शिमला में घूमने की जगह
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शिमला में घूमने की जगह

शिमला की वादियों में घूमने का प्लान बना रहे हैं? यहां जानें वो खास जगहें, जो हर प्रकृति प्रेमी और ट्रैवलर के लिए हैं परफेक्ट – माल रोड से लेकर कुफरी तक।

शिमला में घूमने की जगह के बारे में

शिमला में जाखू मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान हनुमान को समर्पित है। तारा देवी मंदिर और संकट मोचन मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं, जहाँ दर्शन से मानसिक शांति प्राप्त होती है। आइये जानते हैं इसके बारे में...

शिमला में घूमने की जगह

शहर की भीड़ से दूर, देवदारों की छांव में बसी एक ऐसी जगह, जहाँ हर कदम पर आपको दिव्यता का स्पर्श हो। हम बात कर रहे हैं बर्फ से ढके शहर शिमला की। शिमला की इन पहाड़ियों में सिर्फ हवा नहीं, आस्था भी बहती है। जाखू में आकाश को छूती हनुमान प्रतिमा, भीमाकाली शक्तिपीठ की रहस्यमयी ऊर्जा, तारादेवी से दिखती हिमालय की अद्भुत झलक यहाँ हर मंदिर सिर्फ दर्शन नहीं, एक अनुभव है जो आत्मा को भीतर से छू लेता है।

अगर आपने ये स्थान नहीं देखे, तो आप शिमला का सबसे पवित्र और शक्तिशाली रूप मिस कर रहे हैं।

1. जाखू मंदिर

  • यह मंदिर त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है, जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने द्रोणागिरि पर्वत जा रहे थे।
  • त्रेता युग में महावीर हनुमान जी ने यहां विश्राम किया था।
  • मंदिर में हनुमान जी की 108 फुट ऊंची प्रतिमा है, जो उत्तर भारत की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है।

जाखू मंदिर शिमला की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को एक रोमांचक ट्रैक करना पड़ता है। रामायण के अनुसार, लंका युद्ध के दौरान लक्ष्मण के मूर्छित होने पर हनुमानजी संजीवनी बूटी की खोज में हिमालय की ओर प्रस्थान कर रहे थे। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने जाखू पर्वत पर तपस्या में लीन यक्ष ऋषि को देखा और उनसे संजीवनी बूटी का पता पूछा। हनुमानजी के उतरने से इस पहाड़ी का एक भाग समतल हो गया, और यहाँ उनके पदचिह्न आज भी देखे जा सकते हैं।

मंदिर परिसर में 108 फीट ऊँची भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित है, जो विश्व की सबसे ऊँची हनुमान प्रतिमाओं में से एक है। यह प्रतिमा शिमला के विभिन्न हिस्सों से दिखाई देती है और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।

2. भीमाकाली मंदिर

  • मंदिर का निर्माण बुशहर रियासत के शासकों ने करवाया था।
  • मंदिर में देवी को कुमारी कन्या रूप में पूजा जाता है।
  • स्कंद पुराण के अनुसार, यहां देवी सती के कान गिरे थे, इसलिए इसे शक्तिपीठ माना गया है।

शिमला से लगभग 180 किलोमीटर दूर, हिमाचल प्रदेश के सराहन में स्थित भीमाकाली मंदिर देवी भीमाकाली को समर्पित एक प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहाँ देवी सती का कान गिरा था।

मंदिर की वास्तुकला हिंदू और बौद्ध शैलियों का मिश्रण है, जिसमें लकड़ी और पत्थर का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। मंदिर परिसर में देवी की दो प्रतिमाएँ स्थापित हैं: ऊपरी मंजिल में कन्या रूप में और निचली मंजिल में विवाहित रूप में।

3. कालीबाड़ी मंदिर

  • यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जिन्हें यहां "श्यामला" कहा जाता है।
  • शिमला का प्राचीन नाम 'श्यामला' देवी के नाम पर रखा गया था।
  • मंदिर की स्थापना 1845 में बंगाली समुदाय द्वारा की गई थी।

शिमला के हृदय में स्थित कालीबाड़ी मंदिर देवी काली के श्यामला रूप को समर्पित एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। माना जाता है कि 'शिमला' नाम देवी श्यामला के नाम से ही उत्पन्न हुआ है। मंदिर का निर्माण 1845 में बंगाली ब्राह्मण राम चरण ब्रह्मचारी द्वारा किया गया था। शुरुआत में यह मंदिर जाखू पहाड़ी के निकट रोथनी कैसल क्षेत्र में स्थित था, जिसे बाद में वर्तमान स्थान पर स्थानांतरित किया गया।

यह मंदिर न केवल श्रद्धा का केन्द्र है बल्कि शिमला आने वाले हर पर्यटक के लिए आध्यात्मिक शांति और संस्कृति का प्रतीक भी है। यहाँ से हिमालय की सुंदर वादियाँ भी दिखाई देती हैं, जो मन को शुद्ध करती हैं।

4. तारादेवी मंदिर

  • मंदिर की लकड़ी की मूर्ति लगभग 250 वर्ष पुरानी है।
  • मंदिर से हिमालय की श्रृंखलाएं और घाटियाँ स्पष्ट दिखाई देती हैं।
  • देवी तारा को बुद्ध धर्म में भी मान्यता प्राप्त है, जिन्हें हिन्दू धर्म में मां दुर्गा का रूप माना जाता है।

तारादेवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 18 किलोमीटर दूर शोघी क्षेत्र की एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। करीब 250 वर्ष पूर्व, बंगाल के सेन राजवंश के राजा भूपेंद्र सेन ने एक स्वप्न में देवी तारा के दर्शन किए, जिसमें देवी ने उन्हें इस स्थान पर मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया। इसके पश्चात, राजा ने यहाँ मंदिर का निर्माण करवाया और देवी की लकड़ी की प्रतिमा स्थापित की। बाद में, उनके वंशज बलवीर सेन ने अष्टधातु से निर्मित देवी की प्रतिमा स्थापित कर मंदिर का पुनर्निर्माण किया।

माना जाता है कि माता तारा, देवी दुर्गा की नौ बहनों में से एक हैं। यह मंदिर नवरात्रि और अन्य प्रमुख हिंदू त्योहारों के दौरान विशेष रूप से भक्तों से भरा रहता है, जो यहाँ अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करने के लिए आते हैं।

5. संकटमोचन मंदिर

  • यह मंदिर राम भक्त श्री हनुमान जी को समर्पित है।
  • मंदिर की स्थापना बाबा नीलम दास जी महाराज द्वारा की गई थी।
  • मंगलवार को विशेष पूजा और भंडारे का आयोजन होता है।

संकट मोचन मंदिर, शिमला का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान हनुमान को समर्पित है। यह मंदिर शिमला से लगभग 5 किलोमीटर दूर, चंडीगढ़-शिमला हाईवे पर समुद्र तल से 1,975 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से शिमला शहर का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।

1950 के दशक में, बाबा नीब करोरी जी महाराज इस स्थान पर ध्यान करने आए और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता से प्रभावित होकर भगवान हनुमान का एक मंदिर स्थापित करने का संकल्प लिया। उनके अनुयायियों, जिनमें तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर राजा बजरंग बहादुर सिंह शामिल थे, ने 1962 में मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ किया।

मंदिर का उद्घाटन 21 जून 1966 को हुआ। मंदिर परिसर में भगवान हनुमान के मुख्य मंदिर के अलावा, भगवान राम, सीता और लक्ष्मण, भगवान शिव, और भगवान गणेश के मंदिर भी शामिल हैं। यहाँ बाबा नीब करोरी जी महाराज का एक मंदिर भी स्थित है, जिसका निर्माण 1999 में हुआ था।

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Published by Sri Mandir·May 8, 2025

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