बृहस्पति स्तुति
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बृहस्पति स्तुति (Brihaspati Stuti)

क्या आप शिक्षा, विवाह या गुरु-दोष से परेशान हैं? बृहस्पति स्तुति से पाएं देवगुरु बृहस्पति का आशीर्वाद, जिससे बढ़े आपकी समझ, निर्णय शक्ति और सौभाग्य – जानिए इसका पाठ और लाभ।

बृहस्पति स्तुति के बारे में

बृहस्पति स्तुति एक प्रभावशाली स्तुति है जो देवगुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए की जाती है। किसी भी साधक की कुंडली में यदि बृहस्पति अशुभ प्रभाव दे रहे हों तो इस स्तोत्र का नियमित जाप लाभदायक होता है। साथ ही स्तुति के पाठ करने से ज्ञान, धन, संतान सुख और वैवाहिक जीवन में शुभ फल मिलते हैं। यदि आप इस स्तुति के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं जैसे पाठ विधि, इसके फायदे आदि तो हमारे इस आर्टिकल को पढ़ें और इसके बारे में जानिए संपूर्ण जानकारी।

बृहस्पति स्तुति क्या है? : जानें बृहस्पति स्तुति को

बृहस्पति स्तुति एक प्राचीन स्तोत्र है जो देवगुरु बृहस्पति की महिमा का वर्णन करता है। इसे पढ़ने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे जीवन में ज्ञान और सफलता की प्राप्ति होती है। इस स्तुति का नियमित जाप करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की मुश्किलें कम हो जाती हैं। बृहस्पति स्तुति को गुरुवार के दिन विधि पूर्वक पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है।

बृहस्पति स्तुति

विनियोग:

ॐ अस्य श्रीबृहस्पति स्तोत्रस्य गृत्समद ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, बृहस्पतिः देवता, श्रीबृहस्पति प्रीत्यर्थं जपे विनियोगः।

बृहस्पति स्तोत्र

गुरुर्बुधस्पतिर्जीवः सुराचार्यो विदांवरः।

वागीशो धिषणो दीर्घश्मश्रुः पीताम्बरो युवा।।

सुधादृष्टिर्ग्रहाधीशो ग्रहपीडापहारकः।

दयाकरः सौम्यमूर्तिः सुरार्चितः कुङ्कुमद्युतिः।।

लोकपूज्यो लोकगुरुर्नीतिज्ञो नीतिकारकः।

तारापतिश्चाङ्गिरसः वेदवित् पितामहः।।

भक्त्या बृहस्पतिं स्मृत्वा नामान्येतानि यः पठेत्।

आरोगी बलवान् श्रीमान् पुत्रवान् स भवेन्नरः।।

जीवेद्वर्षशतं मर्त्यः पापं नश्यति तत्क्षणात्।

यः पूजयेद्गुरौ दिने पीतगन्धाक्षताम्बरैः।।

पुष्पदीपोपहारैश्च पूजयित्वा बृहस्पतिम्।

ब्राह्मणान् भोजयित्वा च पीडाशान्तिर्भवेद्गुरोः।।

बृहस्पति स्तोत्रम्

क्रौं शक्रादि देवैः परिपूजितोऽसि

त्वं जीवभूतो जगतो हिताय।

ददाति यो निर्मलशास्त्रबुद्धिं

स वाक्पतिर्मे वितनोतु लक्ष्मीम्॥१॥

पीताम्बरः पीतवपुः किरीटी

श्वेतोर्भुजो देवगुरुः प्रशान्तः।

दधाति दण्डं च कमण्डलुं च

तथाक्षसूत्रं वरदोऽस्तु मह्यम्॥२॥

बृहस्पतिः सुराचार्यो दयावान् शुभलक्षणः।

लोकत्रयगुरुः श्रीमान् सर्वज्ञः सर्वतो विभुः॥३॥

सर्वेशः सर्वदा तुष्टः श्रेयस्कृत् सर्वपूजितः।

अकोधनो मुनिश्रेष्ठो नीतिकर्ता महाबलः॥४॥

विश्वात्मा विश्वकर्ता च विश्वयोनिरयोनिजः।

भूर्भुवो धनदाता च भर्ता जीवो जगत्पतिः॥५॥

पञ्चविंशतिनामानि पुण्यानि शुभदानि च।

नन्दगोपालपुत्राय भगवत्कीर्तितानि च॥६॥

प्रातरुत्थाय यो नित्यं कीर्तयेत् तु समाहितः।

विप्रस्तस्यापि भगवान् प्रीतः स च न संशयः॥७॥

तन्त्रान्तरेऽपि नमः सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नमः।

नमस्त्वनन्तसामर्थ्य वेदसिद्धान्तपारग॥८॥

सदानन्द नमस्तेऽस्तु नमः पीडाहराय च।

नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे॥९॥

नमोऽद्वितीयरूपाय लम्बकूर्चाय ते नमः।

नमः प्रहृष्टनेत्राय विप्राणां पतये नमः॥१०॥

नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक।

नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे॥११॥

विषमस्थस्तथा नॄणां सर्वकष्टप्रणाशक।

प्रत्यहं तु पठेद्यो वै तस्य कामफलप्रदम्॥१२॥

बृहस्पति स्तुति पाठ विधि

  • बृहस्पति स्तुति का पाठ सुबह या शाम किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन गुरुवार का दिन और समय सबसे शुभ माना जाता है।
  • इस विधि से नियमित रूप से बृहस्पति स्तुति का पाठ करने से जीवन में सुख, समृद्धि, ज्ञान और भाग्य में वृद्धि होती है।
  • सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें। पीला रंग बृहस्पति देव का प्रिय रंग माना जाता है। इसलिए स्नान करने के बाद पीले रंग के वस्त्र पहन लें।
  • फिर पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और साफ कपड़ा बिछाकर बृहस्पति देव की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
  • अब पंचामृत या गंगाजल से अभिषेक करें।
  • यह कार्य करने के बाद पीले रंग के फूल,अक्षत, चंदन, फल और मिठाई अर्पित करें।
  • इसके बाद दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं।
  • फिर मन को शांत करके भगवान बृहस्पति की स्तुति का पाठ करें।
  • सूरज की दिशा ओर बैठकर पाठ करने से पाथ का अधिक फल प्राप्त होता है।
  • ध्यान रखें कि पाठ करते समय आपके मन में कोई भी नकारात्मक विचार न आए।
  • पाठ करने के बाद बृहस्पति देव की आरती, भजन करें और भोग अर्पित करें।
  • अंत में बृहस्पति देव से कृपा, खुशहाली,शांति, समृद्धि और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

ध्यान रखें किसी विशेष मुहूर्त पर पूजन करने के लिए जानकारी पंडित और विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें और फिर पूजा को विधिपूर्वक करें ताकि पूजा सही समय पर हो और अधिक प्रभावशाली सिद्ध हो।

बृहस्पति स्तुति पाठ के फायदे

बृहस्पति स्तुति का पाठ करने से कई फायदे प्राप्त होते हैं।

  • ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: बृहस्पति स्तुति का नियमित पाठ ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाने में सहायक होता है।
  • सफलता और समृद्धि: बृहस्पति स्तुति का पाठ करने से बृहस्पति देव की कृपा से जीवन में सफलता और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही व्यवसाय और करियर में भी उन्नति होती है।
  • सुख और शांति: बृहस्पति स्तुति का जाप करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है और मन को भी शांति मिलती है।
  • विघ्न बाधाओं का निवारण: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं को दूर करने में बृहस्पति स्तुति बहुत प्रभावशाली है।
  • कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत करना: बृहस्पति स्तोत्र पढ़ने से कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, जिससे जीवन में भाग्य बेहतर होता है।
  • संतान संबंधी समस्याओं का समाधान: बृहस्पति ग्रह को संतान पक्ष का कारक माना जाता है। इसका नियमित पाठ संतान संबंधी कष्टों को दूर करता है।
  • वैवाहिक जीवन में सुधार: यदि विवाह में देरी हो रही हो तो बृहस्पति स्तोत्र का पाठ जरूर करें। यह विवाह के योग जल्दी बनाता है और वैवाहिक जीवन की समस्याएं खत्म करता है।
  • भाग्य और जीवन में समृद्धि: गुरु बृहस्पति को सबसे दयालु देवता माना जाता है। उनका प्रसन्न होना भाग्य को मजबूत करता है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। इसलिए बृहस्पति स्तोत्र का जाप जीवन में खुशहाली लाता है।
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Published by Sri Mandir·July 1, 2025

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