पुणे में घूमने की जगहें जानना चाहते हैं? यहां पढ़ें शहर के खास मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी, जिन्हें हर श्रद्धालु और सैलानी को एक बार जरूर देखना चाहिए।
मराठा इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण शहर पुणे अपने किलों ही नहीं बल्कि मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। यह आर्टिकल विशेष रूप से पुणे के उन मंदिरों पर केंद्रित है जो न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के कारण भी जाने जाते हैं।
अगर आप पुणे घूमने का प्लान बना रहे हैं और सोच रहे हैं कि शहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को किस तरह नजदीक से देखा जाए, तो पुणे के प्राचीन और भव्य मंदिरों का दर्शन किए बिना आपकी यात्रा अधूरी रह जाएगी। पुणे को "महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी" भी कहा जाता है, और यहाँ के मंदिर इस शहर की समृद्ध परंपरा को दर्शाते हैं। ये मंदिर पुणेवासियों की गहरी आस्था और भक्ति के प्रतीक हैं। चलिए जानते हैं पुणे के प्रमुख मंदिरों के बारे में।
स्थापना: 1893 में प्रसिद्ध व्यापारी दगडूशेठ हलवाई द्वारा
मुख्य आकर्षण: भव्य स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित गणपति प्रतिमा
त्योहार: गणेश चतुर्थी पर विशेष भव्यता
स्थान: शिवाजी रोड, पुणे
महत्व: पुणे के सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय गणपति मंदिरों में से एक
विशेषता: हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने आते हैं
दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर पुणे का सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर व्यापारी दगडूशेठ हलवाई द्वारा स्थापित किया गया था, जिन्होंने अपने पुत्र के असामयिक निधन के बाद इसे बनवाया। मंदिर की गणपति प्रतिमा अत्यंत भव्य और आकर्षक है, जिसे हर साल गणेश चतुर्थी के दौरान भव्य रूप से सजाया जाता है। पुणे आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए अवश्य जाते हैं। भक्तों का मानना है कि यहाँ प्रार्थना करने से सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
स्थापना: संत मोरया गोसावी द्वारा
मुख्य आकर्षण: अष्टविनायक मंदिरों में से एक
स्थान: थेऊर, पुणे से लगभग 25 किमी दूर
महत्व: गणेश भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण
विशेषता: चिंताओं को हरने वाले गणपति के रूप में प्रसिद्ध
अन्य आकर्षण: शांत वातावरण और प्राचीन मंदिर वास्तुकला
थेऊर स्थित चिंतामणि गणपति मंदिर अष्टविनायक मंदिरों में से एक है और यह मंदिर विशेष रूप से गणेश भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि यहां के गणपति भक्तों की सभी चिंताओं का नाश करते हैं। यह मंदिर अपने शांत वातावरण और वास्तुकला के कारण भी प्रसिद्ध है। पुणे के निकट स्थित होने के कारण यहाँ भक्तों की भीड़ बनी रहती है।
स्थापना: पेशवा शासनकाल में
मुख्य आकर्षण: पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर
स्थान: पार्वती पहाड़ी, पुणे
महत्व: ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल
विशेषता: 103 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुंचा जाता है
अन्य जानकारी: पेशवाओं के समय से यह मंदिर पुणे का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल रहा है
पार्वती पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर पुणे का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इस मंदिर से पूरे पुणे शहर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। पेशवा शासनकाल के दौरान निर्मित इस मंदिर में भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान विष्णु और भगवान कार्तिकेय की मूर्तियां स्थापित हैं। यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 103 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। पुणे आने वाले इतिहास प्रेमियों के लिए भी यह मंदिर बेहद खास है।
स्थापना: प्राचीन काल में
मुख्य आकर्षण: पहाड़ी पर स्थित अद्भुत शिव मंदिर
स्थान: सिंहगढ़ किले के पास
महत्व: शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल
विशेषता: प्रकृति के बीच बसा शांत वातावरण
अन्य आकर्षण: ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए भी एक आकर्षक स्थल
नीलकंठेश्वर मंदिर पुणे के बाहरी इलाके में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। सिंहगढ़ किले के पास एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। यहाँ तक पहुंचने के लिए एक रोमांचक ट्रेकिंग करनी पड़ती है, जिससे यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षक बन जाती है।
स्थापना: 18वीं शताब्दी में
मुख्य आकर्षण: नदी के किनारे स्थित भव्य शिव मंदिर
स्थान: पुणे के शिवाजी नगर में
महत्व: ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण
विशेषता: पेशवा काल की अनूठी वास्तुकला
अन्य जानकारी: मूला-मुथा नदी के किनारे स्थित होने से यहाँ का वातावरण अत्यंत शांतिपूर्ण है
ओंकारेश्वर मंदिर पुणे का एक प्रमुख शिव मंदिर है, जो पेशवा काल में बनवाया गया था। यह मंदिर मूला-मुथा नदी के किनारे स्थित है और अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए जाना जाता है। मंदिर परिसर में अन्य छोटे मंदिर भी हैं, जो इसे एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र बनाते हैं। यहाँ भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, और महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष आयोजन होते हैं।
पुणे केवल एक आधुनिक शहर नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर भी समेटे हुए है। यहां स्थित मंदिरों में दर्शन करने से न केवल धार्मिक शांति मिलती है, बल्कि भारतीय इतिहास और वास्तुकला की झलक भी देखने को मिलती है।
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