
क्या आप जानते हैं स्वामी विवेकानंद जयंती 2026 कब है? जानिए उनकी जन्म तिथि, प्रेरणादायक जीवन, विचारों और इस दिन के विशेष महत्व के बारे में – सब कुछ एक ही जगह!
स्वामी विवेकानंद में हमें दिव्यता और राष्ट्र प्रेम का गहन मिश्रण दिखाई देता है। वे युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। गुरुदेव श्री रविशंकर जी के द्वारा कहे यह शब्द भारत के युवा के अंदर राष्ट्र प्रेम और धर्म की भावना जागृत करने के लिए काफी हैं। आदर्श विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाले और भारत की शक्ति के प्रतीक स्वामी विवेकानंद ने भारत के अध्यात्म को विश्व मे विख्यात किया था।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता शहर में हुआ था और इनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम भुनेश्वरी देवी था। उनकी माता धार्मिक महिला थीं, इस कारण ऐसा माना जाता है कि उन पर धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा।
साल 1881 के एक धार्मिक उत्सव के दौरान पहली बार नरेंद्र नाथ दत्त, श्री रामकृष्ण परमहंस की छत्रछाया में आए जिन्होंने बाद में उन्हें अपना शिष्य बना लिया। फिर अपने गुरु की महासमाधि के बाद उन्होंने साल 1887 में विधि अनुसार संन्यास ले लिया और नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद बन गए। विधिवत संन्यास लेने के बाद वह भारत भ्रमण के लिए निकल गए।
भ्रमण के दौरान साल 1893 में विदेशी धरती शिकागो में आयोजित ‘विश्व धर्म सम्मेलन’ में स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण के माध्यम से वहां उपस्थित सभी धार्मिक गुरुओ का ध्यान हिन्दू धर्म और भारतीय अध्यात्म की ओर खींचा। यहीं से भारतीय सनातन धर्म और हिंदू सन्यासी के रूप में उनको विश्वभर में ख्याति प्राप्त हुई। इसके बाद साल 1895 की लंदन यात्रा में उन्होंने वेदांत धर्म का प्रचार-प्रसार किया और साल 1896 की पेरिस यात्रा के दौरान वेदांत समिति की स्थापना की। स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस की ज्ञान धारा के प्रचार के लिए श्री रामकृष्ण मिशन की स्थापना भी की थी। फिर साल 1899 में वह दूसरी बार पेरिस यात्रा पर चले गए और 4 जुलाई 1902 को ध्यान मग्न मुद्रा में आत्म स्वरूप में लीन हो गए।
स्वामी विवेकानंद का जन्म दिवस हर साल 12 जनवरी को विश्वभर में मनाया जाता है और भारत में इस दिन को ‘युवा दिवस’ के रूप में मनाते हैं। यदि हिंदू पंचांग के अनुसार देखा जाए तो स्वामी विवेकानंद जी का जन्म पौष पूर्णिमा के सात दिनों के बाद अर्थात कृष्ण पक्ष की सप्तमी को हुआ था, वर्ष 2026 में यह तिथि 12 जनवरी 2026 में सोमवार को पड़ रही है।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1 मई 1897 में स्वामी विवेकानंद ने बारानगर में अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस की याद में की थी। इसका मुख्यालय, बेलूर कोलकाता पश्चिम बंगाल में स्थित है और उनके अनुसार, भले ही पूजा अलग-अलग होती हो लेकिन सभी धर्मों का ईश्वर एक ही है। उनका कहना है- ‘आत्मनों मोक्षर्थ जगत्हितायच्।’ अर्थात: मुक्ति के साथ जगत कल्याण के बारे में सोचना।
स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन काल में बहुत सारी यात्राएं की थीं और कुछ उपदेश भी दिए, जैसे - 1. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए। 2. आप अपने को जैसा सोचेंगे, वैसे ही बन जाएंगे। यदि आप स्वयं को कमज़ोर मानते हैं तो आप कमज़ोर ही होंगे और यदि आप स्वयं को मज़बूत सोचते हैं तो आप मज़बूत हो जाएंगे। 3. सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना। स्वयं पर विश्वास करो।
स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म और अध्यात्म का भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में प्रचार प्रसार किया था। भारतीय इतिहास में उनका कार्य अद्वितीय है। अपनी विदेश यात्राओं के दौरान उन्होंने वेदांत की स्थापना के अलावा हिंदू और योग का अमेरिका में ही नहीं बल्कि यूरोप के कई देशों में प्रचार-प्रसार किया। इस तरह स्वामी विवेकानंद ने भारतीय धर्म को विश्व भर में पुनर्जीवन देने का काम किया।
आमतौर पर किसी भी देश का भविष्य युवा होता है और इन्हीं से देश की बागडोर चलती है। ऐसे ही स्वामी विवेकानंद की ओजपूर्ण आवाज़ ने भारत में तब उम्मीद की किरण जगाई थी, जब हर तरफ दुख और निराशा थी। उन्होंने अपनी बातों से सोए हुए समाज को जगाया और नई ऊर्जा का प्रसार किया। स्वामी विवेकानंद को युवाओं से बहुत उम्मीदें थी और इन्हीं कारणों से देश में हर साल उनके जन्म दिवस के मौके पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाया जाता है।
तो यह थी भारत के आध्यात्मिक गुरु और दार्शनिक स्वामी विवेकानंद के जीवन काल के दौरान अध्यात्म को पूरे विश्व में फैलाने से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी। आप भी उनके जन्मदिवस पर उनके दिए उपदेशों और आदर्शों को पालन करने का संकल्प लें।
स्वामी विवेकानंद ने बहुत कम उम्र में ब्रह्मचर्य का पालन शुरू कर दिया था, संभवतः 12 साल की उम्र में। उनके अनुसार, ब्रह्मचर्य का अर्थ विचार, वचन और कर्म में हमेशा शुद्ध रहना है, और उन्होंने ब्रह्मचर्य के पालन से अपनी स्मरण शक्ति और ज्ञान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण सफलता पाई।
Did you like this article?

मासिक शिवरात्रि 2026 में कब है जानिए यहां। इस लेख में पढ़ें मासिक शिवरात्रि की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और भगवान शिव की आराधना का सही तरीका।

शुक्र प्रदोष व्रत 2026 में कब है जानिए यहां। इस लेख में पढ़ें व्रत की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और भगवान शिव की आराधना का सही तरीका।

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 2026 में कब है जानिए यहां। इस लेख में पढ़ें व्रत की तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का सही तरीका।