2025 में रांधण छठ व्रत कब रखा जाएगा? जानिए इसकी तारीख, महत्व और कैसे इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अगले दिन शीतला सप्तमी की तैयारी करती हैं।
रांधण छठ गुजरात का पारंपरिक त्योहार है, जो रक्षाबंधन से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और अगले दिन यानी श्रावणी पूर्णिमा के लिए पकवान बनाकर पूजा हेतु तैयार करती हैं।
भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है।
पुराणों में वर्णन मिलता है कि भगवान कृष्ण के जन्म से दो दिन पहले यानि षष्ठी तिथि पर उनके बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इसी उपलक्ष्य में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष षष्ठी को रांधन छठ या हल छठ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियां अपनी संतान के लिए व्रत रखती हैं, और भगवान बलराम की पूजा करती हैं।
रांधण छठ - 14 अगस्त 2025, बृहस्पतिवार (भाद्रपद, कृष्ण पक्ष, षष्ठी)
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:23 ए एम से 05:07 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:45 ए एम से 05:50 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:59 ए एम से 12:52 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:37 पी एम से 03:30 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 07:01 पी एम से 07:23 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 07:01 पी एम से 08:06 पी एम तक |
अमृत काल | 06:50 ए एम से 08:20 ए एम तक |
निशिता मुहूर्त | 12:04 ए एम, अगस्त 15 से 12:47 ए एम, 15 अगस्त तक |
रवि योग | 09:06 ए एम से 05:50 ए एम, 15 अगस्त तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | पूरे दिन |
रांधण छठ भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला एक पारंपरिक पर्व है, जिसे बलराम जयंती, हलछठ, या हरछठ के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने संतान की सुख-समृद्धि, आरोग्य और दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। विशेष रूप से यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के अग्रज बलराम जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिनका जन्म कृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन पूर्व हुआ था।
रांधण छठ भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नामों से जानी जाती है, जैसे:
इन सभी नामों के पीछे क्षेत्रीय मान्यताएं और पारंपरिक व्याख्याएं जुड़ी होती हैं।
यह पर्व भगवान बलराम के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है। बलराम जी को हल और खेती का देवता माना गया है, इसलिए इस दिन विशेष रूप से कृषि संस्कृति, मातृत्व, और संरक्षण का सम्मान किया जाता है। साथ ही यह व्रत स्त्रियों द्वारा संतान सुख, उनकी भलाई व निरोगी जीवन के लिए रखा जाता है।
यह पर्व उत्तर भारत, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। खासकर वैष्णव परंपरा, गृहस्थ स्त्रियाँ, और कृषक परिवार इस पर्व को बड़ी आस्था से मनाते हैं।
इस दिन भगवान बलराम, शीतला माता, और कभी-कभी अन्नपूर्णा देवी या गृह लक्ष्मी की पूजा की जाती है। बलराम जी को हल का प्रतीक माना जाता है, अतः उनकी पूजा में खेती-बाड़ी से जुड़े प्रतीकों का उपयोग होता है।
तो यह थी रांधन छठ व्रत से जुड़ी जानकारी, हमारी कामना है कि आपका ये व्रत व पूजा-अर्चना सफल हो, और भगवान बलराम की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।
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