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मातंगी जयंती 2025

मातंगी जयंती 2025: सही तिथि और पूजा विधि जानें, और इस विशेष दिन पर मातंगी देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें

मातंगी जयंती के बारे में

मातंगी जयंती देवी मातंगी की पूजा का विशेष दिन है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं। यह जयंती वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। देवी मातंगी को वाणी, ज्ञान, संगीत और कला की अधिष्ठात्री माना जाता है। इस दिन भक्त साधना और मंत्र जाप करते हैं।

मातंगी जयंती 2025

मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की आराधना करने से मनुष्य को दरिद्रता से जीवन भर के लिए छुटकारा मिलता है, साथ ही ज्ञान व सम्मान में भी निरंतर वृद्धि होती है।

2025 में मातंगी जयंती कब है?

हर वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मातंगी जयंती मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह दिन मई या अप्रैल के महीने में पड़ता है।

  • साल 2025 में मातंगी जयन्ती 30 अप्रैल 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।
  • तृतीया तिथि प्रारम्भ- 29 अप्रैल 2025 को 05:31 पी एम पर
  • तृतीया तिथि समाप्त- 30 अप्रैल 2025 को 02:12 पी एम पर

देवी मातंगी कौन है?

मातंगी देवी को दस महाविद्याओं से 9वां यानि बुद्धि की देवी माना जाता है। मातंगी देवी 'तांत्रिक सरस्वती' के नाम से भी जानी जाती हैं, क्योंकि ये तंत्र विद्या की देवी हैं।

मातंगी जयंती का क्या महत्व है?

  • पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि जो जातक मातंगी देवी की उपासना करते हैं, उनके जीवन में सभी सुखों का वास होता है।
  • सच्चे मन से देवी मातंगी की उपासना करने से व्यक्ति सभी प्रकार के भय व बुरी शक्तियों के प्रभाव से मुक्त हो जाते हैं, और देवी मातंगी उनकी समस्त इच्छाएं पूरी करती हैं।
  • देवी मातंगी की आराधना करने से कला, नृत्य और संगीत के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  • जो भक्त अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए मातंगी जयंती पर मातंगी देवी की उपासना करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
  • सूर्य के अशुभ प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए भी मातंगी देवी की पूजा की जाती है। माता के आशीर्वाद के फलस्वरूप भक्त का जीवन सुखमय होता है।

मातंगी जयंती पूजन विधि

  • देवी मातंगी की साधना रात्रि के समय ही करनी चाहिए।
  • मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करें। इसके पश्चात् स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें।
  • अब अपने घर के पूजा कक्ष में लाल रंग का आसन बिछाएं एवं पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएँ।
  • माता की मूर्ति स्थापित करने के लिए अपने समक्ष एक लकड़ी की चौकी स्थापित करें. अब इस पर थोड़ा सा गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर लें, इसके पश्चात् चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी मातंगी की मूर्ति स्थापित करें।
  • देवी मातंगी की पूजा के लिए उनकी तस्वीर, यन्त्र व लाल मूँगा माला अत्यंत आवश्यक होती है। यदि आपके पास ये वस्तुएं उपलब्ध न हों, तो तांबे की प्लेट में स्वास्तिक बनाएं। अब इस पर एक सुपारी रखें, और इसे ही यंत्र मानकर पूजन करें।
  • अब माता की तस्वीर के समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाएं और उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें।
  • मातंगी जयंती के दिन देवी मातंगी के कवच का पाठ करें। साथ ही देवी मातंगी के मन्त्र का जाप भी अवश्य करे।
  • विधि-विधान से माता की पूजा करने के पश्चात् हवन करें। इसके लिए प्लेट में पलाश के फूल, शुद्ध घी और हवन सामग्री को मिला लें, और हवन कुंड में श्रद्धा पूर्वक आहुति अर्पित करें।
  • हवन संपन्न होने के बाद मातंगी यंत्र को लाल रंग के वस्त्र में लपेट कर अपने घर के मंदिर या तिजोरी मे संभाल कर रख दें। इससे आपके ज्ञान, धन सम्मान, व प्रतिष्ठा में निरंतर वृद्धि होती रहेगी।

मातंगी जयंती की कथा क्या है?

शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि देवी मातंगी भगवान शंकर का ही स्वरूप हैं। उनके मस्तक पर श्वेत चंद्रमा विराजमान होते हैं। उनकी चारों भुजाएँ चार अलग-अलग दिशाओं की ओर हैं। ऐसी मान्यता है कि मतंग नामक एक ऋषि ने कदम्ब वन में घोर तपस्या की। ऋषि की इस कठोर तपस्या के कारण, उनकी आंखों से एक दिव्य एवं उज्ज्वल प्रकाश की किरण निकली और थोड़ी ही देर में वो एक स्त्री के रूप में परिवर्तित हो गई। इसलिए देवी मातंगी ऋषि मतंग की बेटी मानी जाती हैं, और मतंग ऋषि से संबंध होने के कारण उन्हें मातंगी कहा जाता है।

तो भक्तों, ये तो थी मातंगी जयंती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आपकी उपासना सफल हो, और मातंगी देवी की कृपा सदैव आप पर बनी रहे। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' ऐप पर।

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Published by Sri Mandir·March 24, 2025

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