मानसिक और शारीरिक शक्ति का आशीष पाने के लिए भुवनेश्वरी जयंती विशेष 10 महाविद्या पूजा एवं मां भुवनेश्वरी तंत्र युक्त यज्ञ
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भुवनेश्वरी जयंती विशेष

10 महाविद्या पूजा एवं मां भुवनेश्वरी तंत्र युक्त यज्ञ

मानसिक और शारीरिक शक्ति का आशीष पाने के लिए
temple venue
शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल
pooja date
15 September, Sunday, भुवनेश्वरी जयंती
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मानसिक और शारीरिक शक्ति का आशीष पाने के लिए भुवनेश्वरी जयंती विशेष 10 महाविद्या पूजा एवं मां भुवनेश्वरी तंत्र युक्त यज्ञ

हिंदु पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भुवनेश्वरी जयंती मनाई जाती है। भुवनेश्वरी अर्थात संसार भर के ऐश्वर्य की स्वामिनी आदिशक्ति दुर्गा माता के दस महाविद्याओं का पंचम स्वरूप है जिस रूप में इन्होनें त्रिदेवों को दर्शन दिये थे। देवी भागवत पुराण में इस बात का स्पष्टीकरण मिलता है। माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा अर्चना से मां भुवनेश्वरी जल्दी प्रसन्न होती है और अपने भक्तों को दिव्य आशीष प्रदान करती है। दस महाविद्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप एवं सभी सिद्धियों की दाता माना जाता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, 10 महाविद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव एवं उनकी पत्नी सती के बीच विवाद से हुई थी। सती ने अपने पिता द्वारा आयोजित एक यज्ञ में भाग लेने की जिद्द की, जिसे भगवान शिव ने अनदेखा कर दिया। तब माता सती ने एक भयावह रूप (काली अवतार) धारण किया, जिससे भगवान शिव अचंभित हो गए और हर तरफ यानि सभी दिशाओं में भागने लगे। तभी माता सती ने उन्हें रोकने के लिए स्वयं को दसों दिशाओं में प्रकट किया, जिन्हें दस महाविद्याओं के रूप में जाना गया। देवी माँ के इन दस रूपों को दस महाविद्या के नाम से जाना जाता है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा का सौम्य अवतार मानी जाने वाली मां भुवनेश्वरी तीन नेत्र एवं चार भुजाओं वाली देवी है, जिनमें से एक हाथ वरदान देने की मुद्रा में हैं तो वहीं दूसरे हाथ में उन्होंने अंकुश धारण किया हुआ है। मां भुवनेश्वरी के शेष दो हाथ पाश एवं अभय मुद्रा में हैं। हिंदु धर्म में पाश एवं अभय मुद्रा को शक्ति एवं निर्भयता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए मान्यता है कि देवी भुवनेश्वरी के इस स्वरूप की पूजा करने से मानसिक और शारीरिक शक्ति का आशीष प्राप्त होता है। यदि यह पूजा किसी शक्तिपीठ में की जाए तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए भुवनेश्वरी जयंती के शुभ दिन पर पश्चिम बंगाल में स्थित शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में 10 महाविद्या पूजा एवं मां भुवनेश्वरी तंत्र युक्त यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। माना जाता है कि इस तंत्र पीठ में पूजा करने से सभी महाविद्याओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और देवी का आशीष प्राप्त करें।

शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल

शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर, कोलकत्ता, पश्चिम बंगाल
कालीघाट मंदिर, जो कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है, हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है और अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जो शक्ति, ऊर्जा और विनाश की देवी मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। यहां इस मंदिर में देवी काली की प्रचण्ड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखे नजर आ रही हैं और उनके गले में नरमुंडों की माला है, उनके हाथ में कुछ कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं, कमर में कुछ नरमुंड भी बंधे हुए हैं। उनकी जीभ बाहर निकली हुई है और जीभ से कुछ रक्त की बूंदे टपक रह हैं। गौरतलब है कि प्रतिमा में मां काली की जीभ स्वर्ण से बनी हुई है।

वर्तमान में मौजूद मंदिर का निर्माण सबॉर्नो रॉय चौधरी परिवार और बाबू कालीप्रसाद दत्तो के संरक्षण में किया गया था, जिसका निर्माण सन् 1798 में शुरू हुआ और 1809 में पूर्ण हुआ। कालीघाट मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। यह मंदिर कई सैकड़ों वर्षों से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा है, जो यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कालीघाट में देवी काली की पूजा से भक्तों को डर, बुराई, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इसके अलावा, यह मंदिर बंगाल के सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है और यहां के धार्मिक त्योहार, विशेषकर दुर्गा पूजा और काली पूजा, बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।

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व्यक्तिगत पूजा

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पार्टनर पूजा

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पारिवारिक पूजा

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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 4 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में मां दुर्गा को फल, मिठाई और सूखे मेवे का भोग चढ़ाया जाएगा।
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संयुक्त परिवार पूजा

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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 6 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में मां दुर्गा को पुष्पांजलि के साथ फल, मिठाई और सूखे मेवे से युक्त भोग अर्पित किया जाएगा
अपने नाम से किए जाने वाले वस्त्र दान, अन्न दान, गौ सेवा या दीप दान जैसे अन्य सेवाएं का विकल्प चुनें।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पवित्र तीर्थ प्रसाद 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।

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