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जगन्नाथ आरती

भगवान जगन्नाथ की कृपा चाहते हैं? अभी पढ़ें उनकी भक्ति से भरी आरती और अनुभव करें आत्मिक शांति और दिव्यता

जगन्नाथ आरती के बारे में

जगन्नाथ आरती भगवान जगन्नाथ की पूजा में गाई जाने वाली एक पवित्र भक्तिपूर्ण रचना है। यह आरती उनकी दिव्य छवि, करुणा और लीलाओं का स्मरण कराती है। आरती से भक्तों को मानसिक शांति और ईश्वरीय ऊर्जा का अनुभव होता है।

भगवान जगन्नाथ और उनकी आरती का आध्यात्मिक महत्व

जब बात आती है भक्ति, समर्पण और अलौकिक अनुभव की, तो भगवान जगन्नाथ का नाम सबसे पहले जेहन में आता है। ओडिशा के पुरी धाम में विराजमान, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की त्रिमूर्ति केवल लकड़ी की मूर्तियाँ नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों की जीवंत आस्था का केंद्र हैं। उन्हें ब्रह्मांड का नाथ, दीनबंधु और पतितपावन कहा जाता है। उनकी महिमा और उनकी अनुपम लीलाओं को शब्दों में समेटना असंभव है। ऐसे में, भगवान जगन्नाथ की आरती सिर्फ एक पूजा विधि नहीं, बल्कि उनके प्रति प्रेम, श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक गहरा माध्यम है। यह वह क्षण होता है जब भक्त अपने मन और आत्मा से प्रभु के चरणों में लीन हो जाते हैं, और उनकी कृपा का अनुभव करते हैं। आरती की लौ में, भक्त अपने दुखों को भस्म कर, प्रभु के दिव्य प्रकाश में स्वयं को शुद्ध करते हैं।

भगवान जगन्नाथ की आरती

आरती श्री जगन्नाथ,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

मंगलकारी नाथ आपादा हरि,

कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,

अगर कपूर बाटी भव से धारी,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

घर घरन बजता बाजे बंसुरी,

घर घरन बजता बाजे बंसुरी,

झांझ या मृदंग बाजे,ताल खनजरी,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि,

जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी,

जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,

इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,

मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,

सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,

धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

मंगलकारी नाथ आपादा हरि,

कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,

अगर कपूर बाटी भव से धारी,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी

जगन्नाथ आरती कैसे करें? (विधि और समय)

  • शुद्धता: आप सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • स्थापना: पूजा स्थान को अच्छे से साफ कर लें। एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें। और उनकी मूर्ति के सामने दीपक और धुप जलाएं ये पूजा के लिए शुद्ध वातावरण प्रदान करता है।
  • शुद्धि: गंगाजल से भगवान और खुद को शुद्ध करें। गंगाजल न होने पर आप ऐसे ही पूजा को आगे बढ़ा सकतें है।
  • अर्पित करे: भगवान जगन्नाथ का साज-सज्जा कमल के फूलों से करें और फिर धूप, पुष्प, माला, रोली, चंदन आदि पूजन सामग्री विनम्र भाव से समर्पित करें।
  • प्रसाद: मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ को छप्पन प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं, लेकिन भक्त अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार उपलब्ध भोग अर्पित कर सकते हैं। आरती: घंटी बजाते हुए और प्रभु का नाम लेते हुए आरती गाना शुरू करें। आरती करते समय दीपक को प्रभु की प्रतिमा या चित्र के सामने घड़ी की सुई की दिशा में (दक्षिणावर्त) गोलाकार घुमाएँ।
  • पहले पैरों पर चार बार।
  • फिर नाभि पर दो बार।
  • फिर मुख पर एक बार।
  • अंत में पूरे विग्रह पर सात बार।
  • धूप और कपूर: दीपक के बाद धूपबत्ती और फिर कपूर से आरती करें।
  • घंटी और शंखनाद: आरती के दौरान घंटी और शंख बजाना शुभ होता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • आशीर्वाद: आरती के बाद भगवान का ध्यान करे और उनसे आशीर्वाद प्राप्ति के लिए धन्यवाद करें।
  • प्रसाद वितरण: अंत में, भगवान को अर्पित किया गया प्रसाद सभी उपस्थित भक्तों में वितरित करें।

समय

  • भगवान जगन्नाथ की आरती आमतौर पर सुबह और शाम दोनों समय की जाती है।
  • भगवान जगन्नाथ की आरती का समय मंदिर और दिन के अनुसार अलग-अलग होता है। सामान्यतः, मंगल आरती सुबह 5:00 बजे होती है और संध्या आरती शाम 5:30 बजे होती है,
  • प्रातःकाल: सामान्यतः, मंगल आरती सुबह 5:00 बजे होती है यह दिन की शुरुआत प्रभु के आशीर्वाद के साथ करने का समय होता है।
  • सायंकाल: इस समय लगभग 5:30 बजे मंदिर में संध्या आरती होती है। इस समय श्रद्धालुओं की उपस्थिति बढ़ जाती है और पूरे परिसर में भक्ति का विशेष माहौल महसूस होता है।

हालाँकि, यदि आप मंदिर में नहीं हैं, तो आप अपनी सुविधानुसार किसी भी शांत समय में पूरी श्रद्धा के साथ घर पर आरती कर सकते हैं।

जगन्नाथ आरती के लाभ

  • मनोकामनाएँ पूर्ण हों – श्री जगन्नाथ की आरती करने से भक्तों की हर सच्ची इच्छा पूर्ण होती है।
  • अध्यात्म से जुड़ाव – इनकी आरती आत्मा को शुद्ध करती है और आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत करती है।
  • सुख व शांति – आरती करने से घर-परिवार में सुख, शांति और सौहार्द बना रहता है।
  • धन-धान्य की वृद्धि – श्री जगन्नाथ की कृपा से घर में समृद्धि और धन-संपत्ति का वास होता है।
  • जीवन में तरक्की – भगवान की भक्ति से जीवन में सफलता और उन्नति के मार्ग खुलते हैं।
  • स्वास्थ्य लाभ – नियमित पूजा व आरती करने से तन और मन दोनों स्वस्थ बने रहते हैं।
  • एकाग्रता में वृद्धि – आरती करते समय ध्यान केंद्रित करने से मानसिक स्थिरता और शक्ति बढ़ती है।
  • आत्मिक शुद्धि – यह आरती आत्मा को निर्मल करती है और ईश्वर से गहरा संबंध स्थापित करती है।
  • पारिवारिक सामंजस्य – मिलकर आरती करने से परिवार में प्रेम, एकता और समझ का वातावरण बनता है।
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Published by Sri Mandir·June 23, 2025

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