जानिए नवग्रह मंदिर उज्जैन का पौराणिक महत्व, नौ ग्रहों की पूजा की प्रक्रिया, दर्शन का समय और वहाँ पहुँचने की आसान जानकारी।
उज्जैन का नवग्रह मंदिर एक ऐसा अनोखा स्थल है जहाँ एक ही जगह पर नौ ग्रहों की पूजा होती है। माना जाता है कि यहाँ दर्शन और पूजन से ग्रह दोष शांत होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। इस लेख में जानिए नवग्रह मंदिर का महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़ी प्रमुख धार्मिक मान्यताएं।
नवग्रह मंदिर, मध्य प्रदेश के धार्मिक नगर उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर क्षिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट पर स्थित है और नौ ग्रहों सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु को समर्पित है। यहां विशेषकर शनिवार को और अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
नवग्रह मंदिर का इतिहास लगभग दो हजार साल पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना सम्राट विक्रमादित्य ने की थी। विक्रमादित्य ने इस मंदिर के निर्माण के साथ ही विक्रम संवत की शुरुआत की थी, जो हिंदू पंचांग का आधार बना। यह मंदिर इसीलिए भी विशेष है क्योंकि यहां शनि महाराज की पूजा शिव स्वरूप में की जाती है, जो भारत में अद्वितीय है।
नवग्रह मंदिर में आने वाले श्रद्धालु नौ ग्रहों की शांति के लिए विशेष पूजा करते हैं। विशेष रूप से शनिदेव के दर्शन के लिए यहां भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। माना जाता है कि यहां शनि की साढ़ेसाती, ढय्या और अन्य ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। शनि अमावस्या के दिन यहां 5 क्विंटल से अधिक सरसों का तेल चढ़ाया जाता है, जिसे बाद में नीलाम किया जाता है।
नवग्रह मंदिर की वास्तुकला अत्यंत सुंदर और प्राचीन है। मंदिर का मुख्य द्वार भव्य और विस्तृत शिल्प से सुसज्जित है। मंदिर के चारों ओर उकेरी गई मूर्तियाँ और कलाकृतियाँ दर्शनीय हैं। यह मंदिर कई स्तंभों पर टिका है, जिन पर देवी-देवताओं के चित्र अंकित हैं। मंदिर परिसर में हर ग्रह के लिए अलग गर्भगृह बनाए गए हैं, जहां श्रद्धालु अपनी कुंडली के अनुसार ग्रहों की शांति के लिए पूजा कर सकते हैं।
श्रद्धालु यहां गुड़, तिल और सरसों का तेल शनिदेव को चढ़ाते हैं। शनिदेव को विशेष रूप से तेल अर्पित करने की परंपरा है।
निकटतम हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन
सड़क मार्ग
नवग्रह मंदिर, उज्जैन बस स्टैंड से लगभग 9 किमी की दूरी पर स्थित है। मध्य प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से उज्जैन के लिए नियमित बसें उपलब्ध हैं। निजी वाहनों से भी यहां पहुंचा जा सकता है।
Did you like this article?
प्रयागराज के पड़िला गांव में स्थित पड़िला महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। जानिए इस मंदिर का पौराणिक इतिहास, धार्मिक मान्यताएं, दर्शन व पूजा का समय और वहाँ तक पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी।
वृन्दावन के प्राचीन मदन मोहन मंदिर का इतिहास, श्रीकृष्ण भक्ति में इसका महत्व, मंदिर की स्थापत्य विशेषताएं, दर्शन व आरती समय और वहाँ पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी जानिए। यह मंदिर वैष्णव परंपरा का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
उज्जैन स्थित राम जानकी मंदिर भगवान श्रीराम और माता सीता को समर्पित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। जानिए इस मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन व आरती का समय, और वहाँ पहुँचने का मार्ग।