रविवार की आरती | Sunday Aarti

रविवार की आरती

रविवार की विशेष आरती 'आरती कीजै सूर्य भगवान की' का पाठ करें और भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त करें।


रविवार की आरती | Sunday Aarti

रविवार के दिन सूर्य देव की इस आरती को करने से भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है। ब्रह्मपुराण के अनुसार, सूर्यदेव सर्वश्रेष्ठ देवता हैं। इनकी उपासना करने वाले भक्त जो सामग्री इन्हें अर्पित करते हैं, सूर्यदेव उसे लाख गुना करके लौटाते हैं।

अपने जीवन में समस्त प्रकार के सुखों की प्राप्ति के लिए उनकी आरती जरूर करें।

||रविवार आरती||

कहूँ लगी आरती दास करेंगे,
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||
कहूँ लगी आरती दास करेंगे,
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||

सात समुद्र जाके चरणनि बसे,
कहा भयो जल कुम्भ भरे ||
सात समुद्र जाके चरणनि बसे,
कहा भयो जल कुम्भ भरे ||
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||
कहूँ लगी आरती दास करेंगे||

कोटि भानु जाके नख की शोभा,
कहा भयो मंदिर दीप धरे ||
कोटि भानु जाके नख की शोभा,
कहा भयो मंदिर दीप धरे ||
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||
कहूँ लगी आरती दास करेंगे||

भार अठारह राम बलि जाके,
कहा भयो शिर पुष्पधरे ||
भार अठारह राम बलि जाके,
कहा भयो शिर पुष्पधरे ||
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||
कहूँ लगी आरती दास करेंगे||

छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे,
कहा भयो नैवेद्य धरे ||
छप्पन भोग जाके नितप्रति लागे,
कहा भयो नैवेद्य धरे ||
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||
कहूँ लगी आरती दास करेंगे||

अमित कोटि जाके बाजा बाजे,
कहा भयो झनकार करे ||
अमित कोटि जाके बाजा बाजे,
कहा भयो झनकार करे ||
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||
कहूँ लगी आरती दास करेंगे||

चार वेद जाके मुख की शोभा,
कहा भयो ब्रम्हा वेद पढ़े ||
चार वेद जाके मुख की शोभा,
कहा भयो ब्रम्हा वेद पढ़े ||
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||
कहूँ लगी आरती दास करेंगे||

शिव सनकादी आदि ब्रम्हादिक,
नारद हनी जाको ध्यान धरे ||
शिव सनकादी आदि ब्रम्हादिक,
नारद हनी जाको ध्यान धरे ||
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||
कहूँ लगी आरती दास करेंगे||

हिम मंदार जाको पवन झकोरे,
कहा भयो शिव चवँर दुरे ||
हिम मंदार जाको पवन झकोरे,
कहा भयो शिव चवँर दुरे ||
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||
कहूँ लगी आरती दास करेंगे||

लाख चौरासी वन्दे छुडाये,
केवल हरियश नामदेव गाये ||
लाख चौरासी वन्दे छुडाये,
केवल हरियश नामदेव गाये ||
सकल जगत जाकी जोत बिराजे ||
कहूँ लगी आरती दास करेंगे||

ऐसी ही भक्तिमय आरती प्राप्त करें श्रीमंदिर साहित्य पर।

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