पांडवों ने स्थापित की माँ की यह मूर्ति
.वाराणसी, उत्तरप्रदेश, भारत
वाराणसी के सिन्धिया घाट पर स्थित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है संकठा देवी माता का मंदिर। नवरात्र के आठवें दिन यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है। मान्यता है कि माता के इस रूप के अद्भुत दर्शन करने से माँ अपने भक्तों के जीवन में सफलता और सुख समृद्धि देती है। इसी के साथ माँ के सच्चे मन से आराधना करने से जातक को कभी किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता है।
मंदिर का इतिहास
माँ संकठा के इस मंदिर का इतिहास रामायण काल का माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब पांडवों को अज्ञातवास मिला था, तब वे काशी आएं थे और उन्होंने संकठा माता की इस भव्य मूर्ति की स्थापना करते हुए पाँचों भाईयों ने एक पैर पर खड़े होकर पूजा की थी एवं करीब एक वर्ष तक इसी स्थान पर रहे थे। उसके बाद माँ संकठा ने उनके सारे कष्ट दूर कर दिए थे। उसके बाद महाभारत के युद्ध में पांडवों ने माँ संकठा के आशीर्वाद से विजय प्राप्त की।
मंदिर का महत्व
माँ संकठा के इस मंदिर में पौष माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को विशेष श्रृंगार होता है और मान्यता है कि इस विशेष श्रृंगार के दर्शन करने से माँ की असीम कृपा प्राप्त होती है और जातक को किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता और सार कष्ट दूर हो जाते है।
मंदिर की वास्तुकला
काशी में स्थित माँ संकठा का मंदिर बहुत ही अद्भभुत है, इस मंदिर की बनावट बाकी मंदिरों से भिन्न है। मंदिर के गर्भगृह में करीब पाँच फीट ऊँची माँ संकठा की मूर्ति स्थापित की गई है। मंदिर में प्रवेश करते ही लंबा चौड़ा प्रांगण है जिसमें एक विशालकाय पीपल का पेड़ है, जिसके चारों ओर चबूतरा बना हुआ है।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने और रात को बंद होने का समय
04:00 AM - 11:30 PMसुबह आरती का समय
04:00 AM - 05:00 AMभोजन का समय
02:00 PM - 02:30 PMमंदिर का प्रसाद
संकठा माता मंदिर में माँ को नारियल और चुनरी चढ़ाई जाती है। माता को चढ़ने वाले नारियल का स्वाद बेहद अलग होता है।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है