इस आरती से होगी जीवन से कष्ट और विपत्ति दूर
सनातन धर्म में हर वर्ग और जाति के लोग है एवं उनके अपने अपने आराध्य है। उन्हीं में से सिंध समाज से जुड़ें देव है श्री झूलेलाल जी। धार्मिक मान्यताओँ के अनुसार जो भी व्यक्ति महाराज झूलेलाल जी की आरती पढ़ता और सुनता है, उसे जल से संबंधित किसी भी प्रकार का कोई रोग नहीं होता है। इसी के साथ अगर कोई व्यक्ति रोज झूलेलाल जी की आरती पढ़ता है तो उसके जीवन से किसी तरह के संकट, बाधा, दुःख, कष्ट, विपत्ति आदि दूर हो जाते हैं।
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा
॥ ॐ जय दूलह देवा…
तुहिंजे दर दे केई, सजण अचनि सवाली ।
दान वठन सभु दिलि,सां कोन दिठुभ खाली
॥ ॐ जय दूलह देवा…
अंधड़नि खे दिनव, अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं ।
पाए मन जूं मुरादूं, सेवक कनि थारू
॥ ॐ जय दूलह देवा…
फल फूलमेवा सब्जिऊ, पोखनि मंझि पचिन ।
तुहिजे महिर मयासा अन्न, बि आपर अपार थियनी
॥ ॐ जय दूलह देवा…
ज्योति जगे थी जगु में, लाल तुहिंजी लाली ।
अमरलाल अचु मूं वटी, हे विश्व संदा वाली
॥ ॐ जय दूलह देवा…
जगु जा जीव सभेई, पाणिअ बिन प्यास ।
जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा
॥ ॐ जय दूलह देवा…
ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा
॥ ॐ जय दूलह देवा…
॥ इति श्री झूलेलाल आरती संपूर्णम् ॥
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