त्योहार के दिन क्या खाएं, जिससे दिन हो शुभ और रिश्तों में बढ़े मिठास? जानें रक्षाबंधन पर खाने योग्य शुभ चीजें।
रक्षाबंधन के दिन स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन करना शुभ माना जाता है। भाई-बहन साथ मिलकर पूड़ी, हलवा, खीर, कचौड़ी, और विभिन्न मिठाइयों का आनंद लेते हैं। ताजे, शुद्ध और घर के बने व्यंजन इस दिन विशेष रूप से उपयुक्त होते हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में...
भारत त्योहारों की भूमि है, और उनमें से कुछ त्योहार रिश्तों की डोर को और भी मजबूत करते हैं। ऐसा ही एक विशेष पर्व है रक्षाबंधन। हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के अटूट प्रेम, रक्षा और विश्वास का उत्सव है। इस लेख में हम जानेंगे कि रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व क्या है, इस दिन क्या खाना चाहिए, क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए ताकि पर्व की पवित्रता बनी रहे और ईश्वर की कृपा प्राप्त हो।
रक्षाबंधन का पर्व वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। संस्कृत में 'रक्षा' का अर्थ होता है सुरक्षा और 'बंधन' का अर्थ होता है बंधन या डोर। यानी यह पर्व उस पवित्र डोर का प्रतीक है, जिसमें बहन अपने भाई की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है, और भाई जीवनभर उसकी रक्षा करने का वचन देता है।
पौराणिक कथाओं में रक्षाबंधन के अनेक उल्लेख मिलते हैं। एक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण को युद्ध के दौरान उंगली में चोट लगी थी, तो द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। उस दिन श्रीकृष्ण ने प्रतिज्ञा की कि वे जीवन भर द्रौपदी की रक्षा करेंगे। तभी से रक्षाबंधन पर्व मनाने की परम्परा शुरू हुई।
एक अन्य कथा में वर्णन मिलता है कि प्राचीन काल में राक्षसों के राजा बलि ने कठिन तपस्या से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। तब भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर उसके यज्ञ में पहुंचे और तीन पग भूमि का दान मांगा। राजा बलि ने सहर्ष दान दिया। भगवान ने पहले दो पगों में धरती और आकाश को नाप लिया, तीसरे पग के लिए बलि ने अपना सिर आगे कर दिया। भगवान उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे पाताल लोक का राजा बना दिया और वचन दिया कि वे सदा द्वारपाल बनकर रहेंगे।
भगवान विष्णु के पाताल लोक चले जाने से देवी लक्ष्मी अत्यंत व्याकुल हो गईं। नारद मुनि के सुझाव पर वे एक साधारण ब्राह्मणी के रूप में राजा बलि के पास गईं और उन्हें राखी बांधकर अपना भाई बना लिया। बलि ने उन्हें बहन मानकर वरदान मांगने को कहा। तब लक्ष्मी जी ने अपने पति को वापस मांग लिया। सत्य जानकर राजा बलि ने श्रद्धा से भगवान विष्णु को लक्ष्मी जी के साथ लौटने का निवेदन किया।
इन्हीं मान्यताओं के आधार पर आज भी रक्षाबंधन का पर्व पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
रक्षाबंधन के दिन खाने-पीने में भी शुद्धता और संयम का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जब बहन भाई को राखी बाँधती है, तब सबसे पहले उसे अपने हाथों से मिठाई खिलानी चाहिए। यह परंपरा भाई बहन के रिश्ते में प्रेम और स्नेह को और बढ़ाती है।
इस दिन सात्विक भोजन करना श्रेष्ठ माना गया है। जैसे दाल, चावल, पूरी-सब्जी, खीर, हलवा, फल आदि। अधिक पवित्रता के लिए भोजन को बनाने में शुद्ध घी का प्रयोग करें। साथ ही इस दिन भोजन में कुछ मीठा जरूर बनाएं।
रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर्व पर कुछ चीज़ें खाने से बचना चाहिए। इस दिन खान-पान में संयम रखना न केवल धार्मिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। जब मन और तन दोनों पवित्र हों, तभी पर्व का आनंद मिलता है।
हिंदू धर्म में किसी भी पवित्र व्रत-त्यौहार पर तामसिक भोजन या नशा करने से पुण्य की हानि होती है और रिश्तों में भी नकारात्मकता आ सकती है। इसी तरह रक्षाबंधन के दिन मांस, मछली, अंडा जैसे तमसिक आहार वर्जित माने जाते हैं। इसके साथ ही लहसुन, प्याज, मूली बैंगन जैसी वस्तुएं तमसिक भोजन की श्रेणी में आती हैं। इसलिए रक्षाबंधन जैसे धार्मिक अवसर पर इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
रक्षाबंधन एक धार्मिक पर्व है, जो केवल भाई-बहन के रिश्ते को ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार को जोड़ता है। इस दिन यदि हम खान-पान और व्यवहार में थोड़ी सावधानी बरतें, तो पर्व की पवित्रता और भी बढ़ जाती है। इस रक्षा बंधन ‘श्री मंदिर’ कामना करता है कि आप भाई बहन की जोड़ी पर ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहे।
आपको और आपके परिवार को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं!
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