जानिए श्री मध्य स्वामी मलाई मंदिर का इतिहास, दर्शन, अभिषेक का समय और कैसे पहुँचें।
श्री मध्य स्वामी मलाई मंदिर, भोपाल उन प्रमुख हिन्दू मंदिरों में से एक है जो भगवान कार्तिकेय (स्वामिनाथ) को समर्पित है। इसकी स्थापना 1984 में कांची कामकोटी पीठ द्वारा हुई थी। एक छोटी पहाड़ी पर यह मंदिर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं का केंद्र है। आइये जानते हैं इसके बारे में...
भोपाल के अरेरा कॉलोनी में एक छोटी पहाड़ी पर स्थित श्री मध्य स्वामी मलाई मंदिर भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। यह मंदिर दक्षिण भारत की चोला वास्तुकला से प्रेरित है और इसका नाम “मलाई” तमिल भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है पहाड़ी। यह मंदिर तमिल, तेलगू, मलयालम और कन्नड़ समुदाय के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यहाँ प्रतिदिन श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या दर्शन के लिए आती है और दिव्यता व आध्यात्मिक शांति का अनुभव करती है।
श्री मध्य स्वामी मलाई मंदिर की स्थापना 1978 में श्री कांची कामकोटि पीठम के पूज्यश्री जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीजी के आशीर्वाद से की गई थी। मंदिर का निर्माण कार्य 6 वर्षों में पूरा हुआ और 1984 में इसे कुंभाभिषेकम द्वारा पवित्र किया गया। इसके बाद 1997 और 2008 में भी कुंभाभिषेकम सम्पन्न हुए। यह अभिषेक समारोह 12 वर्षों में एक बार आयोजित होते हैं, जिनका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है।
भगवान कार्तिकेय को शत्रु नाशक और बाधा निवारक देवता माना जाता है। श्रद्धालु मानते हैं कि यहां दर्शन करने से विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है। दूध से अभिषेक कराने पर शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मंदिर की स्थापत्य कला चोला शैली की है, जिसमें दक्षिण भारत की भव्यता स्पष्ट झलकती है। मंदिर में स्थापित मूर्तियां काले ग्रेनाइट पत्थरों से बनी हैं। मंदिर परिसर में बने खंभे, दीवारें और छतों पर अद्भुत नक्काशी की गई है। मंदिर में भगवान कार्तिकेय (स्वामीनाथ), भगवान गणेश, शिवजी, देवी कामाक्षी, भगवान वेंकटेश्वर, श्रीकृष्ण, हनुमान जी, नवग्रह, नाग देवता और श्री पादुका की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर में मोर को भगवान कार्तिकेय के वाहन के रूप में पाला जाता है।
भगवान कार्तिकेय को दूध से अभिषेक किया जाता है। श्रद्धालु पुष्प, नारियल, शॉल और पारंपरिक वस्त्र चढ़ाते हैं। अन्य देवी-देवताओं को लड्डू, बताशा और अन्य पारंपरिक प्रसाद अर्पित किए जाते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा भोपाल का राजाभोज अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है। यहाँ से टैक्सी या बस से मंदिर पहुंचा जा सकता है।
नजदीकी रेलवे स्टेशन हबीबगंज है, जो मंदिर से लगभग 2 किमी दूर है। स्टेशन से ऑटो या रिक्शा लेकर आसानी से मंदिर पहुंचा जा सकता है।
भोपाल देश के प्रमुख सड़कों से जुड़ा हुआ है। निजी वाहन या बस के माध्यम से अरेरा कॉलोनी स्थित मंदिर तक सरलता से पहुँचा जा सकता है। मंदिर भोपाल बस स्टैंड से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है।
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