यहां हरि नाम संकीर्तन पिछले 52 वर्षों से हो रहा है।
.गोरखपुर, उत्तरप्रदेश, भारत
गीता वाटिका मंदिर गोरखपुर शहर का एक प्रसिद्ध स्थान है जहां लोग राधा और कृष्ण की पूजा करने आते हैं। यह दुनिया भर में प्रसिद्ध है और यहां तक कि अन्य देशों से भी लोग राधा और कृष्ण के दर्शन और प्रार्थना करने आते हैं। इस जगह की सबसे रोमांचक बात ये है कि यहां का हरि नाम संकीर्तन है, जो 52 साल से लगातार हो रहा है।
मंदिर का इतिहास
गोरखपुर में स्थित गीता वाटिका का निर्माण संत भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार जी ने करवाया था। गीता वाटिका बनने से पहले यह जमीन किसी और की हुआ करती थी और इसे गोयंदका गार्डन कहा जाता था। 1933 में गीता वाटिका बनाने के लिए ज़मीन खरीदी गई। सन् 1945 में हनुमान प्रसाद पोद्दार जी ने पूजा के लिए कुछ विशेष मूर्तियाँ रखीं। तब से बहुत से लोग अपने प्रेम और भक्ति दिखाने के लिए गीता वाटिका में आते हैं।
मंदिर का महत्व
कृष्ण भक्ति के लिए आने वाले साधको के लिए गीता वाटिका का बहुत महत्व है। यहाँ आत्मिक और आध्यात्मिक शांति के लिए देश विदेश से भक्त आते है। इस मंदिर में होने वाले हरिनाम संकीर्तन में सम्मिलित होने के लिए पूरे विश्व से भक्त और साधक आते हैं। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में भाई जी को स्वयं श्री हरि विष्णु, महर्षि नारद और महर्षि अंगिरा के दर्शन हुए थे। राधाष्टमी के दिन सन् 1968 में अखंड हरि नाम संकीर्तन प्रारम्भ हुआ जो आज तक अनवरत चल रहा है।
मंदिर की वास्तुकला
गीता वाटिका मंदिर पारम्परिक नागर शैली में निर्मित भव्य मंदिर है। इस मंदिर में 16 गर्भगृह तथा 35 शिखर हैं। मंदिर में प्रार्थनारत रूप में भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार तथा उनकी पत्नी रामदेई पोद्दार की भी मूर्तियां भी विराजमान है। मंदिर परिक्रमा पथ पर वेद, उपनिषद, श्रीमद्भगवद्गीता सुंदर झांकियों के रूप में विराजमान हैं। मंदिर के पीछे एक मंदिर में देवर्षि नारद एवं महर्षि अंगिरा की मूर्ति प्रतिष्ठित है। मंदिर के दाहिनी ओर भाई जी की पावन समाधि भी स्थित है।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
06:00 AM - 12:00 PMसुबह की आरती का समय
07:00 AM - 08:00 AMसायंकाल मंदिर खुलने का समय
04:00 PM - 09:00 PMसायंकाल आरती का समय
07:00 PM - 08:00 PMमंदिर का प्रसाद
श्री कृष्ण को दूध से बने मिष्ठान अतिप्रिय होने के कारण गीता वाटिका मंदिर में ज्यादातर राजभोग का भोग लगाया जाता है। इसके साथ इस मंदिर में लड्डू और बर्फी का भी भोग नियमित रूप से लगाया जाता है।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है