चंडिका स्तुति
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चंडिका स्तुति (Chandika Stuti)

क्या आप माँ चंडिका का आशीर्वाद पाकर अपने जीवन की बाधाएं दूर करना चाहते हैं? चंडिका स्तुति से पाएं माँ का दिव्य संरक्षण जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।

चंडिका स्तुति के बारे में

चंडिका स्तुति देवी दुर्गा के चंडिका रूप की स्तुति है, जिसमें उनके उग्र और रक्षक स्वरूप का वर्णन होता है। इसका पाठ शत्रुनाश, भय से मुक्ति और आत्मबल की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह स्तुति अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है। आइये जानते हैं इसके बारे में...

देवी चंडिका: शक्ति, पराक्रम और दुष्टों का संहार करने वाली

माँ चंडिका, दुर्गा सप्तशती की प्रमुख देवी हैं, जिन्हें महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का संयुक्त स्वरूप माना जाता है। वे दुष्टों का संहार करने वाली, धर्म की रक्षा करने वाली और अपने भक्तों को हर प्रकार के भय व संकट से मुक्ति दिलाने वाली शक्ति हैं। उनकी उग्रता भक्तों के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करती है। चंडिका स्तुति का पाठ करने से साधक को अदम्य साहस, विजय और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

श्री चंडिका स्तुति

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

जयति जय जय माँ चंडिके, जयति चंडी हे देवा।

दुष्टों का संहारिणी, भक्तों की करती सेवा॥

महाकाली तू, महालक्ष्मी तू, महासरस्वती रूपा।

सृष्टि, स्थिति, संहारिणी, तू ही है जननी अनूपा॥

सिंहवाहिनी, खड्गधारिणी, त्रिशूल से करती संहार।

रक्तबीज का रक्त पिया माँ, कर दिया तूने उद्धार॥

चंड-मुंड को मार भगाया, शुंभ-निशुंभ का नाश।

तू ही है रणचंडी, तू ही है सबकी आस॥

देहि सौभाग्यमारोग्यं, देहि मे परमं सुखम्।

रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि द्विषो जहि॥

जय जय जय दुर्गे भवानी, महिषासुर मर्दिनी।

तेरी कृपा से सब संकट कटे, तू ही है संकट तारिणी॥

अज्ञान तिमिर हरण कर माँ, दे ज्ञान का प्रकाश।

भय और भ्रम को दूर कर, पूर्ण कर हर आस॥

ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥

जय चंडिके, जय अंबिके, जय जय देवी माता।

हम सब तेरे बालक माँ, तू ही भाग्य विधाता॥

चंडिका स्तुति पाठ विधि

चंडिका स्तुति का पाठ करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने से इसके पूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं:

  • शुद्धि और पवित्रता: पाठ शुरू करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन को शांत और एकाग्रचित्त करें।
  • स्थान का चुनाव: पूजा स्थान या एक शांत और स्वच्छ जगह का चुनाव करें।
  • मूर्ति या चित्र स्थापना: देवी चंडिका या माँ दुर्गा की एक मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • दीप प्रज्वलन: एक घी का दीपक प्रज्वलित करें। धूप और अगरबत्ती जलाएँ।
  • पुष्प और प्रसाद: देवी को लाल रंग के पुष्प (जैसे गुड़हल या लाल गुलाब) अर्पित करें। लाल मिठाई, नारियल या कोई भी सात्विक प्रसाद चढ़ा सकते हैं।
  • संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले, अपनी मनोकामना कहते हुए संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह पाठ कर रहे हैं।
  • पाठ का समय: चंडिका स्तुति का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शुक्रवार के दिन या नवरात्रि में इसका पाठ अत्यधिक फलदायी माना जाता है। शाम को सूर्यास्त के बाद पाठ करना विशेष शुभ होता है।
  • एकाग्रता: पाठ करते समय मन को पूरी तरह से देवी चंडिका पर केंद्रित करें। स्तुति के प्रत्येक शब्द और उसके अर्थ पर ध्यान दें।
  • माला का उपयोग (वैकल्पिक): यदि आप मंत्रों का जाप कर रहे हैं, तो रुद्राक्ष या रक्त चंदन की माला का उपयोग कर सकते हैं।
  • क्षमा याचना: पाठ समाप्त होने के बाद, यदि कोई त्रुटि हुई हो तो देवी से क्षमा याचना करें।
  • प्रसाद वितरण: प्रसाद को भक्तों और परिवार के सदस्यों में वितरित करें।

चंडिका स्तुति पाठ के फायदे

चंडिका स्तुति का नियमित पाठ करने से साधक को कई प्रकार के लौकिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं:

  • शत्रुओं पर विजय: देवी चंडिका दुष्टों का संहार करती हैं, इसलिए उनकी स्तुति करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और उनसे होने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
  • आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि: पाठ करने से व्यक्ति में अदम्य आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है, जो उसे कठिन परिस्थितियों का सामना करने में मदद करता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा का नाश: यह स्तुति घर और व्यक्ति के आसपास से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नज़र और तंत्र-मंत्र के प्रभावों को दूर करती है।
  • समस्त बाधाओं का निवारण: जीवन के हर क्षेत्र में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने में यह स्तुति अत्यंत प्रभावी है।
  • आर्थिक समृद्धि और ऐश्वर्य: माँ चंडिका में महालक्ष्मी का स्वरूप भी निहित है, अतः उनकी स्तुति से धन-धान्य की वृद्धि होती है और आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: यह पाठ शारीरिक रोगों और मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक होता है, जिससे आरोग्य प्राप्त होता है।
  • यश और कीर्ति की प्राप्ति: देवी की कृपा से व्यक्ति को समाज में यश, सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
  • मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से की गई चंडिका स्तुति से व्यक्ति की सभी न्यायसंगत मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

चंडिका स्तुति का पाठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली आध्यात्मिक साधना है जो व्यक्ति को शक्ति, सुरक्षा और समग्र कल्याण प्रदान करती है।

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Published by Sri Mandir·July 1, 2025

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