गणगौर की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

गणगौर की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

11 अप्रैल 2024, बृहस्पतिवार पति की लंबी आयु का मिलेगा वरदान


गणगौर 2024 (Gangaur 2024)

भारत विविधताओं का देश है और यहां कई ऐसे अनोखे त्यौहार और पर्व मनाए जाते हैं जो अपने आप में ही बहुत विशेष होते हैं। ऐसा ही एक पर्व है जो महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है जिसे भारत के उत्तरी प्रांतों में ज्यादातर मनाया जाता है। यह पर्व है गणगौर व्रत, ‌जिस दिन महिलाएं अपने पति से छुपकर व्रत करती हैं और गणगौर माता यानी माता पार्वती की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। गणगौर पूजा के साथ अक्सर मत्स्य जयंती भी मनाई जाती है।

गणगौर क्या है और क्यों मनाई जाती है? (What is Gangaur And Why It Is Celebrated)

चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया यानि कि 4 अप्रैल, 2022 को गणगौर पर्व मनाया जाता है। ‘गणगौर’ दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘गण’ महादेव शिव का और ‘गौर’ माता पार्वती का प्रतीक है। गणगौर त्योहार राजस्थान का एक प्रमुख उत्सव है। यह त्योहार गौरी और शिव के विवाह और प्रेम के जश्न के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन महादेव ने माँ पार्वती को और माँ पार्वती ने सभी विवाहित स्त्रियों को सौभाग्यवती होने का वर-आशीर्वाद दिया था। विवाहित स्त्रियों के लिए महादेव और पार्वती से अखण्ड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गणगौर व्रत-उत्सव वर्ष भर में सबसे श्रेष्ठ है। इस पावन व्रत को सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं।

गौरी पूजन का यह त्यौहार राजस्थान का अत्यंत विशिष्ट त्यौहार है। जहां जयपुर में गणगौर पर विशेष कार्यक्रम होता है जिसमें गणगौर की सवारी देखने देश-विदेश के हजारों लोग आते हैं वहीं, राजस्थान के कई प्रांतों में गणगौर पूजन एक आवश्यक वैवाहिक रस्म के रूप में प्रचलित है।

गणगौर का महत्व (Importance Of Gangaur)

होली के दूसरे दिन यानी चैत्र कृष्ण की प्रतिपदा से कुमारी, नव विवाहिताएं प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं। चैत्र शुक्ल द्वितीया को सिंजारा मनाया जाता है, इस दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं, फिर दूसरे दिन शाम के समय उनका विसर्जन कर दिया जाता है। इस पर्व को लेकर मान्यता है कि माता गौरी होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा अठारह दिनों के बाद भगवान शिव उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं और इस प्रकार,चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है।

गणगौर का अंतिम दिन भव्य होता है। कई पर्यटक और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में महिलाओं के जुलूस को देखने के लिए इकट्ठा होते हैं, जो गौरी और इस्सर की मूर्तियों को अपने सिर पर झील, नदी और बगीचे में ले जाती हैं, और गौरी-शिव को जल में विसर्जित कर उनकी विदाई करती हैं।

18 दिन के इस उत्सव में शादीशुदा महिलाएं 16 श्रृंगार कर अपने सुखी वैवाहिक जीवन की कांमना करती हैं।

गणगौर 2024 शुभ मुहूर्त (Gangaur 2024 shubh Muhurat)

साल 2024 में गणगौर पूजा बृहस्पतिवार 11 अप्रैल 2024 को पड़ रही है। तृतीया तिथि का प्रारम्भ 10 अप्रैल 2024 को शाम 05 बजकर 32 मिनट पर होगा और इस तृतीया तिथि का समापन 11 अप्रैल 2024 को दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर होगा।

गणगौर की पूजा सामग्री (Gangaur Puja Samagri List)

आसन, कलश, काली मिट्टी, अक्षत, ताजे फूल, आम की पत्ती, नारियल, सुपारी, पानी से भरा हुआ कलश, गणगौर के कपड़े, गेंहू, बांस की टोकरी, चुनरी, हलवा, सुहाग का सामान, कौड़ी, सिक्के, घेवर, चांदी की अंगुठी, पूड़ी, होलिका की राख, गोबर या फिर मिट्टी के उपले, शृंगार का सामान, शुद्ध घी, दीपक, गमले, कुमकुम आदि।

गणगौर की पूजा विधि (Gangaur Puja Vidhi)

  • इस दिन व्रत धारण से पूर्व रेणुका गौरी की स्थापना करें। इसके लिए घर के किसी कमरे में एक पवित्र स्थान पर चौबीस अंगुल चौड़ी, चौबीस अंगुल लम्बी वर्गाकार वेदी बनाकर हल्दी, चंदन, कपूर केसर आदि से उस पर चौक पूरा करें।
  • उस पर बालू से गौरी अर्थात पार्वती बनाकर उनकी स्थापना करें और सुहाग की वस्तुएं-कांच की चूडिय़ां, महावर, सिंदूर, रोली, मेहन्दी, टीका, बिंदी, कंघा, शीशा, काजल आदि चढ़ाएं।
  • फिर भोग लगाए और गौरीजी की कथा सुनें या पढ़ें।
  • कथा के बाद गौरी पर चढ़ाए हुए सिंदूर को विवाहित महिलायें अपनी मांग में लगाएं।
  • गौरीजी का पूजन दोपहर में करें।
  • इसके बाद एक बार ही भोजन कर व्रत का पारण करें। विशेष बात यह कि पुरूषों के लिए गणगौर का प्रसाद लेना मना है।
  • चैत्र शुक्ल द्वितीया को माँ गौरी को किसी तालाब या नदी में ले जाकर स्नान कराएं।
  • इसके बाद चैत्र शुक्ल तृतीया को गौरी-शिव को स्नान कराएं।
  • इस दिन शाम को गाजे-बाजे के साथ गौरी-शिव को नदी या तालाब में विसर्जित करें।
  • इसके बाद अपना उपवास खोलें।

गणगौर की पूजा में ध्यान रखने योग्य बातें (Things to keep in mind In Gangaur Puja )

चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को सुबह स्नान करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जावेर बोना चाहिए। इन जवारों को ही देवी गौरी और शिव का रूप माना जाता है।

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