जन्माष्टमी व्रत विशेष

जन्माष्टमी व्रत विशेष

1 हज़ार एकादशी के समान है जन्माष्टमी व्रत का महत्व


1 हजार एकादशी के समान है जन्माष्टमी व्रत का महत्व



जन्माष्टमी एक ऐसा त्योहार है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। इस दिन हमारे पालनहार श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए यह पर्व हर हिंदू के जीवन में विशेष महत्व रखता है। इस त्योहार में लाखों लोगों की आस्था व्याप्त है और यह लोगों के मन में श्रीकृष्ण के प्रति असीम प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। आज हम इसी आस्था, प्रेम एवं इस पर्व के महत्व के बारे में विस्तार से बात करेंगे:

श्रीकृष्ण को हम सब अपने आराध्य के रूप में देखते हैं और उनकी पूजा-पाठ का हर अवसर हमारे लिए बेहद खास होता है। वैसे तो जन्माष्टमी पर्व के महात्म्य को शब्दों में पिरो पाना मुश्किल है, लेकिन आज हम इसके महत्व से जुड़ी हुई प्रमुख बातें आपको बताएंगे।

श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हमारे पूरे देश में उमंग की एक नई लहर लेकर आता है, जिसमें सभी लोग सराबोर हो जाते हैं। इस दिन लाखों लोग मंदिरों में, अपने घरों में कीर्तन, भजन गाते हुए श्री कृष्ण के जन्म का इंतज़ार करते हैं। जन्माष्टमी केवल एक त्योहार ही नहीं, बल्कि बहुत से लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी हुईं हैं। यह वह दिन है जहां हर कोई भगवान श्रीकृष्ण का स्वागत एक शिशु की तरह अपने घर में करता है और उनके प्रति अपने स्नेह को व्यक्त करता है।

प्रेम, सत्य, न्याय और धर्म कृष्ण के जीवन का आधार है। कृष्ण ने अपने हर रूप में इन चार स्तंभों को स्थापित किया। बालकाल में कालिया सर्प को हराकर उन्होंने गोकुलवासियों को भय मुक्त किया। इंद्र का प्रकोप जब गोकुल पर वर्षा के रूप में बरस रहा था, तब गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर उन्होंने इंद्र का अभिमान भी तोड़ा और पूरे गांव की रक्षा भी की। कंस और शिशुपाल जैसे क्रूर राजाओं का वध किया, महाभारत में सारथी बनकर गीता का उपदेश दिया, राधा से प्रेम किया और जगत में प्रेम की एक नई परिभाषा लिखी।

भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पैदा हुए। उनके जन्म के समय अर्धरात्रि (आधी रात) थी, चन्द्रमा उदय हो रहा था और उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

शास्त्रों में भी जन्माष्टमी के महत्व का वर्णन किया गया है। इसके संदर्भ में हमें मिलता है कि अगर आप जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं तो आपको एक हज़ार एकादशी व्रत के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। जैसा कि हम सभी को पता है कि एकादशी के व्रत को मोक्षदायी और श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है। लेकिन एकादशी व्रत रख पाना हर किसी के लिए संभव नहीं होता, ऐसे में आप जन्माष्टमी का व्रत रखकर एकादशी के समान पुण्य अर्जित कर सकते हैं।

आपको बता दें, यह भी माना जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। इसलिए अगर संभव हो पाए तो आप जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर व्रत अवश्य रखें और पूरे दिन श्रीकृष्ण का स्मरण करें।

श्री कृष्ण हर रूप में अद्भुत है! उनके जन्मोत्सव का महत्व ही यही है कि मनुष्य रूप में भी वे अद्वितीय है। हमेशा अपने भक्तों की सुनने वाले कृष्ण के जन्म की तिथि जन्माष्टमी पर व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इसके अलावा कृष्ण भक्त इस व्रत को शांति का मार्ग पाने का एक माध्यम भी मानते हैं। जिन स्त्रियों को संतान सुख की कामना है उन्हें यह व्रत अवश्य रखना चाहिए।

तो आपने जाना कि किस प्रकार श्रीकृष्ण जी का जन्मोत्सव हर हिंदू के लिए कितना महत्वपूर्ण है साथ ही हमने शास्त्रों में वर्णित इसके महात्म्य के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। ऐसे ही अन्य आवश्यक जानकारी के लिए जुड़े रहें श्री मंदिर की वेबसाइट के साथ।


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