इस पावन दिन पर माँ लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की आरती के साथ घर में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाएं।
धनतेरस हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इसे धन की देवी लक्ष्मी और आयुर्वेद के देवता धनवंतरि के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं।
धनतेरस का दिन धन और समृद्धि से जुड़ा हुआ है। इस दिन लोग नए बर्तन, सोना, चांदी या अन्य धातु की वस्तुएं खरीदते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इन वस्तुओं को खरीदने से घर में धन का आगमन होता है। धनवंतरि को आयुर्वेद के देवता के रूप में पूजा जाता है। इस दिन लोग अपने स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं और आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करते हैं। धनतेरस को दीपों का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन घरों को दीपों से सजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि दीपक बुरी शक्तियों को दूर रखते हैं और घर में सुख-शांति लाते हैं।
ओम जय धनवंतरि देवा, जय धनवंतरि देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।
जय धनवंतरि देवा।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।
जय धनवंतरि देवा।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।
जय धनवंतरि देवा।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।
जय धनवंतरि देवा।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।
जय धनवंतरि देवा ।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का चेरा।।
जय धनवंतरि देवा।।
धनवंतरिजी की आरती जो कोई जन गावे।
रोग-शोक न आवे, सुख-समृद्धि पावे।।
जय धनवंतरि देवा।।
धनतेरस की पूजा में मुख्य रूप से माता लक्ष्मी और भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है। पूजा में दीपक जलाए जाते हैं, फूल चढ़ाए जाते हैं और मंत्रों का जाप किया जाता है। यह एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है और इस दिन लोग धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं।
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