Ambe Gauri Aarti | अम्बे गौरी की आरती | Aarti Ambe Gauri Ji Ki, Lyrics in Hindi

अम्बे गौरी की आरती

अम्बे गौरी की आरती का पाठ करने से भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।


अम्बे गौरी आरती | Ambe Gauri Aarti

मां अम्बा दुर्गा जी का ही एक स्वरूप हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से भरकर माता की आरती करता है, उसे माँ का आशीर्वाद अवश्य मिलता है।

इस आरती को भजन-कीर्तन, रात्रि-जागरण और जगराते में अक्सर गाया जाता है। फिर भी कुछ विशेष पर्वों पर इसका गायन अधिक होता है। माना जाता है कि इस आरती से माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

अम्बा जी की आरती | Aarti Ambe Gauri Ji Ki

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

माँग सिन्दूर विराजत,
टीको मृगमद को,
मैया टीको मृगमद को।
उज्जवल से दो‌उ नैना,
चन्द्रवदन नीको॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै,
मैया रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,
कण्ठन पर साजै॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्परधारी,
मैया खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,
तिनके दुखहारी॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती,
मैया नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,
सम राजत ज्योति॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,
महिषासुर घाती,
मैया महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,
निशिदिन मदमाती॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे,
मैया शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे,
सुर भयहीन करे॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

ब्रहमाणी रुद्राणी
तुम कमला रानी,
मैया तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,
तुम शिव पटरानी॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरूं,
मैया नृत्य करत भैरूं,
बाजत ताल मृदंगा,
अरु बाजत डमरु॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
मैया तुम ही हो भरता।
भक्‍तन की दु:ख हरता,
सुख सम्पत्ति करता॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

भुजा चार अति शोभित,
वर-मुद्रा धारी,
मैया वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,
सेवत नर-नारी॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती,
मैया अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योति॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

श्री अम्बेजी की आरती,
जो को‌ई नर गावै,
मैया जो को‌ई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,
सुख सम्पत्ति पावै॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ओम जय अम्बे गौरी॥

ऐसी ही भक्तिमय आरती प्राप्त करें सिर्फ श्री मंदिर साहित्य पर।

अम्बे गौरी आरती से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

प्रश्न: अम्बे गौरी माता कौन हैं?

उत्तर: नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। नौ देवियों में से एक अम्बे गौरी माता भी है। अम्बे गौरी माता देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं, अम्बे गौरी माता की शक्ति और ऊर्जा की देवी के रूप में पूजा की जाती है। अम्बे माँ को ही सौम्यता, करुणा और शक्ति की प्रतीक माना जाता है। उपासक, देवी की पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं

प्रश्न: अम्बे गौरी माता की पूजा क्यों की जाती है?

उत्तर: नवरात्रि में देवी की पूजा करके भक्त देवी का आशीर्वाद और सुख समृद्धि प्राप्त करते हैं, अम्बे गौरी माता की पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि आती है और भक्तों की कठिनाइयों का अंत होता है पूजा अर्चना के माध्यम से भक्त देवी का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन की चुनौतियों को दूर करते हैं।

प्रश्न: अम्बे गौरी माता की आराधना किस समय विशेष मानी जाती है?

उत्तर: हिन्दू धर्म में पूजा पाठ करके भक्तों को सुखमय जीवन प्राप्त होता है। नवरात्रि के दिनों में विशेष रूप से अम्बे गौरी माता की पूजा की जाती है, इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दिनों में "जय अम्बे गौरी" आरती गाकर भक्त उन्हें प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

प्रश्न: अम्बे गौरी को कौन से प्रसाद चढ़ाए जाते हैं?

उत्तर: नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा में भक्त पूरे विधि विधान से पूजा का आयोजन करते हैं और इस दौरान देवी को भोग भी लगाया जाता है। पूजा के बाद अम्बे माँ को लड्डू, हलवा, नारियल, और मिष्ठान्न का प्रसाद चढ़ाया जाता है साथ ही उनके चरणों में फूल और वस्त्र भी अर्पित किये जाते हैं

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