मातंगी जयंती 2025: सही तिथि और पूजा विधि जानें, और इस विशेष दिन पर मातंगी देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें
मातंगी जयंती देवी मातंगी की पूजा का विशेष दिन है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं। यह जयंती वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। देवी मातंगी को वाणी, ज्ञान, संगीत और कला की अधिष्ठात्री माना जाता है। इस दिन भक्त साधना और मंत्र जाप करते हैं।
मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की आराधना करने से मनुष्य को दरिद्रता से जीवन भर के लिए छुटकारा मिलता है, साथ ही ज्ञान व सम्मान में भी निरंतर वृद्धि होती है।
हर वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मातंगी जयंती मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह दिन मई या अप्रैल के महीने में पड़ता है।
मातंगी देवी को दस महाविद्याओं से 9वां यानि बुद्धि की देवी माना जाता है। मातंगी देवी 'तांत्रिक सरस्वती' के नाम से भी जानी जाती हैं, क्योंकि ये तंत्र विद्या की देवी हैं।
शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि देवी मातंगी भगवान शंकर का ही स्वरूप हैं। उनके मस्तक पर श्वेत चंद्रमा विराजमान होते हैं। उनकी चारों भुजाएँ चार अलग-अलग दिशाओं की ओर हैं। ऐसी मान्यता है कि मतंग नामक एक ऋषि ने कदम्ब वन में घोर तपस्या की। ऋषि की इस कठोर तपस्या के कारण, उनकी आंखों से एक दिव्य एवं उज्ज्वल प्रकाश की किरण निकली और थोड़ी ही देर में वो एक स्त्री के रूप में परिवर्तित हो गई। इसलिए देवी मातंगी ऋषि मतंग की बेटी मानी जाती हैं, और मतंग ऋषि से संबंध होने के कारण उन्हें मातंगी कहा जाता है।
तो भक्तों, ये तो थी मातंगी जयंती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आपकी उपासना सफल हो, और मातंगी देवी की कृपा सदैव आप पर बनी रहे। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' ऐप पर।
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