
जानिए प्रेम मंदिर का इतिहास, दर्शन व आरती का समय और कैसे पहुँचें।
प्रेम मंदिर वृंदावन में बना एक बहुत सुंदर मंदिर है, जो राधा-कृष्ण के प्रेम को दिखाता है। यह मंदिर अपनी शानदार नक्काशी और रात की रोशनी के लिए जाना जाता है। इस लेख में जानिए प्रेम मंदिर का इतिहास, दर्शन का समय और इससे जुड़ी खास बातें।
प्रेम मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित वृंदावन में है। यह मंदिर जगद्गुरु श्री कृपालु महाराज जी की संस्था जगद्गुरु कृपालु परिषत द्वारा भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। कुल 54 एकड़ में फैला यह मंदिर अपनी दिव्यता, स्थापत्य कला और भक्तिमय वातावरण के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।
प्रेम मंदिर की नींव जनवरी 2001 में जगद्गुरु श्री कृपालु महाराज जी द्वारा रखी गई थी। लगभग एक हजार कारीगरों के परिश्रम से यह मंदिर 11 वर्षों में बनकर तैयार हुआ और 15 फरवरी 2012 को इसका उद्घाटन हुआ। मंदिर निर्माण में उपयोग हुआ सफेद संगमरमर इटली से मंगवाया गया था और इसकी भव्यता में राजस्थान व उत्तर प्रदेश के शिल्पकारों का योगदान है।
प्रेम मंदिर सिर्फ एक स्थापत्य चमत्कार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है। राधा-कृष्ण की दिव्य मूर्तियों के दर्शन से मन को शांति मिलती है। मंदिर परिसर में भगवान कृष्ण की कई लीलाओं – जैसे गोवर्धन लीला, कालिया नाग लीला और झूलन लीला की सुंदर झांकियां देखी जा सकती हैं। यह मंदिर राधा-कृष्ण के प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
प्रेम मंदिर का निर्माण दो मंजिला सफेद संगमरमर से किया गया है। यह मंदिर 128 फीट चौड़ा, 190 फीट लंबा और 125 फीट ऊँचा है। इसे एक ऊँचे चबूतरे पर बनाया गया है। इसकी दीवारें 3.25 फीट मोटी हैं और गर्भगृह की दीवारें 8 फीट मोटी हैं ताकि विशाल शिखर, स्वर्ण कलश और ध्वज का भार संभाला जा सके। मंदिर के चारों ओर दरवाजे हैं और इसकी नक्काशी तथा पच्चीकारी अत्यंत सुंदर है। मंदिर परिसर में एक विशाल सत्संग भवन भी है, जिसमें एक साथ 25,000 श्रद्धालु बैठ सकते हैं। दीवारों पर राधा-गोविंद गीत उकेरे गए हैं और गोवर्धन पर्वत की सजीव झांकी भी देखी जा सकती है।
प्रसाद: मंदिर में माखन, मिश्री, पेड़ा, बर्फी और फूलों से भगवान को भोग लगाया जाता है।
निकटतम हवाई अड्डा
दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो मंदिर से लगभग 160 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी या लोकल ट्रांसपोर्ट के माध्यम से मंदिर पहुंचा जा सकता है।
निकटतम रेलवे स्टेशन
मथुरा कैंट स्टेशन, जो लगभग 14 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से कैब, ऑटो या बस द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग
यमुना एक्सप्रेसवे और NH 44 के माध्यम से दिल्ली से वृंदावन तक की यात्रा लगभग 3 घंटे में पूरी की जा सकती है। उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से मथुरा के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
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