जानिए इस प्राचीन मंदिर का इतिहास, दर्शन व आरती समय और कैसे पहुँचें।
वेणी माधव मंदिर प्रयागराज में स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान विष्णु के रूप ‘वेणी माधव’ को समर्पित है। संगम स्नान के बाद यहां दर्शन करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस लेख में जानिए मंदिर का इतिहास, दर्शन समय और इससे जुड़ी खास बातें।
जैसे काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है, वैसे ही प्रयागराज को भगवान विष्णु की नगरी माना जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित वेणी माधव मंदिर प्रयागराज के दारागंज स्थित निराला मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर प्रयाग के 12 प्रमुख माधव मंदिरों में से एक है और स्थानीय रूप से वाणी माधव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।
वेणी माधव मंदिर लगभग 171 वर्ष पुराना है। इसका निर्माण श्रीमंत दौलत राव सिंधिया की पत्नी बैजा बाई साहब ने 1835 ईस्वी में करवाया था। यह मंदिर प्रयागराज के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वैष्णव संत चैतन्य महाप्रभु ने यहां तपस्या की थी और संकीर्तन किया था। पद्म पुराण के अनुसार वेणी माधव प्रयाग के मुख्य देवता हैं। मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार पर लगे शिलालेख के अनुसार इसका प्रबंधन सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट, ग्वालियर के अधीन है।
ऐसा माना जाता है कि सृष्टि रचना पूर्ण करने के बाद ब्रह्मा जी ने प्रयाग में पहला यज्ञ किया था। इसी कारण प्रयागराज को सभी तीर्थों का उद्गम स्थल कहा गया है। यहां भगवान विष्णु स्वयं वेणी माधव के रूप में विराजमान हैं। संगम में स्नान करने के बाद वेणी माधव जी के दर्शन करने से पुण्य की पूर्णता मानी जाती है। यह मान्यता विभिन्न पुराणों और रामचरितमानस में भी वर्णित है। यह मंदिर भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है।
मंदिर की वास्तुकला विशिष्ट मराठी शैली को दर्शाती है। इसका शिखर सुंदर नक्काशी से अलंकृत है और उसके शीर्ष पर चमकदार पीतल की संरचना लगी है। शिखर पर सिंधिया राजवंश का प्रतीक चिन्ह – दो नागों से घिरे सूर्य का चित्र भी उकेरा गया है। मंदिर के मुख्य द्वार पर काले रंग का विशाल फाटक है, और पत्थर की सीढ़ियां गर्भगृह तक ले जाती हैं जहां श्री वेणी माधव, गरुण और बैजा बाई की मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर के ऊपर स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की तस्वीरें भी लगी हुई हैं।
मंदिर में भगवान वेणी माधव जी को लड्डू, ड्राई फ्रूट्स, फल और पेड़े का भोग लगाया जाता है। भक्तगण श्रद्धा से यह प्रसाद अर्पित करते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा
बमरौली एयरपोर्ट, प्रयागराज यहां से मंदिर तक ऑटो और बस आसानी से उपलब्ध हैं।
रेलवे स्टेशन
प्रयागराज जंक्शन, जो मंदिर से लगभग 1.75 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से मंदिर तक बस, रिक्शा या ऑटो द्वारा पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग
उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से प्रयागराज के लिए नियमित राज्य परिवहन निगम की बस सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा निजी बसें और टैक्सी सेवाएं भी प्रयागराज तक सुगमता से पहुंचती हैं।
Did you like this article?
बाँके बिहारी मंदिर वृंदावन का इतिहास, दर्शन और आरती के समय, वास्तुकला और मंदिर तक पहुँचने का मार्ग जानिए। यह मंदिर श्रीकृष्ण भक्तों के लिए अत्यंत पावन स्थल है।
कालभैरव मंदिर उज्जैन का इतिहास, दर्शन और आरती का समय, वास्तुकला और मंदिर तक पहुँचने का मार्ग जानिए। यह मंदिर उज्जैन के रक्षक देवता कालभैरव को समर्पित एक रहस्यमयी और पवित्र स्थल है।
तक्षकेश्वर नाथ मंदिर प्रयागराज का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन और आरती के समय व मंदिर तक पहुँचने का मार्ग जानिए। यह मंदिर भगवान शिव के तक्षक रूप को समर्पित है।