📿जीवन में सबकुछ ठहर गया है? गया में पितृ अनुष्ठान से पाएं स्थिरता और पूर्वजों से खुशहाली का आशीर्वाद
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देवउठनी एकादशी पिंड दान और त्रिपिंडी श्राद्ध गया विशेष

गया त्रिपिंडी श्राद्ध, पिंड दान और तिल तर्पणम

दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए
temple venue
धर्मारण्य वेदी, गया, बिहार
pooja date
1 November, Saturday, कार्तिक शुक्ल एकादशी
முன்பதிவு முடிவடைவதில் :
Day : Hour : Min
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📿जीवन में सबकुछ ठहर गया है? गया में पितृ अनुष्ठान से पाएं स्थिरता और पूर्वजों से खुशहाली का आशीर्वाद

सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी पर पितृ पूजा करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु चातुर्मास की योग निद्रा से जागते हैं और दोबारा शुभ कार्यों का आरंभ होता है। शास्त्रों के अनुसार, जब भगवान जागृत अवस्था में होते हैं, तब पितृों की आत्माओं को भी विशेष तृप्ति और शांति प्राप्त होती है। इस दिन तिल, जल, पुष्प और दीप अर्पित करते हुए पितृों का विशेष स्मरण किया जाता है और उनके कल्याण-मोक्ष की प्रार्थना की जाती है। इस शुभ काल में गया तीर्थ में त्रिपिंडी श्राद्ध, पिंड दान और तिल तर्पण से दिवंगत आत्माओं को प्रभु का मार्ग मिल सकता है।

🕉️ इस अनुष्ठान में त्रिपिंडी श्राद्ध और पिंड दान पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किए जाने वाले विशेष वैदिक कर्मकांड हैं। त्रिपिंडी श्राद्ध में 3 पीढ़ियों पिता, पितामह और प्रपितामह के लिए तिल, चावल और कुशा से बने तीन पिंड अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार को उनका रुका हुआ आशीर्वाद मिलता है। वहीं, पिंड दान में चावल, तिल, पुष्प और जल से बने पिंड पवित्र नदी या तीर्थ में अर्पित किए जाते हैं। यह कर्मकांड पितृ दोष निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है और इससे जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है।

🌿इसी के साथ देवउठनी एकादशी पर किए जाने वाला तिल तर्पण पितरों की आत्मा शांति और तृप्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण वैदिक अनुष्ठान है। श्री मंदिर द्वारा इस शुभ तिथि में गया की धर्मारण्य वेदी पर कुशा, तिल, जल और मंत्रों के साथ पितरों को तर्पण अर्पित किया जाएगा। मान्यता है कि तिल से किया गया तर्पण पितरों की आत्मा को संतुष्टि प्रदान करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में बाधाएं शांत होनी शुरू हो जाती हैं। माना जाता है कि श्राद्ध चतुर्दशी पर तिल तर्पण करने से पितृ दोष के प्रभाव कम होते हैं, परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है और पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है। यह कृतज्ञता व्यक्त करने का पावन अनुष्ठान है, जो इस साल का आखिरी अवसर है।

🛕 गरुण पुराण में गया से जुड़ी कथा:

ब्रह्माजी ने व्यासजी को बताया कि गय नामक असुर ने कठोर तपस्या से देवताओं और मनुष्यों को कष्ट दिया था। परेशान देवगण विष्णु जी के पास गए, जिन्होंने वध का आश्वासन दिया। शिवजी की पूजा के लिए क्षीरसागर से कमल लाते समय, विष्णुमाया से मोहित गय असुर कीकट देश में शयन करने लगा। उसी समय श्री विष्णु ने अपनी गदा से उसका वध कर देवों और मनुष्यों का कल्याण किया। भगवान विष्णु ने इसके बाद घोषणा की कि उसकी देह अब पुण्यक्षेत्र के रूप में पूजनीय होगी। यहां किए गए यज्ञ, श्राद्ध और पिंडदान से भक्त स्वर्ग-ब्रह्मलोक की प्राप्ति करेंगे।
श्री मंदिर द्वारा इस देवउठनी एकादशी पितृ अनुष्ठान में भाग लेने का अवसर हाथ से न जाने दें!

धर्मारण्य वेदी,गया, बिहार

धर्मारण्य वेदी,गया, बिहार
बिहार में स्थित गया शहर जिसे बोध गया के नाम से भी जाना जाता है, यहां पिंडदान का विशेष महत्व है। इस स्थान पर पिंडदान व तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है इसलिए इस पवित्र स्थान को मोक्ष स्थली भी कहा जाता है। माना जाता है कि यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अलावा सभी देवी-देवता विराजमान हैं। गया का महत्व इसी से पता चलता है कि यहां फल्गु नदी के तट पर राजा दशरथ की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध कर्म और पिंडदान किया गया था। वायु पुराण, गरुड़ पुराण और विष्णु पुराण में भी गया शहर का वर्णन किया गया है।

कालांतर से चली आ रही तर्पण व पिंडदान की प्रक्रिया पावन भूमि गया के आसपास स्थित पिंडवेदियों पर आज भी जारी है। स्कंद पुराण के अनुसार, महाभारत के युद्ध के दौरान मारे गए लोगों की आत्मा की शांति और पश्चाताप के लिए धर्मराज युधिष्ठिर ने धर्मारण्य पिंडवेदी पर पिंडदान किया था। हिंदू संस्कारों में पंचतीर्थ वेदी में धर्मारण्य वेदी की गणना की जाती है। माना जाता है कि धर्मारण्य पिंडवेदी पर पिंडदान और त्रिपिंडी श्राद्ध का विशेष महत्व है। यहां किए गए पिंडदान व त्रिपिंडी श्राद्ध से प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है और सभी पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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व्यक्तिगत पूजा

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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के नाम के साथ आपके नाम एवं गोत्र का उच्चारण करेंगे।
अपनी पूजा के साथ अन्न सेवा, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
पूजा संपन्न होने के बाद दिव्य आशीर्वाद बॉक्स जैसे- गंगाजल, धागा आदि जो कि प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों से प्राप्त किए गए हैं, 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा। यह बॉक्स, श्री मंदिर की तरफ से आपकी पूजा बुकिंग के साथ ही बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के भेजा जाएगा।

पार्टनर पूजा

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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 2 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
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पारिवारिक पूजा

अधिकतम 4 सदस्यों के लिए पूजा कराएं
2001
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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 4 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
धर्मारण्य वेदी में आपके पूर्वज को फल, मिठाई और सूखे मेवे का भोग चढ़ाया जाएगा।
अपनी पूजा के साथ अन्न सेवा, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा एवं आप इसे अपनी बुकिंग हिस्ट्री में जाकर भी देख सकते हैं।
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संयुक्त परिवार पूजा

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पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के साथ आपके परिवार के 6 सदस्यों के नाम व गोत्र का उच्चारण करेंगे।
धर्मारण्य वेदी में आपके पूर्वज को फल, मिठाई और सूखे मेवे का भोग चढ़ाया जाएगा।
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மதிப்புரைகள் மற்றும் மதிப்பீடுகள்

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