मंदिर की दीवारों पर लिखी हैं रामचरितमानस की चौपाइयां और दोहे
.वाराणसी, उत्तरप्रदेश, भारत
उत्तरप्रदेश के वाराणसी में तुलसी माता का एक छोटा सा मंदिर है। जिसको कलकत्ता के एक व्यापारी सेठ रतनलाल सुरेका ने 1964 में बनवाया था । मंदिर का उद्घाटन डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था। यहां मधुर स्वर में रामचरितमानस का संकीर्तन सुनाई देता है। यहां श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी की प्रतिमाएं हैं। इसके अलावा, माता अन्नपूर्णा और शिवजी का एक मंदिर है, और भगवान सत्यनारायण का दूसरा मंदिर है।
मंदिर का इतिहास
वाराणसी के मंदिरों में से एक है तुलसी मानस मंदिर। हिन्दू धर्म में भी इस मंदिर का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक महत्व है। क्योंकि 16वीं शताब्दी में हिन्दू कवि व संत गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस को स्थान पर लिखा था।रामायण, हिन्दू धर्म का एक विशिष्ट महाकाव्य है रामायण को संस्कृत में वाल्मीकि ने लिखा था। जो लगभग 500 ईसा पूर्व से 100 ईसा पूर्व के बीच लिखा गया है। क्योंकि मूल रामायण संस्कृत में लिखा गया है जन साधरण को समझना मुश्किल था। इसलिए रामचरितमानस सरल हिंदी में लिखा गया था।
मंदिर का महत्व
तुलसी मानस मंदिर का हिन्दू धर्म में बहुत ही धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है , संत श्री गोस्वामी तुलसी दास जी ने इसी स्थान पर रामचरित मानस का सरल रूप लिखा था। तुलसी मानस मंदिर में सम्पूर्ण दीवार पर रामचरित मानस लिखा गया है और इस मंदिर में रामायण की धुन निरंतर बजती रहती है।
मंदिर की वास्तुकला
इस मंदिर को हिंदू कला शैली में बनाया गया है। संगमरमर का पूरा मंदिर है। इस मंदिर के मध्य में श्री राम, माता जानकी और लक्षण की मूर्ति है। सत्यनारायण और माता अन्नपूर्णा एक तरफ हैं और शिवजी दूसरी तरफ। इस मंदिर की एक विशेषता है कि पूरे मंदिर की दिवारों पर रामचरित मानस अंकित है। पूरी रामायण को संगमरमर के दिवारों पर सुंदर नक्कासी द्वारा लिखा गया है। मंदिर की दूसरी मंजिल पर संत तुलसीदास की मूर्ति है। तुलसी मानस मंदिर में राम नवीं, अन्नकूट और कृष्णजन्मष्टमी के त्योहार बहुत अच्छे ढंग से मनाय जाते हैं। मंदिर के पहले तल पर सभी भाषाओं में दुर्लभ रामायण प्रतियों का पुस्तकालय भी है।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
05:30 AM - 12:00 PMशाम को मंदिर खुलने का समय
03:30 PM - 09:00 PMयात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है