srimandir playstore link
श्री भगवद् गीता जी की आरती

श्री भगवद् गीता जी की आरती

पढ़ें श्री भगवद् गीता जी की आरती


श्री भगवद् गीता आरती

गीता शास्त्र सम्पूर्ण मानव जाति के उद्धार के लिए है । कोई भी व्यक्ति किसी भी वर्ण, आश्रम या देश में स्थित हो, वह श्रद्धा भक्ति-पूर्वक गीता का पाठ करने पर परम सिद्धि को प्राप्त कर सकता है ।

कल्याण की इच्छा करने वाले मनुष्यों के लिए आवश्यक है कि वे गीता पढ़ें और दूसरों को पढायें एवं प्रति दिन इसकी आरती करें।

॥श्री भगवद् गीता जी की आरती॥

जय भगवद् गीते,
जय जय भगवद् गीते।
हरि-हिय-कमल-विहारिणी,
सुन्दर सुपुनीते॥
जय जय भगवद् गीते।

कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि,
कामासक्ति हरा।
तत्त्वज्ञान-विकाशिनि,
विद्या ब्रह्म परा॥
जय जय भगवद् गीते।

निश्चल-भक्ति-विधायिनी,
निर्मल मल्हारी।
शरण-सहस्य-प्रदायिनि,
सब विधि सुख कारी॥
जय जय भगवद् गीते।

राग-द्वेष-विदारिणी,
कारिणि मोद सदा।
भव-भय-हारिणि तारिणी,
परमानंद प्रदा॥
जय जय भगवद् गीते।

आसुर-भाव-विनाशिनि,
नाशिनी तम रजनी।
दैवी सद् गुणदायिनि,
हरि-रसिका सजनी॥
जय जय भगवद् गीते।

समता, त्याग सिखावनि,
हरि-मुख की बानी।
सकल शास्त्र की स्वामिनी,
श्रुतियों की रानी॥
जय जय भगवद् गीते।

दया-सुधा बरसावनि,
मातु! कृपा कीजै।
हरिपद-प्रेम दान कर,
अपनो कर लीजै॥
जय जय भगवद् गीते।

जय भगवद् गीते,
जय जय भगवद् गीते।
हरि-हिय-कमल-विहारिणी,
सुन्दर सुपुनीते॥
जय जय भगवद् गीते।

ऐसी ही भक्तिमय आरती पाएं सिर्फ श्रीमंदिर साहित्य पर।

,
background
background
background
background
srimandir
अपने फोन में स्थापित करें अपना मंदिर, अभी डाउनलोड करें।
© 2020 - 2022 FirstPrinciple AppsForBharat Pvt. Ltd.
facebookyoutubeinsta