जानिए हर की पौड़ी का धार्मिक महत्व, गंगा आरती की भव्यता, इतिहास और वहाँ कैसे पहुँचें।
हरिद्वार की हर की पौड़ी गंगा तट का वह पवित्र स्थल है, जहाँ हर शाम होने वाली गंगा आरती आत्मा को शांति और भक्ति से भर देती है। मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए हर की पौड़ी का धार्मिक महत्व, इतिहास और इससे जुड़ी खास आस्थाएं।
हर की पौड़ी भारत के उत्तराखंड राज्य के पवित्र शहर हरिद्वार में स्थित है। यह स्थल गंगा नदी के तट पर स्थित सबसे पवित्र और धार्मिक स्थानों में से एक है। 'हर की पौड़ी' का अर्थ है "भगवान श्री हरि (विष्णु) के चरण"। माना जाता है कि यहीं से गंगा नदी पहाड़ों से उतरकर मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है। यह स्थान हिंदू श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक पुण्यदायक और मोक्षदायी माना जाता है।
"पौराणिक कथाओं के अनुसार" हर की पौड़ी का निर्माण पहली शताब्दी ईसा पूर्व में राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भर्तृहरि की स्मृति में करवाया था। भर्तृहरि गंगा तट पर तपस्या करते थे। 19वीं शताब्दी में घाट की सीढ़ियों पर मंदिरों का निर्माण हुआ और 1938 में पंडित हरज्ञान सिंह कटारा (आगरा) द्वारा घाटों का विस्तार किया गया। 1986 में घाटों का पुनर्निर्माण हुआ। यह भी कहा जाता है कि राजा श्वेत ने यहां ब्रह्मा जी की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इसे 'ब्रह्म कुंड' का नाम दिया।
समुद्र मंथन की कथा के अनुसार, अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरी थीं हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज। हर की पौड़ी उन्हीं में से एक स्थान है। यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और गंगा जल को घर ले जाकर पूजा में उपयोग किया जाता है। हर की पौड़ी में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान और आरती के लिए आते हैं।
हर की पौड़ी एक सुंदर घाट है जो गंगा नदी के किनारे विस्तारित है। घाट के पास कई छोटे मंदिर हैं, जिनमें ब्रह्म कुंड विशेष रूप से प्रसिद्ध है। घाट की दीवारों में एक पत्थर पर विष्णु भगवान का चरण चिन्ह अंकित है। यहां प्रतिदिन सुबह और शाम को गंगा आरती होती है, जो दीप, मंत्रोच्चार और घंटियों की मधुर ध्वनि के साथ दिव्य अनुभव प्रदान करती है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से घाट के पास नारंगी और सफेद जीवन रक्षक टावर भी लगाए गए हैं।
गर्मियों में
सर्दियों में
नोट: आरती में भाग लेने के लिए आधे घंटे पहले पहुंचना उचित माना जाता है।
यहां गंगा माता को फूल, दीपक और मिठाई अर्पित की जाती है। श्रद्धालु अपने घरों के लिए गंगा जल भरकर ले जाते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा
रेल मार्ग
हरिद्वार रेलवे स्टेशन से हर की पौड़ी की दूरी कुछ ही किलोमीटर है। स्टेशन से ऑटो और रिक्शा आसानी से मिलते हैं।
सड़क मार्ग
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड के अन्य प्रमुख शहरों से हरिद्वार के लिए राज्य परिवहन और निजी बसें उपलब्ध हैं।
हर की पौड़ी न केवल एक पवित्र धार्मिक स्थल है, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है, जहां गंगा आरती की दिव्यता और गंगा जल की पवित्रता आत्मा को शुद्ध करती है।
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