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गौरी व्रत प्रारंभ 2025

इस व्रत से कैसे मिलती है अक्षय सौभाग्य की प्राप्ति? जानिए व्रत की तिथि, पूजा विधि और इसके पीछे छिपा पौराणिक महत्व

गौरी व्रत प्रारंभ 2025

भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है। गौरी व्रत हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आरंभ होता है, और ये व्रत पूर्णिमा को समाप्त होता है। ये व्रत विशेषकर कुंवारी कन्याएं करती हैं, ताकि उन्हें मां गौरी की कृपा से सुयोग्य वर मिले। यह गौरी व्रत मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है। गौरी पूजा का व्रत मुख्य रूप से अविवाहित लड़कियों द्वारा अच्छे पति की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

2025 में कब है गौरी व्रत प्रारंभ?

जया पार्वती व्रत 08 जुलाई 2025, मंगलवार को होगा।

  • गौरी व्रत प्रारंभ - 06 जुलाई 2025, रविवार को (आषाढ़, शुक्ल द्वादशी)
  • गौरी व्रत समापन - 10 जुलाई 2025, बृहस्पतिवार को समाप्त होगा।
  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - 05 जुलाई 2025 को 06:58 पी एम बजे से
  • एकादशी तिथि समाप्त - 06 जुलाई 2025 को 09:14 पी एम बजे तक

गौरी व्रत 2025 के शुभ मुहूर्त

(गुजराती पंचांग के अनुसार)

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त03:50 ए एम से 04:32 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या 04:11 ए एम से 05:13 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त 11:35 ए एम से 12:30 पी एम तक
विजय मुहूर्त 02:19 पी एम से 03:14 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त06:51 पी एम से 07:12 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या 06:52 पी एम से 07:55 पी एम तक
अमृत काल 12:51 पी एम से 02:38 पी एम तक
निशिता मुहूर्त 11:42 पी एम से 12:24 ए एम, 07 जुलाई तक

विशेष योग

मुहूर्तसमय
त्रिपुष्कर योग 09:14 पी एम से 10:42 पी एम तक
रवि योग  05:56 ए एम से 10:42 पी एम तक

क्या है गौरी व्रत?

गौरी व्रत एक पवित्र व्रत है जिसे विशेष रूप से कन्याएं और सुहागिन स्त्रियां माँ पार्वती (गौरी) की कृपा प्राप्ति के लिए करती हैं। यह व्रत आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक लगातार पांच दिनों तक रखा जाता है। इसे विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में श्रद्धा से किया जाता है।

गौरी व्रत प्रारंभ का महत्व

गौरी व्रत का प्रारंभिक दिन (एकादशी) अत्यंत पवित्र माना जाता है क्योंकि यह व्रत का संकल्प और माता गौरी की आराधना की शुरुआत होती है। मान्यता है कि देवी पार्वती ने भी भगवान शिव को प्राप्त करने हेतु कठोर तप और उपवास किया था। उसी के अनुसरण में कन्याएं यह व्रत करती हैं, ताकि उन्हें एक योग्य वर और सुखमय वैवाहिक जीवन प्राप्त हो।

गौरी व्रत के दिन किसकी पूजा करें?

इस व्रत में मुख्य रूप से माँ गौरी (पार्वती) की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव, गणेश जी, और कुमकुम से सजी हुई सौभाग्य सामग्री का पूजन भी होता है। कई जगहों पर देवी गौरी की मिट्टी या धातु की प्रतिमा का पूजन किया जाता है।

गौरी व्रत की पूजाविधि

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान को शुद्ध करें और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर गौरी माता की प्रतिमा स्थापित करें।
  • कलश स्थापना करें और उसमें आम के पत्ते, नारियल रखें।
  • माँ गौरी को हल्दी, कुमकुम, चूड़ी, बिंदी, वस्त्र, और अक्षत अर्पित करें।
  • गौरी माता की कथा पढ़ें या सुनें।
  • दीप प्रज्वलन कर घी का दीप जलाएं और माँ की आरती करें।
  • व्रत का संकल्प लेकर दिनभर व्रत रखें और रात्रि को एक बार फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें।

गौरी व्रत के धार्मिक आयोजन

  • गाँवों व कस्बों में सामूहिक रूप से गौरी पूजन व कथा पाठ का आयोजन किया जाता है।
  • कई स्थानों पर मंदिरों में विशेष श्रृंगार व महाआरती होती है।
  • अंतिम दिन पूर्णिमा पर व्रत का समापन किया जाता है, जिसमें महिलाएं विशेष पूजा कर ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देती हैं।

गौरी व्रत कौन रख सकता है?

  • कुंवारी कन्याएं - सुयोग्य वर की प्राप्ति हेतु।
  • विवाहित महिलाएं - पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए।
  • जिनके जीवन में विवाह में अड़चनें आ रही हों, उन्हें भी यह व्रत लाभकारी होता है।

माँ गौरी को प्रसन्न करने के उपाय

  • माँ गौरी को सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, काजल, हल्दी-कुमकुम, आदि सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें।
  • सफेद या गुलाबी फूल चढ़ाएं।
  • "ऊँ गौरी त्रिपुरसुंदरी नमः" मंत्र का जाप करें।
  • छोटी कन्याओं को भोजन करवाएं व वस्त्र भेंट करें।

गौरी व्रत रखने के लाभ

  • योग्य और सुंदर वर की प्राप्ति।
  • वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
  • घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • मन की शुद्धि और आत्मिक बल में वृद्धि होती है।
  • गौरी माता की कृपा से जीवन में स्थायित्व और संतुलन आता है।

गौरी व्रत के दिन क्या करना चाहिए?

  • सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  • गौरी माता की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • सात्विक भोजन ही करें।
  • माँ गौरी का ध्यान और जप दिनभर करें।
  • व्रत के अंत में कथा व आरती अवश्य करें।

गौरी व्रत के दिन क्या न करें?

  • व्रत के दौरान मांस-मदिरा, प्याज, लहसुन या तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है।
  • झूठ, कलह, कटु वचन और अपवित्र कार्यों से दूर रहें।
  • दिन में न सोएं।
  • माता की पूजा में लापरवाही न करें।
  • बिना संकल्प के व्रत न रखें।

गौरी व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह एक आत्मिक साधना है, जो मन को पवित्रता, संयम और ईश्वर-भक्ति से जोड़ती है। यह व्रत नारी जीवन के हर चरण में उसे बल, श्रद्धा और संबल प्रदान करता है। तो यह थी गौरी व्रत प्रारंभ के शुभ मुहूर्त और तिथि से जुड़ी पूरी जानकारी, हम आशा करते हैं कि आपका व्रत सफल हो।

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Published by Sri Mandir·July 1, 2025

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