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Durvasa Stuti

क्या आप जीवन में आशीर्वाद और ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं? दुर्वासा स्तुति से पाएं महर्षि दुर्वासा का आशीर्वाद – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।

दुर्वासा स्तुति के बारे में

सनातन धर्म में ऋषि दुर्वासा को एक बहुत ही बड़े और ज्ञानी ऋषि माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वे भगवान शिव के अंश हैं। पुरानी कहानियों के अनुसार, ऋषि दुर्वासा सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग – इन तीनों युगों में भी जीवित थे। यह स्तुति महर्षि दुर्वासा को प्रसन्न करने के लिए की जाती है, ताकि उनकी कृपा मिले। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, कुंती माता ने दुर्वासा ऋषि से मिला एक मंत्र पढ़कर ही सूर्य देव से कर्ण को जन्म दिया था।

दुर्वासा स्तुति

सनातन धर्म में ऋषि दुर्वासा को एक बहुत ही महान और बुद्धिमान ऋषि माना जाता है। लोग उन्हें सिर्फ क्रोधी मुनि के रूप में नहीं देखते, बल्कि वे एक ऐसे ऋषि थे जिनमें गहरा ज्ञान, तप और योग की शक्ति भरी हुई थी। उनका नाम सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग – तीनों युगों में लिया गया है, यानी वे बहुत पुराने समय से धरती पर मौजूद थे।

यह स्तुति विशेष रूप से महर्षि दुर्वासा को खुश करने के लिए की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से उनकी याद करता है या यह स्तुति पढ़ता है, तो उसे उनकी कृपा और आशीर्वाद मिलते हैं। इससे जीवन में आने वाली कई परेशानियाँ दूर हो जाती हैं और मानसिक शांति भी मिलती है।

महर्षि दुर्वासा स्तुति (पूर्ण पाठ)

ॐ नमो दुर्वासाय, योगिनां श्रेष्ठाय तेजसे।

क्रोधस्वरूपाय नमः, ज्ञानविज्ञान निधानाय नमः॥

महातपस्विने नमः, सत्यधर्मपरायणाय नमः।

भगवत्भक्ताय नमः, विष्णुदत्ताय नमो नमः॥

ऋषिपुज्याय नमः, सर्वलोकहितैषिणे।

दण्डधारिणे नमः, शापविनाशकारकाय नमः॥

अन्नपूर्णाय नमः, भिक्षाटनशीलिने।

मनोनिग्रहकर्त्रे नमः, शमदमविभूषिताय॥

त्वं योगीश्वरः, ऋषिवरः, ध्यानपरः सदा।

कृपां कुरु मयि नित्यं, दुर्वास मुनिश्रेष्ठ॥

ॐ ऋषये दुर्वासाय नमः।

ॐ शांति: शांति: शांति:॥

दुर्वासा स्तुति की पाठ विधि

  • पाठ का सही समय: सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद मंदिर में जाए, पूजा स्थान में बैठकर भगवान शिव और ऋषि दुर्वासा का ध्यान करें। दुर्वासा ऋषि की पूजा के समय सफेद या पीले कपड़े पहनना अच्छा माना जाता है।

  • पूजा सामग्री: ऋषि दुर्वासा की पूजा के लिए सबसे पहले एक घी का दिया बनाए। आरती के लिए धूपबत्ती, साथ में शुद्ध जल का लोटा रखे। पूजा के लिए फूल, तुलसी की पत्ती, भोग के लिए कुछ मीठा और पूजा के आसन के लिए कोई कपड़ा भी रखे।

  • विधि: घी का दिया जलाकर "ॐ श्री दुर्वासा ऋषये नमः" का जाप करे। इसके बाद ऋषि दुर्वासा की मानसिक पूजा करे। इसके बाद स्तुति का पाठ करें।

  • भोग: पूजा के बाद भोग लगाए और अपनी प्रार्थना कहे। प्रार्थना के बाद हाथ जोड़े और फिर भोग के प्रसाद को भक्तों में बांटे।

दुर्वासा स्तुति के फायदे

  • गुस्से पर नियंत्रण: ऋषि दुर्वासा को उनके तेज और क्रोध के लिए ही जाना जाता है लेकिन उनका गुस्सा हमेशा न्याय के लिए ही होता है। यदि आप इस स्तुति को करते हैं तो आपका गुस्सा कम होगा और मन शांत होगा। इसके साथ ही आपको सही गलत समझने में मदद मिलेगी।

  • फोकस: यदि आपका मन एक जगह नहीं लग पाता और बड़ी आसानी से विचलित होता है तो आपको ऋषि दुर्वासा की स्तुति जरूर करनी चाहिए। खासतौर पर पढ़ाई करने वाले लोगों के लिए यह स्तुति बहुत अच्छी मानी जाती है।

  • आत्मबाल: ऐसा माना जाता है ऋषि दुर्वासा की स्तुति से आपका मन मजबूत होता है। आपके अंदर धैर्य, संयम और साहस भी बढ़ता है। ऋषि दुर्वासा जो भी करते थे पूरे आत्मविश्वास के साथ करते थे, उनकी स्तुति से आप में भी यह शक्ति आएगी।

  • गुरुओं की कृपा: हिन्दू धर्म में दुर्वासा सभी महान ऋषियों में से एक हैं। उनकी स्तुति करने से आमजन को गुरुओं, संतों और बड़े-बुज़ुर्गों का आशीर्वाद मिलता है।

  • दोषों से मुक्ति: दुर्वासा ऋषि की आराधना करने से आपके बड़े संकट टल सकते हैं। आपके आस पास की सारी नेगटिव एनर्जी खत्म होती है और मन शांत होता है। इतना ही नहीं आपकी कुंडली के कई दोष भी खत्म होते हैं।

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Published by Sri Mandir·June 18, 2025

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