जानिए सुरेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास, दर्शन का समय और कैसे पहुँचें।
सुरेश्वरी देवी मंदिर हरिद्वार का ऐतिहासिक सिद्धपीठ है, जो देवी दुर्गा को समर्पित है। यह मंदिर राजाजी नेशनल पार्क के जंगलों के बीच, रानीपुर के सुरकूट पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि यहाँ माँ सुरेश्वरी देवी भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं और उन्हें शारीरिक एवं मानसिक शांति मिलती है। इस लेख में जानिए सुरेश्वरी देवी मंदिर हरिद्वार का इतिहास, धार्मिक महत्व और दर्शन की खास बातें।
हरिद्वार के राजाजी नेशनल पार्क के भीतर सुरकूट पर्वत पर स्थित सुरेश्वरी देवी मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर देवी दुर्गा और माँ भगवती को समर्पित है और अपने पवित्र वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता के कारण भक्तों और पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। जंगलों से घिरे इस मंदिर से प्राकृतिक दृश्य अत्यंत रमणीय दिखते हैं, और यहाँ मोरों की उपस्थिति मंदिर परिसर के माहौल को और भी दिव्य बना देती है।
मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का सटीक ऐतिहासिक विवरण उपलब्ध नहीं है, परन्तु इसके उद्गम का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में मिलता है। कथा के अनुसार, देवराज इंद्र ने एक बार भय के कारण क्षीर सागर में छुपकर तप किया और गुरु बृहस्पति की सलाह पर भगवान विष्णु की स्तुति की। भगवान विष्णु ने उन्हें सूरकूट पर्वत पर माता भगवती की आराधना करने का निर्देश दिया। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने इंद्र को दर्शन दिए और विजय का वरदान दिया। चूँकि इंद्र को सुरेश भी कहा जाता है, इस कारण इस स्थान का नाम सुरेश्वरी देवी मंदिर पड़ा।
मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से चर्म रोग और कुष्ठ रोग जैसे रोग समाप्त हो जाते हैं। भक्तों की मनोकामनाएं माता के चरणों में पूर्ण होती हैं। नवरात्रि के विशेष दिनों - अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी को यहाँ दर्शन का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इन दिनों देवता भी माता के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं।
मंदिर की वास्तुकला
यह मंदिर पारंपरिक शैली में एक छोटी पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है, जहाँ तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं। मंदिर परिसर में माता सुरेश्वरी की मुख्य मूर्ति स्थित है। मंदिर के प्रांगण में शिव परिवार को समर्पित एक और मंदिर है जिसमें एक प्रमुख शिवलिंग स्थापित है। एक विशाल बरगद का पेड़ परिसर की सुंदरता और दिव्यता को बढ़ाता है। इसके अलावा, पहाड़ी की चोटी पर स्थित काली माता मंदिर भी यहाँ का एक आकर्षण है, जहाँ से आसपास का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
मंदिर खुलने का समय: सुबह 06:00 बजे से रात 08:00 बजे तक।
यहाँ माता को लड्डू, पेड़ा, मिठाई, सूखा प्रसाद, पुष्प और चुनरी चढ़ाई जाती है।
वायु मार्ग
सबसे निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो लगभग 38 किमी दूर स्थित है। यहाँ से हरिद्वार तक टैक्सी सेवाएं आसानी से उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार है, जो मंदिर से 9 किमी और ज्वालापुर से 6.5 किमी दूर है।
सड़क मार्ग
हरिद्वार शहर से मंदिर की दूरी लगभग 8 किमी है। निजी वाहनों या वन सफारी सेवाओं के माध्यम से यहाँ पहुँचा जा सकता है। राजाजी नेशनल पार्क के गेट पर प्रवेश शुल्क देकर भक्त यहाँ तक पहुँच सकते हैं। गेट से मंदिर तक लगभग 2 किमी का पक्का रास्ता है जो आसानी से तय किया जा सकता है।
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