जानिए चिंतामन गणेश मंदिर का इतिहास, वास्तुकला, दर्शन समय और वहाँ पहुँचने की पूरी जानकारी। यह मंदिर आपकी सभी चिंताओं को दूर करने वाला माना जाता है।
उज्जैन का चिंतामन गणेश मंदिर भक्तों की सभी चिंताओं को हरने वाले श्री गणेशजी का एक प्राचीन और अत्यंत पूजनीय स्थान है। मान्यता है कि यहाँ दर्शन मात्र से मन की शांति मिलती है और बाधाएं दूर होती हैं। इस लेख में जानिए मंदिर का इतिहास, गणेशजी की विशेष मूर्तियों और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के बारे में।
चिंतामन गणेश मंदिर मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम जवास्या में स्थित है। यह मंदिर भगवान गणेश के तीन स्वरूपों चिंतामन, इच्छामन और सिद्धिविनायक को समर्पित है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चिंतामन गणेश मंदिर की स्थापना भगवान श्रीराम और माता सीता ने वनवास काल के दौरान की थी। चिंतामन स्वरूप भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित हैं, जबकि इच्छामन और सिद्धिविनायक गणेश जी की स्थापना लक्ष्मण और सीता जी द्वारा की गई थी। यह मंदिर परमारकाल के दौरान, 9वीं से 13वीं शताब्दी के बीच का बताया जाता है। विक्रम संवत् 155 में महाराजा विक्रमादित्य ने इसका निर्माण श्रीयंत्र के अनुरूप करवाया था। बाद में इस मंदिर का पुनर्निर्माण पेशवाकाल और फिर अहिल्याबाई होलकर के शासन में हुआ।
माना जाता है कि चिंतामन गणेश के दर्शन मात्र से व्यक्ति की सभी चिंताओं का नाश होता है। श्रद्धालु विशेष रूप से चैत्र माह के बुधवार को यहां आकर पूजा करते हैं। किसान अपनी फसल कटने के बाद सबसे पहले भगवान को अर्पित करते हैं, जिससे उनके कृषि कार्यों में बाधा दूर होती है। श्रद्धालु यहां मन्नत का धागा बांधते हैं और उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं।
मंदिर की वास्तुकला परमारकाल की है और शिखर पर सिंहों की मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार आकर्षक है। गर्भगृह में खड़ी हुई श्रीगणेश जी की मूर्ति स्थापित है, जो आधी भूमि में धंसी हुई है। मंदिर के निर्माण में श्रीयंत्र की संरचना को ध्यान में रखा गया है।
सुबह मंदिर खुलने का समय: 06:00 AM - 09:30 PM
पहली आरती: 08:00 AM - 09:00 AM
भोग आरती: 12:00 PM - 12:30 PM
तीसरी आरती: 04:00 PM - 04:30 PM
चौथी आरती: 07:00 PM - 08:00 PM
पांचवीं आरती: 09:00 PM - 09:30 PM
श्रद्धालु शुद्ध घी और मेवे से बने लड्डू का भोग भगवान को अर्पित करते हैं। मन्नत के लिए दूध, दही, चावल और नारियल चढ़ाए जाते हैं। मकर संक्रांति पर महिलाएं तिल से बने व्यंजन भोग में लगाती हैं।
निकटतम रेलवे स्टेशन
उज्जैन रेलवे स्टेशन (7 किमी)। रेलवे स्टेशन से मंदिर तक ऑटो या बस से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
बस स्टेशन
उज्जैन बस स्टेशन (8 किमी)। मध्यप्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से उज्जैन तक नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग
निजी वाहनों और टैक्सियों द्वारा भी मंदिर तक पहुँचना सुगम है।
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