यहीं पर बनाती थीं माता सीता खाना
.अयोध्या, उत्तरप्रदेश, भारत
सीता की रसोई अयोध्या में राम जन्म भूमि के उत्तर पश्चिम में स्थित है। सीता की रसोई एक प्राचीन स्थल है जिसकी मान्यता है कि माता सीता ने रसोई के रूप में उपयोग लिया था। यह पवित्र स्थान अब एक मंदिर के रूप में जाना जाता है। जहां मंदिर के एक कोने में प्राचीन रसोई का प्रारूप तैयार किया गया है, जिसमें उस समय के सभी बर्तन को सजाया गया है। इस मंदिर में देश विदेश से प्रयर्टक घूमने आते हैं।
मंदिर का इतिहास
सीता की रसोई का इतिहास त्रेता युग के समय का है। पौराणिक कहानी के अनुसार इस रसोई का निर्माण त्रेता युग में राजा दशरथ ने करवाया था। मान्यता है कि इस रसोई में ही माता सीता ने विवाह के पश्चात भोजन पका कर अपने परिवार को खिलाया था। इसी के साथ कहते है कि सीता माता ने इस रसोई में पंच ऋषियों को भोजन करवाया था और तब से माता सीता समस्त लोक की अन्नपूर्णा हैं।
मंदिर का महत्व
माता सीता को हमारे पौराणिक ग्रंथो में देवी अन्नपूर्णा का रूप माना गया है। इस मान्यता के अनुरूप अयोध्या में हर नव वधु को अपने ससुराल में खाना बनाने से पहले यहाँ दर्शन कर माता सीता का आशीर्वाद लेना अनिवार्य माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस रसोई में नव वधु द्वारा माता के दर्शन करने से देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और साक्षात् देवी अन्नपूर्णा उनमे वास करती हैं।
मंदिर की वास्तुकला
सीता की रसोई मंदिर अयोध्या के राजमहल का ही एक हिस्सा है। त्रेता युग में मूल रूप से इसका निर्माण एक रसोई के रूप में ही किया गया था। जिसके अंदर भगवान् राम के साथ उनके तीनो भाइयों और उनकी पत्नियों की मुर्तियां स्थापित की गई हैं और उनको कपड़े औ आभूषणों से सजाया गया है। साथ ही इस मंदिर में एक तरफ प्रतीकात्मक रूप में रसोई के मिटटी से बने कुछ बर्तन भी रखे गए है।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
08:00 AM - 06:30 PMसुबह आरती का समय
10:00 AM - 10:30 AMसंध्या आरती का समय
06:00 PM - 06:30 PMमंदिर का प्रसाद
माता सीता की रसोई में माता सीता द्वारा इस रसोई में तीन तरह की खीर, मटर घुघरी, कढ़ी, मालपुए आदि बनाये जाते थे। इसीलिए यहां आने वाले श्रद्धालु इन्हीं का प्रसाद चढ़ाते है।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है