीं।

महालक्ष्मी व्रत पूजा की सामग्री

महालक्ष्मी व्रत की पूजा में श्रद्धा और विधि के साथ साथ समुचित पूजन सामग्री का होना भी आवश्यक होता है। नीचे प्रमुख सामग्री सूचीबद्ध है जो महालक्ष्मी व्रत पूजन में प्रयोग की जाती है:

  • कलश (तांबे या मिट्टी का)
  • गंगाजल और शुद्ध जल
  • आम के पत्ते
  • मौली (कलावा)
  • अक्षत (साफ किए हुए चावल)
  • हल्दी, कुमकुम, चंदन
  • सुपारी, नारियल
  • पान के पत्ते
  • फूल (विशेषतः कमल या गुलाब)
  • फल (5 या 7 प्रकार के)
  • मिठाई (खीर, हलवा, या मां के प्रिय भोग)
  • घी का दीपक और रूई की बत्तियाँ
  • धूप, अगरबत्ती
  • लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र
  • सप्तधान्य (सात प्रकार के अनाज)
  • नई लाल चुनरी
  • पूजा थाली
  • पंचमेवा
  • मुद्रा (सिक्के)
  • व्रत कथा पुस्तक या महालक्ष्मी व्रत की कथा

महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें, फिर व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद पूजा स्थल को स्वच्छ करके एक चौकी रखें।
  • इस चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर श्री महालक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
  • अब एक कलश में जल भरकर उसमें पांच पान के पत्ते और नारियल रखकर उसे स्थापित करें।
  • कलश को विशेष रूप से लाल रंग के धागे और लाल कपड़े से सज़ाएँ।
  • इसमें कुछ सिक्के और चावल भी रखें एवं सिंदूर से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएँ।
  • अब महालक्ष्मी को पंचामृत से स्नान करवाएं
  • मां को सिंदूर, कुमकुम आदि लगाकर उनका श्रंगार करें।
  • अब धूप और दीप प्रज्वलित करें।
  • मां को पुष्प हार पहनाएं, और संभव हो तो उन्हें इस दिन कमल का फूल अर्पित करें।
  • अब एक पान पर लौंग, बताशा, 1 रुपया और छोटी इलायची रखकर माता को चढ़ाएं।
  • महालक्ष्मी देवी की पूजा थाल में चांदी के सिक्के, फल और फूल भी रखें।
  • अब लक्ष्मी माता के विभन्न नामों और मंत्रों का जाप करें।
  • इसके बाद महालक्ष्मी व्रत की कथा सुनें, या पढ़ें।
  • फिर अंत में माता की आरती करें, और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा-प्रार्थना करें।

महालक्ष्मी व्रत पर जरूर करें ये कार्य

  • किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए महालक्ष्मी देवी के साथ विष्णु जी की भी आराथना करें।
  • धन-समृद्धि पाने के लिए माता महालक्ष्मी को गुलाब का पुष्प चढ़ाकर फिर उसे किसी कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें।
  • कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी व्रत के 16 दिनों तक हर सुबह स्नान करके तुलसी माता को जल चढ़ाएं।
  • सुख शांति पाने की इच्छा रखने वाले जातक महालक्ष्मी व्रत के दौरान दान पुण्य अवश्य करें।

महालक्ष्मी व्रत के लाभ

महालक्ष्मी व्रत के पालन से अनेक लौकिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इसके प्रमुख लाभ हैं:

  • माँ लक्ष्मी की कृपा से धन, वैभव और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  • गृह में दरिद्रता दूर होती है और समृद्धि का वास होता है।
  • व्रती को व्यापार, नौकरी, और कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  • दाम्पत्य जीवन में सुख, प्रेम और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
  • जो स्त्रियाँ यह व्रत करती हैं, उन्हें सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • जीवन में आए विघ्न, संकट और बाधाएँ दूर होती हैं।
  • भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है

महालक्ष्मी व्रत के धार्मिक उपाय

इस व्रत में कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं, जो श्रद्धा से करने पर शीघ्र फलदायी होते हैं:

  • लक्ष्मी नारायण का युगल पूजन करें – केवल लक्ष्मी जी ही नहीं, श्रीहरि विष्णु के साथ पूजन करने से देवी की कृपा स्थायी रूप से प्राप्त होती है।
  • शंख से जल चढ़ाएं – शंख में जल भरकर लक्ष्मी जी पर चढ़ाएं, इससे माँ का आह्वान शुभ माना जाता है।
  • लाल वस्त्र और कमल पुष्प अर्पित करें – ये महालक्ष्मी को अत्यंत प्रिय हैं, विशेष रूप से लाल चुनरी व सोलह श्रृंगार।
  • गरीबों को अनाज और वस्त्र का दान करें – महालक्ष्मी जी प्रसन्न होकर अपने भक्त को दान की गई वस्तु का हजार गुना फल देती हैं।
  • घर की उत्तर दिशा को स्वच्छ और सजाया हुआ रखें – क्योंकि यह दिशा देवी लक्ष्मी का स्थान माना गया है।
  • प्रत्येक व्रत वाले दिन लक्ष्मी स्तोत्र, श्रीसूक्त या कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें – यह पाठ अत्यंत फलदायी होता है।
  • भोजन में सात्विकता रखें – तामसिक वस्तुओं और क्रोध, लोभ से दूर रहें।

महालक्ष्मी व्रत और कोजागरी पूर्णिमा का संबंध

महालक्ष्मी व्रत का समापन कोजागरी पूर्णिमा (या शरद पूर्णिमा) के पास आने वाली आश्विन कृष्ण अष्टमी को किया जाता है। व्रत की अवधि भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरू होकर 15 या 16 दिन चलती है, और यह अवधि कोजागरी के निकट आती है।

कोजागरी पूर्णिमा को भी महालक्ष्मी की विशेष रात्रि माना जाता है, क्योंकि यह वह रात होती है जब देवी लक्ष्मी भ्रमण पर निकलती हैं और देखती हैं..."को जागर्ति?" अर्थात "कौन जाग रहा है?" जो जागता मिलता है, देवी उसे धन और समृद्धि का वरदान देती हैं।

इसलिए महालक्ष्मी व्रत और कोजागरी पूर्णिमा का संबंध धन, सौभाग्य और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति से जुड़ा है। व्रत रखने वाला व्यक्ति यदि कोजागरी की रात भी जागरण, जप और ध्यान करता है, तो यह व्रत पूर्णता और फल की सिद्धि की ओर ले जाता है।

तो यह थी महालक्ष्मी व्रत के शुभ मुहूर्त व महत्व से जुड़ी जानकारी, हमारी कामना है कि आपका ये व्रत सफल हो, और माता महालक्ष्मी आपकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण करें। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर

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Published by Sri Mandir·August 14, 2025

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