जानिए इंदौर के प्रसिद्ध कांच मंदिर का इतिहास, दर्शनीय विशेषताएं, दर्शन समय और वहाँ पहुँचने का आसान तरीका।
इंदौर का कांच मंदिर न केवल अपनी अनोखी बनावट के लिए जाना जाता है, बल्कि यह जैन धर्म की आस्था का भी एक प्रमुख केंद्र है। मंदिर की दीवारों, छतों और स्तंभों पर बारीकी से जड़ा कांच इसकी खूबसूरती को और भी विशेष बनाता है। इस लेख में जानिए कांच मंदिर का इतिहास, इसकी खास बनावट और धार्मिक महत्व से जुड़ी रोचक बातें।
कांच मंदिर मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर इंदौर में स्थित है। यह मंदिर न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। इसकी विशेषता यह है कि मंदिर का पूरा आंतरिक भाग – छत, खंभे, दरवाज़े, खिड़कियां और झूमर – सब कुछ कांच से निर्मित है। यह जैन धर्म का प्रमुख मंदिर है, लेकिन इसकी सुंदरता और विशिष्ट शिल्पकला सभी धर्मों के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करती है।
कांच मंदिर का निर्माण 1913 में इंदौर के प्रतिष्ठित उद्योगपति सर सेठ हुकुमचंद ने करवाया था। विक्रम संवत 1978, आषाढ़ सुदी 7, सोमवार (1921 ई.) को यहां मूर्ति स्थापना की गई। यह मंदिर मूलतः सेठ हुकुमचंद के निजी उपयोग के लिए बनवाया गया था, परंतु यह सभी के लिए खुला रखा गया। मंदिर के निर्माण पर लगभग ₹1,62,000 की लागत आई थी और इसमें करीब 250 कारीगरों ने कार्य किया था। मंदिर की दीवारों पर की गई कलाकृतियों में जैन धर्म की शिक्षाएं चित्रित हैं।
कांच मंदिर का संपूर्ण आंतरिक भाग कांच से बना हुआ है। इसमें जैन मुनियों की कलाकृतियों और जैन धर्म से संबंधित नक्काशियों को दर्शाया गया है। यहां स्थापित भगवान शांतिनाथ की काली संगमरमर की मूर्ति राजस्थान से लाई गई थी। चूंकि इस मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है, इसे चेतालय कहा जाता है। मंदिर में रखे गए सोने के रथ और पालकी का उपयोग महावीर जयंती के अवसर पर किया जाता था।
मंदिर में श्री चंद्रप्रभा भगवान और आदिनाथ भगवान की मूर्तियां स्थापित हैं। शांतिनाथ भगवान की काले पत्थर की मूर्ति जयपुर में निर्मित है। मंदिर की पूरी सजावट बेल्जियम से मंगाए गए कांच से की गई है। खंभे लाल पत्थर के बने हैं और प्रवेश द्वार लकड़ी का है जिस पर चांदी की परत चढ़ाई गई है। मंदिर की दीवारों पर की गई कांच की नक्काशी और अद्भुत कारीगरी ईरान और जयपुर के कारीगरों द्वारा की गई है। यह कांच इतनी कुशलता से लगाया गया है कि देखने पर 3D प्रभाव उत्पन्न होता है। इस मंदिर की दीवारों और संरचना को सीमेंट की बजाय चूने से जोड़ा गया है। मंदिर की वास्तुकला का डिज़ाइन स्वयं सेठ हुकुमचंद द्वारा तैयार किया गया था।
निकटतम हवाई अड्डा
देवी अहिल्या बाई होल्कर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, इंदौर – मंदिर से लगभग 5.8 किलोमीटर दूर। यहां से ऑटो और बस की सुविधा आसानी से उपलब्ध है।
रेलवे स्टेशन
इंदौर रेलवे स्टेशन – मंदिर से लगभग 2.7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बस स्टैंड
गंगवाल बस स्टैंड – मंदिर से लगभग 1.3 किलोमीटर की दूरी पर। मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों और कस्बों से इंदौर के लिए नियमित सरकारी और निजी बस सेवाएं उपलब्ध हैं। निजी वाहनों और टैक्सी के माध्यम से भी मंदिर तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
Did you like this article?
प्रयागराज के पड़िला गांव में स्थित पड़िला महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। जानिए इस मंदिर का पौराणिक इतिहास, धार्मिक मान्यताएं, दर्शन व पूजा का समय और वहाँ तक पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी।
वृन्दावन के प्राचीन मदन मोहन मंदिर का इतिहास, श्रीकृष्ण भक्ति में इसका महत्व, मंदिर की स्थापत्य विशेषताएं, दर्शन व आरती समय और वहाँ पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी जानिए। यह मंदिर वैष्णव परंपरा का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
उज्जैन स्थित राम जानकी मंदिर भगवान श्रीराम और माता सीता को समर्पित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। जानिए इस मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन व आरती का समय, और वहाँ पहुँचने का मार्ग।