उज्जैन का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व इसे एक खास तीर्थ बनाता है। जानिए उज्जैन की उन खास जगहों के बारे में, जो हर भक्त और पर्यटक को एक बार जरूर देखनी चाहिए।
उज्जैन मध्यप्रदेश का एक प्राचीन धार्मिक नगर है। यहाँ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, काल भैरव मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, राम घाट और संदीपनि आश्रम प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। यह शहर कुंभ मेले और गहरी आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध है। आइये जानते हैं ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में...
उज्जैन एक प्राचीन धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी है, जो मध्य प्रदेश में स्थित है। जो अपनी समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। इसे "महाकाल की नगरी" के नाम से भी जाना जाता है। उज्जैन हिंदू धर्म के सात पवित्र तीर्थस्थलों (सप्तपुरी) में से एक है और यह शिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां कई महत्वपूर्ण स्थल हैं जो दर्शकों को आकर्षित करते हैं-
महाकाल मंदिर की सबसे प्रसिद्ध आरती है भस्म आरती, जिसमें भगवान शिव को ताजे राख (भस्म) से स्नान कराया जाता है। इसे देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं। महाकालेश्वर एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण दिशा की ओर मुख किए हुए है, जिसे अत्यंत शुभ और शक्तिशाली माना जाता है। मंदिर का गर्भगृह भूमिगत है और यहां शिवलिंग स्थित है। श्रद्धालु यहां जाकर जलाभिषेक व पूजन कर सकते हैं। मंदिर की वास्तुकला प्राचीन है और यह पांच स्तरों में बना है। इसमें एक स्तर नंदी हॉल और अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। मंदिर के ऊपरी तल पर स्थित यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन, नागपंचमी पर खुलता है।
उज्जैन का काल भैरव मंदिर एक रहस्यमय और अत्यंत शक्तिशाली मंदिर माना जाता है, जो भगवान शिव के रौद्र रूप "काल भैरव" को समर्पित है। यह मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और चमत्कारी अनुभवों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। भक्त बोतल में शराब चढ़ाते हैं और चमत्कारिक रूप से देखा जाता है कि भैरव बाबा स्वयं उसे ग्रहण कर लेते हैं — शराब बोतल से कम हो जाती है। मान्यता है कि काल भैरव उज्जैन के नगर रक्षक हैं। बिना इनके दर्शन के महाकाल दर्शन अधूरे माने जाते हैं।
उज्जैन का हरसिद्धि माता मंदिर शक्ति की उपासना का एक अत्यंत पवित्र स्थान है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और इसका गहरा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। माता हरसिद्धि को सिद्धियों की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। माना जाता है कि उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य की इष्ट देवी हरसिद्धि माता थीं। उन्होंने ही इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था और युद्धों में विजय प्राप्ति के लिए यहीं साधना की थी।
राम घाट पर ही सबसे ज्यादा धार्मिक गतिविधियां होती हैं। यहीं पर कुंभ मेला और सिंहस्थ जैसे विश्वप्रसिद्ध आयोजन भी होते हैं। हर शाम सूर्यास्त के समय यहाँ भव्य गंगा आरती की जाती है, जिसमें दीप, घंटियों की ध्वनि और शंखनाद से वातावरण भक्तिमय हो जाता है। नदी में तैरते दीपकों का दृश्य बेहद मनमोहक होता है। श्रद्धालु यहां स्नान करके पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। पर्वों और अमावस्या जैसे विशेष दिनों पर हज़ारों लोग यहां स्नान करते हैं।
उज्जैन की भर्तृहरि गुफा एक प्राचीन, रहस्यमयी और अत्यंत शांत आध्यात्मिक स्थल है। यह गुफा प्रसिद्ध योगी, संत और कवि राजा भर्तृहरि की तपस्या स्थली रही है। यह स्थान ध्यान, साधना और आत्मिक शांति के लिए जाना जाता है। राजा भर्तृहरि उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य के बड़े भाई थे। उन्होंने सांसारिक जीवन का त्याग कर संन्यास धारण किया और इसी गुफा में बैठकर गहन ध्यान और साधना की थी।
मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का बहुत सुंदर और आकर्षक चांदी से मढ़ा हुआ विग्रह (मूर्ति) स्थापित है। भगवान को यहां "गोपालजी" कहा जाता है। यह मंदिर माराठा शैली में बना हुआ है और इसकी दीवारों, छतों और खंभों पर नक्काशी बेहद खूबसूरत है। मुख्य द्वार चांदी का बना हुआ है, जो इसकी भव्यता को और बढ़ाता है। जन्माष्टमी पर यहां से भगवान गोपाल की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
उज्जैन के प्रमुख शक्ति स्थलों में से एक है गढ़कालिका देवी मंदिर, जो देवी कालिका (काली माता) को समर्पित है। यह मंदिर तांत्रिक साधना, शक्ति उपासना और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां माता की आराधना से साधक को सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मंदिर में माँ कालिका की मूर्ति अत्यंत उग्र और शक्तिशाली रूप में विराजमान है। भक्त उन्हें विशेष रूप से रक्षा, शक्ति और विजय के लिए पूजते हैं।
उज्जैन का चार धाम मंदिर एक भव्य और आकर्षक धार्मिक स्थल है, जिसे भारत के चार प्रमुख धामों – बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम् – के प्रतीक रूप में निर्मित किया गया है। यह मंदिर उन श्रद्धालुओं के लिए खास है जो चारों धाम की यात्रा नहीं कर सकते लेकिन एक ही स्थान पर उनके दर्शन करना चाहते हैं। यह मंदिर सुंदर मूर्तियों, तोरण द्वारों और विस्तृत परिसर के लिए जाना जाता है। यहां का वातावरण श्रद्धा और शांति से भरा हुआ होता है।
उज्जैन जिले के पास स्थित सालकनिया पर्वत एक अत्यंत शांत, प्राकृतिक और आध्यात्मिक स्थल है। यह स्थान अपनी प्राचीन गुफाओं, मंदिरों और तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। विशेष रूप से यह स्थान जैन धर्म के श्रद्धालुओं के लिए पवित्र माना जाता है। सालकनिया पर्वत पर प्राचीन जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां चट्टानों पर उकेरी गई हैं। यह मूर्तियां बेहद कलात्मक और ऐतिहासिक हैं, जो यहाँ की दिगंबर जैन संस्कृति को दर्शाती हैं। यहां एक छोटा सा दिगंबर जैन मंदिर भी है, जहाँ श्रद्धालु दर्शन करते हैं।
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