हिंदु पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भुवनेश्वरी जयंती मनाई जाती है। भुवनेश्वरी अर्थात संसार भर के ऐश्वर्य की स्वामिनी आदिशक्ति दुर्गा माता के दस महाविद्याओं का पंचम स्वरूप है जिस रूप में इन्होनें त्रिदेवों को दर्शन दिये थे। देवी भागवत पुराण में इस बात का स्पष्टीकरण मिलता है। माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा अर्चना से मां भुवनेश्वरी जल्दी प्रसन्न होती है और अपने भक्तों को दिव्य आशीष प्रदान करती है। दस महाविद्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप एवं सभी सिद्धियों की दाता माना जाता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, 10 महाविद्याओं की उत्पत्ति भगवान शिव एवं उनकी पत्नी सती के बीच विवाद से हुई थी। सती ने अपने पिता द्वारा आयोजित एक यज्ञ में भाग लेने की जिद्द की, जिसे भगवान शिव ने अनदेखा कर दिया। तब माता सती ने एक भयावह रूप (काली अवतार) धारण किया, जिससे भगवान शिव अचंभित हो गए और हर तरफ यानि सभी दिशाओं में भागने लगे। तभी माता सती ने उन्हें रोकने के लिए स्वयं को दसों दिशाओं में प्रकट किया, जिन्हें दस महाविद्याओं के रूप में जाना गया। देवी माँ के इन दस रूपों को दस महाविद्या के नाम से जाना जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा का सौम्य अवतार मानी जाने वाली मां भुवनेश्वरी तीन नेत्र एवं चार भुजाओं वाली देवी है, जिनमें से एक हाथ वरदान देने की मुद्रा में हैं तो वहीं दूसरे हाथ में उन्होंने अंकुश धारण किया हुआ है। मां भुवनेश्वरी के शेष दो हाथ पाश एवं अभय मुद्रा में हैं। हिंदु धर्म में पाश एवं अभय मुद्रा को शक्ति एवं निर्भयता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए मान्यता है कि देवी भुवनेश्वरी के इस स्वरूप की पूजा करने से मानसिक और शारीरिक शक्ति का आशीष प्राप्त होता है। यदि यह पूजा किसी शक्तिपीठ में की जाए तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए भुवनेश्वरी जयंती के शुभ दिन पर पश्चिम बंगाल में स्थित शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में 10 महाविद्या पूजा एवं मां भुवनेश्वरी तंत्र युक्त यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। माना जाता है कि इस तंत्र पीठ में पूजा करने से सभी महाविद्याओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और देवी का आशीष प्राप्त करें।