पंच परमेष्ठी जी के नियमित पाठ से मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होने में सहायता मिलती है और व्यक्ति के जीवन में आत्मिक बल की वृद्धि होती है।
पंच परमेष्ठी आरती को करने से मन एकाग्र होता है, साथ ही रास्ते में आने वाली बाधा पार होती है। पंच परमेष्ठी आरती आपके अंदर सकारात्मकता का संचार करता है, जिससे आप अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर लेते हैं।
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ।
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे
॥ पहली आरति श्रीजिनराजा, भव दधि पार उतार जिहाजा ।
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
दूसरी आरति सिद्धन केरी, सुमिरन करत मिटे भव फेरी ।
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
तीजी आरति सूरि मुनिंदा, जनम मरन दु:ख दूर करिंदा ।
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
चौथी आरति श्री उवझाया, दर्शन देखत पाप पलाया ।
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
पाँचमि आरति साधु तिहारी, कुमति विनाशन शिव अधिकारी ।
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
छट्ठी ग्यारह प्रतिमाधारी, श्रावक वंदूं आनंदकारी ।
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
सातमि आरति श्रीजिनवानी, ‘द्यानत’ सुरग मुकति सुखदानी ।
इह विधि मंगल आरति कीजे, पंच परमपद भज सुख लीजे ॥
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