आद्याकाली जयंती 2025 कब है?
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आद्याकाली जयंती 2025 कब है?

2025 में आद्याकाली जयंती कब मनाई जाएगी? जानिए इस पावन अवसर की तिथि, देवी आद्याकाली की महिमा और पूजन की संपूर्ण जानकारी।

आद्याकाली जयंती के बारे में

आद्याकाली जयंती देवी कालिका के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन शक्ति, साहस और नारीत्व की प्रतीक माँ काली की उपासना का पर्व है, जिसमें भक्त तंत्र-साधना और विशेष पूजा करते हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में...

2025 में कब है आद्याकाली जयंती?

भारतीय सनातन परंपरा में माँ काली को शक्ति, समय और संहार की देवी माना गया है। उनका प्रत्येक रूप एक दिव्य रहस्य, एक आंतरिक शक्ति और एक जीवन-दर्शन को अभिव्यक्त करता है। आद्याकाली जयंती वर्ष 2025 में 15 अगस्त, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह तिथि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पड़ती है। इस दिन को विशेष रूप से माँ काली के आद्य स्वरूप की आराधना के लिए जाना जाता है।

2025 में कब मनाई जाएगी आद्याकाली जयन्ती?

काली जयन्ती: 15 अगस्त, 2025, शुक्रवार को

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 15 अगस्त, रात 11:49 बजे से
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त, रात 09:34 बजे तक
  • निशिता काल पूजा समय: 15 अगस्त रात्रि 11:40 PM से 16 अगस्त रात्रि 12:24 AM तक
  • कुल अवधि - 00 घण्टे 44 मिनट्स

आद्याकाली जयन्ती 2025 का शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:04 ए एम से 04:48 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:26 ए एम से 05:31 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:36 ए एम से 12:28 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:12 पी एम से 03:05 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

06:33 पी एम से 06:55 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

06:33 पी एम से 07:39 पी एम तक

अमृत काल

01:36 ए एम, अगस्त 16 से 03:06 ए एम, अगस्त 16 तक

निशिता मुहूर्त

11:40 पी एम से 12:24 ए एम, अगस्त 16 तक

सर्वार्थ सिद्धि योग

05:31 ए एम से 07:36 ए एम तक

रवि योग

05:31 ए एम से 07:36 ए एम तक

क्या है आद्याकाली जयंती?

"आद्य" का अर्थ होता है "प्रारंभिक" या "मूल"। आद्याकाली अर्थात वह शक्ति जो सृष्टि की उत्पत्ति से पहले विद्यमान थी और समस्त चर-अचर की जन्मदाता हैं। आद्याकाली जयंती वह पर्व है जब साधक देवी काली के उस मूल, उग्र, रक्षक, और न्यायकारी स्वरूप की पूजा करते हैं। यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मा की भीतरी शक्तियों को जगाने और अधर्म के विरुद्ध जागरूकता फैलाने का अवसर भी होता है।

आद्याकाली जयन्ती का महत्व क्या है?

आद्याकाली का स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली तथा तामसी चेतना का प्रतीक है। उन्हें समय और मृत्यु की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है—जो अधर्म का नाश करते हुए सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं। इस दिन की पूजा से मनुष्यों को अंदरूनी भय, बाधाएँ और संक्रामक रोगों से मुक्ति मिलती है, साथ ही जीवन में साहस और धैर्य बढ़ता है।

आद्यकाली और महाकाली में अंतर क्या है?

यद्यपि दोनों रूप देवी काली के ही हैं, फिर भी...

  • आद्यकाली को सृष्टि के आरंभ में प्रकट हुई शक्ति माना जाता है, जो स्वयंभू है।
  • महाकाली को समय (काल) की अधिष्ठात्री माना जाता है — जो ब्रह्मांडीय चक्रों को नियंत्रित करती हैं।

आद्यकाली अधिक अंतरंग, रहस्यमयी और तांत्रिक स्वरूप से जुड़ी हैं, जबकि महाकाली का रूप व्यापक, सर्वभौम और असीमित है।

आद्याकाली जयन्ती व महाकाली जयंती में अंतर

  • आचरण रूप से दोनों पर्व एक ही रूप को सम्प्रेषित करते हैं, लेकिन नाम में और पंचांग-आधारित तिथि में अंतर होता है।
  • आद्याकाली जयन्ती श्रावण/भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को मनाई जाती है, जबकि महाकाली जयंती भी लगभग उसी तिथि पर आती है लेकिन आम लोग इसे महाकाली पूजा या केवल काली पूजा भी कहते हैं
  • इस प्रकार, दोनों नाम धार्मिक दृष्टि से समान देवी की पूजा की ओर इशारा करते हैं, पर संस्कृति, क्षेत्र और पंचांग की परंपरा के आधार पर थोड़ा भिन्न दिखाई देते हैं।

आद्याकाली जयन्ती की पूजाविधि

प्रारंभिक तैयारी

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • व्रत के दिन दिनभर उपवास रखें, संभव हो तो निर्जल व्रत रखें।

मूर्ति स्थापना और पूजन सामग्री

  • काले वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
  • माँ काली का चित्र या प्रतिमा लाल कपड़े पर स्थापित करें।
  • पूजा में लाल फूल (विशेषतः गुड़हल), चावल, नारियल, काले तिल, काजल, धूप, दीपक, कुमकुम, सिंदूर, नींबू आदि का प्रयोग करें।

मंत्र और जप

माँ काली के मंत्रों का जाप करें:

  • ॐ क्रीं कालिकायै नमः
  • ॐ क्रीं काली क्रीं स्वाहा
  • सप्तशती के अर्गला, कवच और कीलक स्तोत्र का पाठ करें।
  • तांत्रिक साधक इस दिन श्री काली सहस्त्रनाम या काली रहस्य का पाठ भी करते हैं।

नैवेद्य और आरती

  • नैवेद्य में नारियल, गुड़, खीर, उबले चने, मीठा पान और लौंग अर्पण करें।
  • माँ की आरती करें और उनसे रक्षण, शक्ति, और आशीर्वाद की याचना करें।

आद्याकाली जयन्ती पूजा के लाभ

  • रोग और भय से मुक्ति: माँ काली की उपासना से मानसिक और शारीरिक रोगों से रक्षा होती है।
  • शत्रुओं का विनाश: माँ काली की पूजा करने से अदृश्य और दृश्य शत्रुओं की शक्ति क्षीण हो जाती है।
  • कुंडलिनी जागरण और साधना सिद्धि: तांत्रिक मार्ग के अनुसार यह दिन विशेष ऊर्जा और साधनात्मक प्रभाव वाला होता है।
  • कर्ज, क्लेश और दुर्भाग्य का नाश: आद्याकाली की कृपा से जीवन में स्थिरता और सुरक्षा आती है।

आद्याकाली जयन्ती पर कैसे पायें माँ काली का आशीर्वाद

आद्याकाली जयन्ती के दिन माँ काली की उपासना करने से भक्तों को अद्भुत शक्ति, साहस और संकटमोचन कृपा प्राप्त होती है। इस दिन यदि भक्त पूर्ण श्रद्धा से कुछ विशेष उपाय करें, तो माँ का आशीर्वाद शीघ्र ही प्राप्त होता है।

1. निशा पूजा करें

  • रात्रि में निशिता काल (11:40 PM से 12:24 AM तक) में माँ काली की पूजा करें। उन्हें लाल पुष्प, काली हल्दी, सिंदूर, घी का दीपक और नैवेद्य अर्पित करें। यह काल तांत्रिक रूप से अत्यंत शक्तिशाली माना गया है।

2. मंत्र जाप

  • माँ काली का बीज मंत्र “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” अथवा महामंत्र “जय काली माँ” का 108 बार जाप करें। शांत चित्त से जाप करने से मन में साहस और आत्मविश्वास आता है।

3. उपवास एवं सात्त्विकता

  • इस दिन उपवास रखें या फलाहार करें। पूजा से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और मानसिक रूप से भी स्वच्छ रहें। माँ काली का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आहार-विहार में संयम जरूरी है।

4. तामसिक आचरण से बचें

  • माँ काली के भक्तों को इस दिन क्रोध, कटु भाषण, मांस-मदिरा सेवन, झूठ और हिंसा से दूर रहना चाहिए। माँ की कृपा पवित्र आचरण से ही प्राप्त होती है।

5. कन्याओं व स्त्रियों का सम्मान करें

  • इस दिन किसी कन्या को भोजन कराना, वस्त्र दान करना या उनका आशीर्वाद लेना विशेष फलदायी होता है। यह देवी की कृपा को सहज बनाता है।

6. दीप प्रज्वलन

  • पूजा के पश्चात माँ काली के समक्ष नौ दीपक जलाकर उन्हें प्रणाम करें। यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है।

7. हृदय से प्रार्थना करें

  • माँ काली केवल विधि-विधान से नहीं, बल्कि मन की सच्चाई और विश्वास से प्रसन्न होती हैं। उनसे निडर होकर अपनी समस्याएं कहें और शक्ति की याचना करें।

यदि उपरोक्त सभी उपाय सच्चे मन और श्रद्धा से किए जाएं, तो माँ आद्याकाली की कृपा से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और आत्मबल, सुरक्षा व मानसिक शांति प्राप्त होती है।

माँ काली को प्रसन्न करने के उपाय

  • रात में एक दीपक काले तिल के तेल का जलाएं।
  • प्रत्येक मंत्र जाप के बाद नींबू चढ़ाएँ।
  • किसी गरीब महिला को लाल साड़ी या श्रृंगार सामग्री दान करें।
  • रविवार या अष्टमी से आरंभ कर नौ दिन तक "काली गायत्री मंत्र" का जाप करें।
  • पूरी श्रद्धा से काली स्तोत्र, मंत्र जाप और आरती करें।
  • पूजा विंदु को स्वच्छ रखें, देवी को तुलसी का पत्ता, लाल वस्त्र और पुष्प चढ़ाएं।
  • भक्तों के लिए दान-धर्म, विशिष्ट रूप से गरीबों को भोजन, वस्त्र या जल देना विशेष पुण्यदायी माना जाता है।

आद्यकाली जयंती पर क्या करें

  • ब्रह्मचर्य और सात्विकता का पालन करें।
  • माँ काली को दीपक, धूप, पुष्प, फल, नारियल, लाल वस्त्र अर्पित करें।
  • श्रद्धा, निष्ठा और भाव से माँ की आराधना करें।
  • मंत्रों और स्तोत्रों का जाप करें।
  • व्रत रखें और कथा श्रवण करें।
  • रात को ध्यान और साधना में मन लगाएं।
  • दिनचर्या में संयम, सत्य और दया बनाए रखें।

आद्याकाली जयन्ती पर क्या नहीं करना चाहिए?

  • इस दिन हिंसा, क्रोध, अपशब्द और छल-कपट से पूरी तरह परहेज करें।
  • पूजा के समय अशुद्धता या जल्दबाज़ी न करें।
  • भक्तगण व्रत कथा अधूरी छोड़ना, या अपवित्र भोजन ग्रहण करना - यह भूल कर भी नहीं करना चाहिए।
  • किसी भी रूप में अपवित्रता (मन, वचन, कर्म) से बचें।
  • माँ के मंदिर में जूते पहनकर न जाएं।
  • झूठ, निंदा, कटाक्ष या अपवित्र विचारों से दूर रहें।

आद्याकाली जयंती, केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह एक साधक की आत्मिक यात्रा की शुरुआत है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जब-जब संसार में अंधकार बढ़ता है, तब-तब आदिशक्ति प्रकट होकर अधर्म का विनाश करती है। इस दिन की साधना, हमारे जीवन को भय से मुक्त, ऊर्जावान और दिव्य बनाती है।

यदि आप माँ काली के प्रति पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा रखते हैं, तो यह दिन आपके लिए चमत्कारी सिद्ध हो सकता है।

जय माँ आद्याकाली

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Published by Sri Mandir·August 6, 2025

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