जानिए वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास, दर्शन व आरती का समय और कैसे पहुँचें।
वैष्णो देवी मंदिर हरिद्वार का एक पवित्र धार्मिक स्थल है, जो माता वैष्णो देवी को समर्पित है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच विशेष स्थान रखता है और यहाँ माता के दर्शन करने से भक्तों को आशीर्वाद, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। इस लेख में जानिए वैष्णो देवी मंदिर हरिद्वार का इतिहास, धार्मिक महत्व और यहाँ दर्शन की खास बातें।
हरिद्वार में वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू स्थित प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर बना हुआ है। इस मंदिर में सुरंगों और गुफाओं की भूलभुलैया भी है, जो तीर्थयात्रियों को देवी वैष्णो देवी की प्रतिष्ठित मूर्ति वाले गर्भगृह तक ले जाती है। यह मंदिर हरिद्वार के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक है। श्रद्धालु, उपासक और प्रकृति प्रेमी यहां अक्सर आते हैं। मंदिर का शांत वातावरण और धार्मिक महत्व सभी को आकर्षित करता है।
मंदिर का इतिहास
वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना वर्ष 1965 में सिद्ध पुरुष बाल ब्रह्मचारी कर्म नारायण भिक्षुक द्वारा की गई थी। उन्हें सिद्धि प्राप्त थी और इस मंदिर को लाल माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। माता लाल देवी ने वैष्णो देवी के दर्शन सपने में किए थे और देवी ने उन्हें इस स्थान पर एक मंदिर बनाने के लिए प्रेरित किया था। इसी कारण उन्होंने जम्मू स्थित मंदिर से प्रेरणा लेकर उसकी प्रतिकृति हरिद्वार में निर्मित की।
किवदंतियों के अनुसार, जब भगवान राम सीता की खोज में लंका पहुंचे थे, तो उन्होंने ध्यान में लीन त्रिकुटा नामक एक कन्या को देखा। त्रिकुटा ने भगवान राम से विवाह की इच्छा प्रकट की, लेकिन राम ने यह कहते हुए असमर्थता जताई कि वे एक पत्नी व्रत का पालन कर रहे हैं। राम ने त्रिकुटा को भविष्यवाणी दी कि कलियुग में वे कल्कि रूप में जन्म लेंगे और उनसे विवाह करेंगे। भगवान राम ने त्रिकुटा को माणिक पर्वत की त्रिकुटा श्रृंखला में तपस्या करने का आदेश दिया और कहा कि वे वहां ‘वैष्णो देवी’ के रूप में पूजी जाएंगी।
मंदिर की वास्तुकला
वैष्णो देवी मंदिर, सप्त ऋषि आश्रम रोड पर स्थित है और इसकी वास्तुकला जम्मू-कश्मीर स्थित मूल मंदिर की भांति ही है। मंदिर में संकीर्ण सुरंगें हैं जिनसे होकर भक्त देवी के दर्शन के लिए गर्भगृह तक पहुँचते हैं। जो श्रद्धालु जम्मू स्थित मंदिर नहीं जा सकते, उनके लिए यह एक उपयुक्त विकल्प है। मंदिर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियाँ भी स्थित हैं। यहाँ कुंभ मेला, बसंत पंचमी, मकर संक्रांति और गंगा दशहरा जैसे प्रमुख त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।
वैष्णो देवी मंदिर का प्रसाद
यहाँ माता को सूखा प्रसाद, चना चिरोंजी, नारियल और चुनरी अर्पित की जाती है। फूल भी माता के चरणों में चढ़ाए जाते हैं।
विमान मार्ग
मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 44 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से टैक्सी के माध्यम से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग
मंदिर हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है। रेलवे स्टेशन से टैक्सी या ऑटो की सहायता से मंदिर आसानी से पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग
हरिद्वार सड़क मार्ग से दिल्ली, देहरादून और अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दिल्ली के आईएसबीटी कश्मीरी गेट से हरिद्वार के लिए नियमित बसें उपलब्ध हैं। हरिद्वार बस स्टैंड से मंदिर तक ऑटो या टैक्सी के द्वारा पहुँचना सुविधाजनक है।
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