जानिए वृंदावन के प्रियकांत जू मंदिर का निर्माण इतिहास, अनोखी स्थापत्य शैली, दर्शन का समय और यात्रा से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।
प्रियकांत जू मंदिर वृंदावन का एक भव्य और आधुनिक मंदिर है, जो श्री राधा-कृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर अपनी अनोखी वास्तुकला और आकर्षक परिसर के कारण भक्तों और पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है। मान्यता है कि यहाँ दर्शन और पूजा करने से भक्तों को प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
प्रियकांत जू मंदिर उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर मथुरा के वृंदावन में स्थित एक भव्य और आधुनिक मंदिर है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। यहां राधा-कृष्ण की मनमोहक मूर्ति दर्शनार्थियों को अत्यंत आनंदित करती है। मंदिर का नाम “प्रियकांत” राधा (प्रिय) और कृष्ण (कांत) के नामों के मेल से बना है।
इस मंदिर के निर्माण का संकल्प वर्ष 2007 में विश्व शांति चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा लिया गया था। 2009 में संत श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज द्वारा मंदिर की आधारशिला रखी गई। इसके बाद 2012 में प्रथम चरण का निर्माण कार्य शुरू हुआ। मंदिर को पूर्ण रूप से तैयार होने में कुल सात वर्ष लगे और इसे 8 फरवरी 2016 को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिया गया।
प्रियकांत जू मंदिर विशेष रूप से होली के त्योहार के लिए प्रसिद्ध है। ब्रज की होली की भव्यता को देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु यहां आते हैं। होली के रंग में सराबोर यह मंदिर श्रद्धालुओं को ब्रज की संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनुभव कराता है। मंदिर की शाम की आरती और नीली रोशनी में नहाया हुआ वातावरण भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है। यह समय दर्शन हेतु सबसे उपयुक्त माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला
प्रियकांत जू मंदिर की वास्तुकला अत्यंत आकर्षक और आधुनिक शैली की है। यह मंदिर कमल के आकार में बना हुआ है, जिसकी ऊँचाई लगभग 125 फीट है। मंदिर के दोनों ओर आकर्षक फव्वारे लगे हैं जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाते हैं। मंदिर संगमरमर से निर्मित है, जिसे मकराना (राजस्थान) से लाया गया था। मंदिर परिसर में राधा-कृष्ण के अतिरिक्त भगवान शिव, श्री गणेश और हनुमान जी के छोटे मंदिर भी स्थित हैं।
प्रियकांत जू मंदिर, वृंदावन का प्रसाद
प्रियकांत जू मंदिर में भगवान को पेड़ा, बूंदी, रेवड़ी, और बेसन की सेवैयां का भोग अर्पित किया जाता है। साथ ही, श्रद्धालु पुष्प अर्पण भी करते हैं।
हवाई मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा आगरा है, जो मथुरा से लगभग 75 किलोमीटर दूर है। वहां से टैक्सी, बस या ऑटो के माध्यम से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग
मथुरा जंक्शन और मथुरा कैंट दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। दोनों स्टेशनों से ऑटो या टैक्सी के जरिए मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग
मथुरा बस स्टैंड उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। बस स्टैंड से मंदिर तक पहुँचने के लिए ऑटो रिक्शा या टैक्सी उपलब्ध हैं।
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