जानिए कालभैरव मंदिर का इतिहास, दर्शन व आरती का समय और उज्जैन में इसकी विशेषता।
कालभैरव मंदिर उज्जैन में स्थित एक रहस्यमय और प्राचीन मंदिर है, जो भगवान शिव के भैरव रूप को समर्पित है। यह मंदिर खास तौर पर इस वजह से प्रसिद्ध है कि यहां भगवान को शराब का भोग लगाया जाता है। इस लेख में जानिए कालभैरव मंदिर का इतिहास, मान्यता, दर्शन का समय और इससे जुड़ी अनोखी बातें।
भगवान कालभैरव का यह प्रसिद्ध मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के किनारे भैरवगढ़ क्षेत्र में स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर करीब 6,000 वर्ष पुराना है। कालभैरव को उज्जैन का रक्षक और कोतवाल माना जाता है। यह मंदिर भगवान कालभैरव के वैष्णव स्वरूप को समर्पित है और भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा और आस्था का केंद्र है।
कालभैरव मंदिर का उल्लेख स्कन्द पुराण के अवंती खंड में भी मिलता है। इस मंदिर का निर्माण राजा भद्रसेन ने करवाया था। परमार शासनकाल (9वीं से 13वीं शताब्दी) में इस स्थान पर शिव, पार्वती, विष्णु और गणेश की अनेक प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं। राजा भोज के शासनकाल में इस मंदिर का पुनर्निर्माण भी हुआ। यह मंदिर उज्जैन की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है।
उज्जैन के राजा महाकाल ने कालभैरव को नगर की रक्षा का कार्य सौंपा था, इसलिए इन्हें शहर का कोतवाल भी कहा जाता है। इस मंदिर में विशेष बात यह है कि भगवान कालभैरव को मदिरा का भोग लगाया जाता है। यह एक रहस्य बना हुआ है कि मूर्ति में चढ़ाई गई मदिरा कहां जाती है। इसे देखने के लिए प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। कालभैरव की मूर्ति सिंधिया राजवंश द्वारा भेजी गई पगड़ी पहनती है, जो कि वर्षों पुरानी परंपरा है।
कालभैरव मंदिर मराठा स्थापत्य शैली में निर्मित है। मंदिर की दीवारों पर मालवा शैली की चित्रकारी के अवशेष आज भी दिखाई देते हैं। गर्भगृह में भगवान कालभैरव की प्रतिमा एक विशाल चट्टान के रूप में विराजमान है, जो मंदिर की प्राचीनता और दिव्यता को दर्शाती है।
भगवान कालभैरव को विशेष रूप से मदिरा का भोग लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त मावे और बेसन के लड्डू भी अर्पित किए जाते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा
इंदौर स्थित देवी अहिल्या बाई होल्कर एयरपोर्ट, जो कालभैरव मंदिर से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी और ऑटो से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
निकटतम रेलवे स्टेशन
उज्जैन रेलवे स्टेशन, जो मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर है। स्टेशन से बस, ऑटो या टैक्सी द्वारा मंदिर पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग
मध्य प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से उज्जैन के लिए राज्य परिवहन की नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। निजी वाहन या टैक्सी द्वारा भी उज्जैन सरलता से पहुंचा जा सकता है।
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