वामन द्वादशी 2025 की तिथि, पूजा विधि और महत्व जानें। वामन भगवान के व्रत से प्राप्त करें आशीर्वाद और जीवन में सुख-शांति!
वामन द्वादशी हिंदू धर्म में एक पावन तिथि मानी जाती है, जो भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित होती है। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है।
भगवान विष्णु को समर्पित पवित्र वामन द्वादशी प्रति वर्ष 2 बार मनाई जाती है। एक चैत्र माह की शुक्ल द्वादशी तिथि को, और दूसरी बार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को। आपको बता दें कि विष्णु जी के दस अवतारों में से वामन उनका पांचवां अवतार है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:10 AM से 04:56 AM तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:33 AM से 05:41 AM तक |
अभिजित मुहूर्त | कोई नहीं |
विजय मुहूर्त | 02:06 PM से 02:56 PM तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:17 PM से 06:40 PM तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:18 PM से 07:26 PM तक |
अमृत काल | 07:21 AM से 09:05 AM तक |
निशिता मुहूर्त | 09 अप्रैल, 11:36 PM से 10 अप्रैल 12:22 AM तक |
ऐसी मान्यता है कि इस द्वादशी तिथि पर श्री हरि के वामन अवतार की पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। कहा जाता है कि यदि आप प्रतिदिन भगवान वामन को अर्पित किए हुए शहद का सेवन करते हैं, तो हर प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलेगी। वामन द्वादशी के विशेष पूजन व व्रत से व्यावसायिक सफलता मिलती है व पारिवारिक क्लेश दूर होता है।
वामन देव की पूजा का हिंदुओं में बहुत महत्व है। भगवान वामन श्री हरि के अवतार हैं, जो एक ब्राह्मण के रूप में पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। उन्होंने देवताओं और राक्षसों के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए अवतार लिया था। वामन द्वादशी पर वामन देव की पूजा होती है। यह एक ऐसा दिन है जो बुराई पर अच्छाई और अहंकार पर भक्ति की जीत का प्रतीक है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान वामन की पूजा करने से भक्त मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं और अपने पिछले जन्म के सभी पापों और कष्टों से छुटकारा पा सकते हैं। इसके अलावा भगवान विष्णु उन्हें सभी सांसारिक सुखों और खुशियों का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
तो यह थी वामन द्वादशी के शुभ मुहूर्त और तिथि से जुड़ी जानकारी, हम आशा करते हैं कि आपका व्रत सफल हो।
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