सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस अवधि में पड़ने वाली सभी तिथियों का अपना अलग महत्व होता है, जिसमें से एक है षष्ठी तिथि। इस तिथि पर उन पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु हिंदु पंचांग के अनुसार, किसी भी षष्ठी तिथि को हुई हो। हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार, 'पितृ दोष' पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं और नकारात्मक कर्मों के कारण होता है। पितृदोष के कारण जीवन में आर्थिक हानि, गृह क्लेश आदि जैसी कई तरह की समस्याओं का सिलसिला लगा ही रहता है। शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान रुद्राभिषेक करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। यही कारण है कि पितृ पक्ष में भक्तगण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक करते हैं, क्योंकि भगवान शिव के रौद्र रूप को मृत्यु, विनाश और अंततः मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान शिव के रुद्र रूपी शिवलिंग का मंत्रोच्चार के साथ पवित्र जल, दूध, शहद और अन्य सामग्रियों से स्नान कराना। इसीलिए माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध षष्ठी तिथि पर रुद्राभिषेक करने से न केवल पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि परिवार में खुशहाली और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस बार श्राद्ध षष्ठी तिथि सोमवार को पड़ रही है और सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। ऐसे में इस दिन रुद्राभिषेक का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। यदि यह रुद्राभिषेक एक साथ कई मोक्ष तीर्थ स्थानों पर किए जाएं तो यह ज्यादा फलदायी हो सकते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, मोक्ष तीर्थ स्थानों पर रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इसलिए पहली बार इन पवित्र मोक्ष तीर्थ स्थानों पर एक साथ रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है :
श्री गंगोत्री धाम, उत्तराखंड: श्री गंगोत्री धाम, मां गंगा का उद्गम स्थल है। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगीरथ जी ने परिवार के मोक्ष के लिए तपस्या की थी और भगवान शिव ने मां गंगा को जटाओं में धारण किया था। माना जाता है कि इस स्थान पर रुद्राभिषेक करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश: ओंकारेश्वर भगवान शिव के 12वें ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मान्यता है कि यहां रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और धन धान्य का आशीष मिल सकता है।
महामृत्युंजय महादेव मंदिर, काशी: काशी के महामृत्युंजय मंदिर में रूद्राभिषेक के द्वारा आरोग्य की प्राप्ति यानि अच्छे सेहत की कामना की जाती है। यह देश का एकलौता मंदिर है जहां महादेव, मृत्युंजय रूप में विराजित हैं।
पशुपतिनाथ महादेव मंदिर, हरिद्वार: हिंदू धर्म ग्रंथों में पशुपतिनाथ महादेव के रूद्राभिषेक से भक्तों को पवित्रता और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्तों का मानना है कि यहां पूजा करने से भगवान नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
ऐसे में पितृ पक्ष की श्राद्ध षष्ठी तिथि के शुभ अवसर पर पहली बार इन चार मोक्ष तीर्थ स्थानों पर होने वाले शिव रुद्राभिषेक में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके अलावा, पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए दान पुण्य करने का भी विधान है। मान्यता है कि इस समय दान करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है, जिनमें पितृ पक्ष विशेष पंच भोग, दीप दान भी शामिल है। इसलिए इस पूजा के साथ अतिरिक्त विकल्प के रूप में दिए गए जैसे पंच भोग, दीप दान एवं गंगा आरती का चुनाव करना आपके लिए फलदायी हो सकता है। इसलिए इस पूजा में इन विकल्पों को चुनकर अपनी पूजा को और भी अधिक प्रभावशाली बनाएं।